नई दिल्ली :हरियाणा के पूर्व डीजीपी शील मधुर ने अपने सहयोगियों के साथ राष्ट्रीय ध्वज दिवस की मांग को लेकर आंदोलन का आगाज किया. उन्होंने मोदी सरकार से 22 जुलाई को राष्ट्रीय ध्वज दिवस के रूप में घोषित करने की मांग की है. वह अपने सामाजिक संगठन 'सादर इंडिया' के साथ 26 जनवरी 2021 से इस मांग को उठा रहे हैं. उस वक्त उन्होंने पहली बार 'हर हर तिरंगा घर घर तिरंगा' पहल की शुरुआत की थी. इस पहल का उद्देश्य राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा, महत्व और नियमों, विनियमों और रखरखाव के मसविदा के बारे में जागरूकता फैलाना था.
हरियाणा के पूर्व डीजीपी ने 'राष्ट्रीय ध्वज दिवस' की मांग को लेकर आंदोलन का किया आगाज
हरियाणा के पूर्व डीजीपी शील मधुर ने राष्ट्रीय ध्वज दिवस की मांग को लेकर आंदोलन का आगाज किया. उन्होंने कहा कि जल्द ही प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से उनका संगठन का एक प्रतिनिधिमंडल मुलाकात करेगा और उनकी मांग के संबंध में ज्ञापन सौंपेगा.
आंदोलन को आगे बढ़ाने और इसे राष्ट्रव्यापी बनाने के लिए पूर्व आईपीएस ने 'तिरंगा मेरी शान' नामक एक ऐप भी लॉन्च किया, जहां लोग पहल के प्रति अपना समर्थन दर्ज करा सकते हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए शील मधुर ने कहा कि चूंकि देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ 'आजादी का अमृत महोत्सव' के रूप में मना रहा है, लेकिन दुखद है कि स्वतंत्रता संग्राम का प्रतिक 'तिरंगा' के लिए एक खास दिन तय नहीं किया गया है. उन्होंने आगे कहा कि जल्द ही प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से संगठन का एक प्रतिनिधिमंडल मुलाकात करेगा और उनकी मांग के संबंध में ज्ञापन सौंपेगा.
शील मधुर ने कहा कि देश का तिरंगा अपने वर्तमान स्वरूप और विनिर्देश में अस्तित्व में तब आया, जब इसे 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा द्वारा स्वतंत्र भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया. इसलिए 22 जुलाई को ही राष्ट्रीय ध्वज दिवस या तिरंगा दिवस के रूप में घोषित करने के लिए उपयुक्त दिन है. तिरंगा हमारे देश के राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रतीक है और स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्र के लिए उनके बलिदान की प्रेरणा है. राष्ट्रीय ध्वज वह प्रतीक है, जो देश के सर्वांगीण विकास, शांति, धार्मिकता, समृद्धि, एकता और अखंडता के लिए काम करने के प्रति देशवासियों को प्रेरित करता है. उन्होंने आशा व्यक्त की कि प्रधानमंत्री भी इस दृष्टिकोण की सराहना करेंगे और राष्ट्रीय ध्वज दिवस के अनुरोध पर सकारात्मक कदम उठाएंगे.