चंडीगढ़: सूत्रों के हवाले से बड़ी खबर है कि हरियाणा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने इस्तीफे की पेशकश की है. खबर है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद सैलजा ने इस्तीफे की पेशकश (Selja resigns from Haryana President post) की है. चर्चाएं हैं कि कुमारी सैलजा हुड्डा गुट के दबाव को लेकर नाराज हैं. इस बात के लंबे समय से कयास लगाए जा रहे थे कि हरियाणा कांग्रेस के कई नेता पार्टी अध्यक्ष के चेहरे को बदलने की कवायद कर रहे हैं. इस बात की भी चर्चाएं थीं कि अध्यक्ष पद के लिए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा का नाम आगे किया जा रहा है.
जून में हरियाणा राज्यसभा की दो सीटें खाली हो रही हैं. चर्चा है कि सैलजा को कांग्रेस राज्यसभा भेज सकती है. हरियाणा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा को दिए जाने की चर्चा है. माना जा रहा है कि कांग्रेस में एक परिवार एक पद का नियम चलेगा. इस आधार पर भूपेंद्र हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है. यानी किसी और को नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है. पार्टी सूत्रों की माने तो नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र हुड्डा अपने खेमें से किसी विधायक को बनाने की पैरवी कर सकते हैं.
चंडीगढ़ के मुद्दे पर बंटी नजर आई कांग्रेस! चंडीगढ़ के मुद्दे पर भी कांग्रेस दो खेमों में बंटती हुई (Haryana congress meeting on chandigarh issue) नजर आई. एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने दिल्ली में विधायक दल की बैठक बुलाई, तो वहीं चंडीगढ़ में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कुमारी सैलजा, पार्टी प्रभारी विवेक बंसल और पार्टी के अन्य नेताओं के साथ बैठक की. दरअसल, आम आदमी पार्टी ने 8 अप्रैल को पंजाब विधानसभा में चंडीगढ़ को तुरंत पंजाब को देने का प्रस्ताव (proposal to give chandigarh to punjab) पास किया था. जिसके बाद इस मुद्दे पर हरियाणा कांग्रेस दो धड़ों में बंटी नजर आई.
नहीं हुआ संगठन विस्तार: हरियाणा में भी पार्टी लंबे समय से अपने संगठन का विस्तार नहीं कर पाई है. करीब 9 सालों से पार्टी संगठन हरियाणा में नहीं बन पाया है. अंदरूनी लड़ाई के चलते जिला इकाई भंग पड़ी है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह जो मानी जाती रही है, वो हरियाणा में पार्टी के कई धड़ों में बंटा होना है. काफी लंबे समय से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा गुट पहले पार्टी अध्यक्ष रहे अशोक तंवर पर भारी रहा. वहीं वर्तमान में कुमारी सैलजा भी अपने अध्यक्ष कार्यकाल में अभी तक संगठन को खड़ा नहीं कर पाई हैं.