चंडीगढ़: सतलुज यमुना लिंक नहर को लेकर पंजाब और हरियाणा के बीच करीब 57 सालों से विवाद छिड़ा हुआ है. यह विवाद कार्यपालिका और न्यायपालिका दोनों के दरवाजे पर पहुंचा, इस विवाद में 30 से ज्यादा लोगों की हत्या भी हुई, लेकिन इसका अभी तक कोई समाधान नहीं निकल पाया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्रीय जल शक्त मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की भी इसको लेकर बैठक हुई, लेकिन इसके समाधान के लिए कोई अंतिम निर्णय अभी तक नहीं हो सका.
नहीं सुलझ रहा पंजाब और हरियाणा के बीच एसवाईएल का विवाद?: सतलुज यमुना लिंक नहर पंजाब और हरियाणा की राजनीति का सबसे बड़ा उलझा हुआ विवाद है. जिस पर दोनों राज्यों की सियासत भी चरम पर रहती है. सतलुज यमुना लिंक नहर की लंबाई 214 किलोमीटर है. इसका 122 किलोमीटर का हिस्सा पंजाब में है और जबकि 92 किलोमीटर का हिस्सा हरियाणा में है. हरियाणा ने तो अपने हिस्से का काम पूरा किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद भी पंजाब में इसका काम नहीं हो पाया. यहां तक की पंजाब ने इसके लिए अधिग्रहित जमीन भी किसानों को वापस कर दी है.
एसवाईएल के लिए हरियाणा नए रूट प्लान पर काम करने की तैयारी में?: इस विवाद को सुलझता नहीं देख अब हरियाणा की ओर से अब नए रूट प्लान पर काम करने की तैयारी की जा रही है. जिस रूट प्लान पर हरियाणा, सतलुज का पानी हरियाणा में लाने के लिए काम कर रहा है, वह हिमाचल से सीधे इसको हरियाणा में लाने का रास्ता है. इस पर रोडमैप बनाने के लिए भी आधिकारिक स्तर पर काम शुरू करने की तैयारी की जा रही है.
सीएम मनोहर लाल और हिमाचल के सीएम के बीच भी हुई है बात?: दरअसल 22 अप्रैल को हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मुलाकात हुई थी. इस मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सतलुज यमुना लिंक नहर यानी को लेकर हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू से इसको लेकर बात की थी, जिसमें हिमाचल से सीधे हरियाणा में सतलुज का पानी लेने को लेकर बात हुई थी. इस पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सैद्धांतिक सहमति भी दे दी है.
क्या है एसवाईएल का वैकल्पिक प्लान?: पंजाब के रास्ते से हरियाणा में पानी लाने पर 157 से 160, किलोमीटर के बीच की दूरी है. वहीं, पंजाब सरकार ने एसवाईएल के लिए अधिग्रहित जमीन भी किसानों को वापस कर दी है. वहीं, एसवाईएल हिमाचल मार्ग समिति के अनुसार पंजाब के बजाय हिमाचल से 67 किलोमीटर के रास्ते से सतलुज नदी का पानी हरियाणा में लाया जा सकता है. इस पर लगभग 4200 करोड़ रुपये खर्च आएगा. सतलुज से नालागढ़, बद्दी, पिंजौर, टांगरी के रास्ते जनसुई हेड में पानी लाकर पूरे हरियाणा को पानी वितरित किया जा सकता है. इससे सीधे-सीधे हरियाणा के ढाई करोड़ आबादी को लाभ मिलेगा. इसके साथ ही इस काम को पूरा होने में करीब डेढ़ साल का वक्त लगेगा और उसके बनाने के लिए एक टनल भी करीब दस से बारह किलोमीटर की बनानी पड़ेगी.
क्या कहते हैं इस पर हरियाणा के मुख्यमंत्री?: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल का कहना है कि सतलुज यमुना लिंक नहर का पानी हरियाणा को मिलना चाहिए. इस बात को सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है. हरियाणा को उसके हिस्से का पानी मिले इसमें कोई दो राय नहीं है. अब उसको धरातल पर उतरने के आदेश सुप्रीम कोर्ट नहीं देने हैं. इसमें हिमाचल से पाने हमें मिल सकता है अगर किसी संस्था या किसी ने विचार भी किया है तो भी इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ही दिशा निर्देश देगा.