नई दिल्ली : हरियाणा में निजी सेक्टर की नौकरियों में 75 प्रतिशत आरक्षण देने वाले कानून पर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा अंतरिम रोक (interim stay on a law providing 75 per cent reservation in private sector jobs) लगाए जाने के बाद राज्य सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. शुक्रवार को हरियाणा सरकार ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती (Haryana govt challenges Punjab and Haryana HC order in SC) दी.
मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलें सुनीं और हरियाणा सरकार की अपील को सूचीबद्ध करने पर सहमत हो गई है. सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में सूचीबद्ध इस मामले 90 सेकेंड की सुनवाई के बाद अदालत ने अधिनियम पर रोक लगा दी. उन्होंने कहा कि हमने एसएलपी तैयार कर आज फाइल कर दी है. मुझे इस बाबद और भी तथ्य अदालत के समक्ष पेश करना है.
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बता दें कि हाईकोर्ट ने निजी क्षेत्र की नौकरी में स्थानीय युवाओं को 75 प्रतिशत आरक्षण देने वाले कानून हरियाणा स्टेट एंप्लॉयमेंट ऑफ लोकल कैंडिडेट एक्ट 2020 पर रोक लगा दी. हरियाणा डोमिसाइल के लिए निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण पर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा रोक लगा दी गई है. हरियाणा में निजी क्षेत्र की नौकरियों में स्थानीय निवासियों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण अनिवार्य करने के प्रावधान को गुरुग्राम इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
कानून के खिलाफ दी गई दलील : इंडस्ट्रियल एसोसिएशन ने हाईकोर्ट में कहा था कि निजी क्षेत्र में योग्यता और कौशल के अनुसार लोगों का चयन किया जाता है. अगर नियोक्ताओं से कर्मचारी को चुनने का अधिकार ले लिया जाएगा तो उद्योग कैसे आगे बढ़ सकेंगे. याचिका में कहा था कि हरियाणा सरकार का 75 प्रतिशत आरक्षण का फैसला योग्य लोगों के साथ अन्याय है. यह कानून उन युवाओं के सांविधानिक अधिकारों का हनन है जो अपनी शिक्षा और योग्यता के आधार पर भारत के किसी भी हिस्से में नौकरी करने को स्वतंत्र हैं.
याची ने कोर्ट में कहा था कि यह कानून योग्यता के बदले रिहायश के आधार पर निजी क्षेत्र में नौकरी पाने की पद्धति को शुरू करने का प्रयास है. ऐसा हुआ तो हरियाणा में निजी क्षेत्र में रोजगार को लेकर अराजकता की स्थिति पैदा हो जाएगी. याचिका करने वाली एसोसिएशन के मुताबिक यह कानून निजी क्षेत्र के विकास को भी बाधित करेगा और इसके कारण राज्य से उद्योग पलायन भी आरंभ कर सकते हैं. याची ने कहा कि यह कानून वास्तविक तौर पर कौशलयुक्त युवाओं के अधिकारों का हनन है. 75 फीसदी नौकरियां आरक्षित करने के लिए 2 मार्च, 2021 को लागू अधिनियम और 6 नवंबर, 2021 की अधिसूचना संविधान, संप्रभुता के प्रावधानों के खिलाफ है.
क्या था निजी क्षेत्र में 75 प्रतिशत आरक्षण का कानून: हरियाणा स्टेट इम्पलॉयमेंट लोकल कैंडिडेट्स एक्ट, 2020 सरकार ने इसी साल जनवरी में लागू किया था. इसके तहत तीस हजार रुपये तक की सेलवी वाली नौकरियों में स्थानीय लोगों को 75 फीसदी आरक्षण दिये जाने का प्रावधान किया गया था. जननायक जनता पार्टी विधानसभा चुनाव में इस आरक्षण को अपना प्रमुख मुद्दा बनाया था. जेजेपी ने युवाओं के वोट बैंक को साधने के लिए 75 फीसदी आरक्षण के वादे का जमकर प्रचार प्रसार किया था. सरकार बनने के बाद वो इसे लागू करवाने को अपनी बड़ी सफलता के तौर पर देख रही थी.
(पीटीआई-इनपुट)