चंडीगढ़: पूर्व मंत्री निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा आज ( शुक्रवार, 5 जनवरी 2024 को) कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं. हरियाणा प्रदेश कांग्रेस प्रभारी दीपक बाबरिया ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि हरियाणा से 4 बार विधायक और प्रदेश सरकार में 2 बार मंत्री रहे चौ. निर्मल सिंह एवं अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की महासचिव रहीं चित्रा सरवारा आज दोपरह करीब 3 बजे विधिवत रूप से कांग्रेस का दामन थाम लेंगे. कांग्रेस आलाकमान ने दोनों की ज्वाइनिंग को हरी झंडी दी है. दोनों दिल्ली में कांग्रेस का दामन थामेंगे.
कांग्रेस का दामन थामेंगे निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा: दीपक बाबरिया ने कहा कि पूर्व मंत्री निर्मल सिंह का कांग्रेस के साथ लंबा करियर रहा है. वे मूल रूप से कांग्रेस की विचारधारा से जुड़े रहे हैं और इलाके में उनकी छवि संघर्षशील और कर्मठ नेता की है. निर्मल सिंह के कांग्रेस पार्टी में आने से उत्तर हरियाणा में कांग्रेस पार्टी की जमीनी पकड़ और मजबूत होगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की नीति रही है कि पार्टी की विचारधारा में श्रद्धा रखने वाले सभी नेताओं और राजनीतिक कार्यकर्ताओं के लिए पार्टी के दरवाजे हमेशा खुले रहेंगे.
निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा का आम आदमी पार्टी से इस्तीफा: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा जो कि आम आदमी पार्टी में वाइस प्रेसीडेंट पद पर नियुक्त थीं. इन दोनों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. पहले भी निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा कांग्रेस पार्टी में थे, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में इन्होंने अपनी पार्टी बना ली थी और बाद में यह आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे. माना जा रहा है कि यह दोनों पिता पुत्री अंबाला कैंट और अंबाला शहर की सीट से चुनाव लड़ सकते हैं.
निर्मल सिंह लोकसभा या अंबाला शहरी सीट पर लड़ सकते हैं चुनाव?: आप का साथ छोड़ने के साथ चार बार के विधायक और कैबिनेट मंत्री रहे निर्मल सिंह कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं. माना जा रहा है कि निर्मल सिंह अगले साल होने वाले हरियाणा लोकसभा या विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कुरुक्षेत्र या अंबाला शहरी सीट से उम्मीदवार हो सकते हैं. वर्तमान में अंबाला शहरी इस सीट पर बीजेपी के असीम गोयल विधायक हैं. वहीं, कुरुक्षेत्र से नायब सैनी बीजेपी के लोकसभा सदस्य हैं. 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट न मिलने के चलते निर्मल सिंह ने अंबाला शहरी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा था. उन्होंने इस चुनाव में असीम गोयल को कड़ी टक्कर दी थी. वहीं, अगर इस बार वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हैं तो इस सीट पर कांग्रेस की जीत की संभावनाएं बढ़ जाएगी.
चित्रा कैंट सीट पर अनिल विज को दे सकती हैं चुनौती?:निर्मल सिंह साल 2018 में अपनी राजनीतिक विरासत बेटी चित्रा सरवारा सौंप चुके हैं. चित्रा सरवारा जब कांग्रेस में थीं उन्हें राहुल गांधी का करीबी भी माना जाता था. चित्रा एक राजनीतिज्ञ के साथ साथ प्रोफेशनल डिजाइनर और समाज सेविका भी हैं. 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने डिजाइन मैनेजर के तौर पर काम किया और उनके काम को काफी सराहा गया था, लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस का टिकट नहीं मिला. जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अनिल विज के खिलाफ चुनाव लड़ा और विज को कड़ी टक्कर दी. वहीं, अब अगर वे कांग्रेस के साथ जाकर अंबाला कैंट से चुनाव लड़ती हैं तो निश्चित तौर पर वे अनिल विज को कड़ी चुनौती देगी. यानी वे अनिल विज के लिए वे मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं.
भूपेंद्र हुड्डा ने खेला सैलजा को घर में घेरने का दांव!: निर्मल सिंह और उनकी बेटी चित्रा सरवारा का अंबाला जिले में अच्छा खासा प्रभाव है. राजनीतिक गलियारों में यह बात कही जाती है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में कुमारी सैलजा के विरोध की वजह से इन दोनों को कांग्रेस से टिकट नहीं मिल पाई थी. जिसके बाद दोनों पिता पुत्री ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और चुनाव हार गए थे. निर्मल सिंह नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी माने जाते हैं. माना जा रहा है कि उनके प्रयासों से निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा वापस कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं. ऐसे में इसे अंबाला में कुमारी सैलजा को हुड्डा गुट की तरफ से उनको घर में घेरने की तैयारी के तौर पर भी देखा जा रहा है. बता दें कि निर्मल सिंह ने 2019 चुनाव के वक्त हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट भी बनाया था. अप्रैल 2022 में यह दोनों आप में शामिल हुए थे. करीब डेढ़ साल के बाद अब आप से इन्होंने किनारा कर लिया है.
क्या कहते हैं राजनीतिक मामलों के जानकार?: निर्मल सिंह और चित्रा सरवारा के पार्टी छोड़ने के बाद अब हरियाणा की सियासत में कई सवाल उभर कर सामने आ रहे हैं. इसका हरियाणा में आम आदमी पार्टी पर क्या असर होगा? दोनों के कांग्रेस में जाने से अंबाला और उसके आसपास क्या सियासी असर होगा? क्या उनकी कांग्रेस वापसी से कुमारी सैलजा कमजोर पड़ेंगी? यह कुछ ऐसे सवाल है जिनका जवाब जानना जरूरी है.