रांची :देश के विभिन्न राज्यों में गुरुवार को हरितालिका तीज व्रत सभी महिलाओं के द्वारा रखा जाएगा. यह व्रत करवा चौथ व्रत की तरह ही होता है. बस इस व्रत में पूरे दिन निर्जला रहा जाता है. अगले दिन सुबह व्रत का पारण करने के बाद व्रत पूरा होता है. इस त्योहार को झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है.
हरतालिका तीज व्रत को लेकर महिलाएं गुरुवार को सुबह से ही हरतालिका तीज का व्रत रखेंगी. इस वर्ष के हरतालिका तीज को लेकर पंडित जितेंद्र जी महाराज बताते हैं कि इस वर्ष का तीज अद्भुत संयोग लेकर आया है. क्योंकि इस वर्ष का तीज हस्त नक्षत्र तृतिया तिथि में आया है इसीलिए इस बार का संयोग अद्भुत है. पंडित जितेंद्र जी महाराज ने बताया कि इस संयोग में व्रती महिलाओं की सभी मनोकामना भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती पूर्ण करेंगे.
इस बारे में रांची के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य स्वामी दिव्यानंद जी महाराज बताते हैं कि हरतालिका तीज सिर्फ विवाहित महिला ही नहीं बल्कि कुमारी कन्याएं भी कर सकती हैं. उन्होंने पौराणिक कथाओं का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान शिव को पाने के लिए मां पार्वती भी कुमारी कन्या के रूप में ही तपस्या की थी.
अपने पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करने के लिए महिलाओं के लिए सबसे अच्छा पूजा का मुहूर्त शाम 4:00 बजे से 5:00 बजे तक रहेगा महिलाएं सुबह सूर्योदय के बाद से कभी भी पूजा कर सकती हैं।
हरतालिका तीज की कथा
पार्वती जी भगवान शिव को पति के रूप में पाना चाहती थी जिसके लिए उन्होंने घोर तपस्या की. उनके पिता ने उनका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया था. मां पार्वती ये विवाह नहीं करना चाहती थीं. तब पार्वती जी की सखियों ने उनकी मदद की. सखियां उनका अपहरण कर उन्हें जंगल में ले गईं. सखियों ने उनका हरण किया, इसलिए इस व्रत का नाम हरतालिका तीज पड़ गया. मां पार्वती की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी ने उन्हें दर्शन दिए और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया.