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पाठ्यपुस्तक में हर्ष मंदर की कहानी पर उठे सवाल, NCPCR ने NCERT से मांगा जवाब

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) की कक्षा 9 की अंग्रेजी की किताब में सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर की एक कहानी शामिल करने पर सवाल उठ रहे हैं. एक शिकायत में कहा गया है कि कहानी का वर्णन इस तरह से किया गया है कि यह आपदा प्रबंधन एजेंसियों और अन्य प्राधिकरणों सहित देश के तंत्र को कमतर दर्शाता है.

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हर्ष मंदर की कहानी

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Published : Apr 5, 2022, 10:37 AM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने बाल गृह संचालित करने के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपी सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर की एक कहानी को स्कूल की पाठ्यपुस्तक में शामिल करने पर राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) से स्पष्टीकरण मांगा है. आयोग के प्रमुख प्रियंक कानूनगो ने एनसीईआरटी को लिखे एक पत्र में कहा कि एक शिकायत के बाद कहानी की सामग्री की जांच की गई और यह पाया गया कि यह किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के विभिन्न प्रावधानों को नकारती है. हालांकि, अभी एनसीईआरटी की तरफ से इस पर कोई टिप्पणी नहीं आई है.

प्रियंक कानूनगो ने अपने पत्र में कहा है कि कहानी का वर्णन इस तरह से किया गया है कि यह सुझाव देता है कि बचाव और कल्याण कार्य केवल गैर-सरकारी संगठनों द्वारा किए जाते हैं, जो आपदा प्रबंधन एजेंसियों और अन्य प्राधिकरणों सहित देश के तंत्र को कमतर दर्शाता है. आयोग ने कहा कि उसे 'Weathering the Storm in Ersama' शीर्षक वाली कहानी से संबंधित एक शिकायत मिली है, जिसे अंग्रेजी पुस्तक 'Moments for Class IX' में शामिल किया गया है.

कानूनगो ने कहा कि प्रसिद्ध साहित्यकारों की अन्य कहानियों के बीच पूरक पठन पुस्तक (supplementary reading book) में शामिल उक्त अध्याय (कहानी) को हर्ष मंदार द्वारा लिखा गया है. शिकायत में एक ऐसे व्यक्ति की कहानी को शामिल किए जाने पर सवाल उठाया गया है, जिस पर देश में बाल गृह चलाने के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप है. एनसीपीसीआर प्रमुख ने कहा कि ऐसा लगता है कि अध्याय के अंत में सुझाई गई रीडिंग के रूप में 'A Home on the Street' और 'Paying for his Tea' शीर्षक वाली अन्य दो कहानियां भी एक समान तस्वीर पेश करती हैं और देश में बच्चों की देखभाल और सुरक्षा के वर्तमान परिदृश्य को क्रॉस-चेक किए बिना इन्हें शामिल किया गया है.

एनसीपीसीआर ने कहा, 'यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि किशोर न्याय अधिनियम 2015 (JJ Act) में अधिनियमित किया गया था और बाद में 2016 में जेजे मॉडल नियम भी बनाए गए थे. उक्त पुस्तक का 2016-2021 के बीच पांच बार पुनर्मुद्रण (प्रिटिंग) किया जा चुका है और रिपोर्टों के अनुसार पुस्तकों/पाठ्यक्रमों का संशोधन भी नियमित रूप से प्रासंगिक कानूनों का उल्लेख किए बिना और बच्चों की देखभाल और संरक्षण के मुद्दे के प्रति संवेदनशील हुए बिना किया गया है.

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