हरिद्वार: कोरोना के दूसरे स्ट्रैन ने देशभर में कहर बरपाया है. भारत में हर दिन कोरोना मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. गंभीर लक्षण भी पहले के मुकाबले ज्यादा मरीजों में दिखाई दे रहे हैं. जिसकी वजह से मौतों का भी आंकड़ा अपने पुराने रिकॉर्ड तोड़ता नजर आ रहा है. कोरोना मरीजों में मौत की सबसे बड़ी वजह ऑक्सीजन की कमी बन रही है. तकरीबन हर राज्य से ऑक्सीजन की कमी की खबरें सामने आ रही हैं. जिसे देखते हुए हरिद्वार स्थित भेल ने देश में सांसों की सप्लाई की जिम्मा उठाया है. यहां से उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा जैसे राज्यों के लिए ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है.
महामारी में देश को आक्सीजन सप्लाई दे रहा BHEL
बीएचएल यानी भेल में अब तक सिर्फ अपने प्लांट के लिए ही ऑक्सीजन बनाई जाती थी. मगर देश में आई ऑक्सीजन आपदा के बाद इस संस्थान ने जिम्मेदारी निभाते हुए मदद के हाथ आगे बढ़ाए हैं. अब बीएचएल इस महामारी में देश को ऑक्सीजन देने का काम कर रहा है.
महज दो दिन में तैयार 'सांसों' का सप्लाई सेंटर
शुरू में बीएचएल के तमाम कर्मचारियों ने भी यह नहीं सोचा कि देश भर कैसे ऑक्सीजन की सप्लाई की जाएगी. कैसे देशभर के अलग-अलग राज्यों में ऑक्सीजन सप्लाई संभव हो पाएगी, मगर महज दो दिनों के भीतर ही पूरा प्लांट इस बात के लिए तैयार हो चुका था कि इस नाजुक दौर में हरिद्वार का ये संस्थान देश में सांसों का सप्लाई सेंटर बनेगा. जिसके बाद भेल के ईडी से लेकर तमाम ऑपरेशन से जुड़े लोगों ने अपने प्लांट को रातों-रात अपग्रेड किया. फिर शुरू हुआ ऑक्सीजन बनाना और उसे जरूरतमंद राज्यों तक पहुंचाने का सिलसिला.
रातों-रात तैयार किया गया कंट्रोल रूम
प्लांट से जुड़े नवीन कौल बताते हैं कि जब उन्हें अपने उच्च अधिकारी और कोविड-19 बीमारी से जूझ रहे ईडी से सूचना मिली कि उन्हें 24 घंटे के अंदर ऑक्सीजन बनाने का काम शुरू करना है. पहले तो वे समझ ही नहीं पाये कि वे ऐसा करेंगे कैसे? क्योंकि इसके लिए उनके पास समय बहुत कम था. मगर फिर उन्होंने सोचा बीएचएल ने हमेशा से ही कठिन परिस्थितियों में देश का साथ दिया है, लिहाजा उन्होंने रातों-रात कंट्रोल रूम तैयार किया. दो ऑक्सीजन प्लांट को और उन में लगे कर्मचारियों को यह बताया गया कि अब हमें देश के लिए ऑक्सीजन बनानी है. लिहाजा हमने 21 तारीख के बाद से लोगों के लिए ऑक्सीजन बनाने का काम शुरू कर दिया.
हर दिन 1800 से 2000 सिलेंडर बनाने का टारगेट