उत्तराखंड पेयजल सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी का बयान देहरादून (उत्तराखंड):केंद्रसरकार के जल जीवन मिशन कार्यक्रम का यह अंतिम वर्ष है. साल 2019 में शुरू हुई योजना के तहत हर घर तक नल पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया था. जिसकी शुरुआत भी बड़े जोर शोर से की गई, लेकिन उत्तराखंड इस योजना के लिहाज से फिसड्डी साबित हुआ है. यूं कहें कि सरकार योजना लागू करने में पूरी तरह फेल हुई. हालात ये हैं कि अब कार्यक्रम की समाप्ति का अंतिम वर्ष रह गया है, लेकिन अभी भी राज्य के करीब 15 लाख घरों तक पानी के कनेक्शन तक नहीं पहुंच पाए हैं.
वैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बेहद खास और वृहद रूप में शुरू किए गए कार्यक्रमों में से इसे भी एक माना जा सकता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की कोशिश ये थी कि किसी को भी पीने के पानी के लिए कहीं दूर न जाना पड़े. सभी को उनके घरों तक पानी की सुविधा मिल सके, लेकिन यह योजना पूरी तरह से परवान नहीं चढ़ पा रही है.
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हर घर जल योजना को जानिएःगौर हो कि हर घर जल योजना भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की ओर से साल 2019 में जल जीवन मिशन के तहत शुरू की गई थी. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को इस योजना का शुभारंभ किया था. इस योजना का लक्ष्य आगामी 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण के घर तक नल के जरिए पीने का पानी उपलब्ध कराना है.
योजना के तहत देश के करीब 20 करोड़ घरों तक पानी का कनेक्शन पहुंचाने की कोशिश थी. केंद्र के 5 साल के कार्यकाल से पहले ही काम पूरा करने का रखा लक्ष्य गया था. तकरीबन 3.5 लाख करोड़ के बजट की भी शुरुआती व्यवस्था हुई थी. योजना का मकसद हर घर को नल से जोड़कर साफ पानी घरों तक पहुंचाना है. योजना के तहत करीब 11 करोड़ घरों तक कनेक्शन पहुंचाने का भी दावा किया गया.
भारी-भरकम बजट की व्यवस्थाःराष्ट्रीय स्तर पर इस योजना को आगे बढ़ाने के लिए भारी-भरकम बजट की व्यवस्था की गई थी और राज्यों के सामने भी यह एक बड़ा मौका था कि वो वित्त पोषित योजना के जरिए केंद्र से बजट लेकर अपने राज्यों में पानी की समस्या को खत्म करें. लेकिन उत्तराखंड में इस योजना की शुरुआत से ही विवादों ने जन्म लेना शुरू कर दिया. ऐसी कई चर्चाएं सामने आई जिसमें योजना में भ्रष्टाचार और लापरवाही किए जाने तक की बात सुनाई देने लगी.
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उत्तराखंड में हर घर जल योजना से जुड़े विवादःसूबे में जल जीवन मिशन कार्यक्रम के तहतहर घर जल योजना को लेकर कई विवाद भी सामने आए. कहीं गांव तक पानी का कनेक्शन तो पहुंचाया गया, लेकिन इन पाइपलाइनों में पानी नहीं पहुंचा. कुछ घरों में नल लगा दिए गए, लेकिन यहां तक पानी पहुंचाने के लिए पाइप लाइन ही नहीं बिछाई गई. इतना ही नहीं योजना में बजट की बंदरबांट कर भ्रष्टाचार के भी कई बार आरोप लगे.
हर घर जल योजना से जुड़े विवाद केवल लक्ष्य पूरा करने पर फोकस रहा, लेकिन पानी पहुंचाने की कोशिश नहीं हुई. कई पात्रों को योजना का लाभ नहीं मिला, लेकिन कागजों में कनेक्शन लग गए. हद तो तब हो गई, जब योजना की गड़बड़ी पर विभाग भी चुप्पी साधे रहा. पर्वतीय जिलों में योजना के लिए ठेकेदार नहीं मिल पाए. जिसके चलते योजना पूरी तरह से सफल नहीं हो पाई.
उत्तराखंड में लक्ष्य नहीं हो पाया पूरा, ₹1 में कनेक्शन देने की योजना भी चलाई गईःसाल 2019 से शुरू हुई योजना अपने 4 साल पूरे करने जा रही है, लेकिन अब तक उत्तराखंड में लक्ष्य पूरा करने की तरह नहीं बढ़ा जा सका है. आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि कैसे इस योजना के विवादों में फंसने और अधिकारियों के लक्ष्य पूरा करने के लिए केवल कागजी कार्रवाई तक ही सीमित रहने के चक्कर में योजना पिछड़ती चली गई.
अभी स्थिति ये है कि करीब 15 लाख घरों में 4 साल पूरा होने के बाद भी अब तक पानी का कनेक्शन नहीं लग पाया है. हालांकि, पूर्ववर्ती त्रिवेंद्र सरकार के दौरान लोगों को घरों में पानी का कनेक्शन लगवाने के लिए प्रोत्साहित करने का काम भी किया गया और ₹1 में घर का कनेक्शन लगाए जाने की योजना भी शुरू की गई.
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उत्तराखंड में पानी के कनेक्शन से वंचित घरों की स्थितिःउत्तराखंड में 15 लाख घर पानी के कनेक्शन से वंचित हैं. जबकि, अभी तक 10 लाख घरों तक पानी का कनेक्शन पहुंच पाया है. पानी के कनेक्शन से महरूम घरों की सबसे ज्यादा संख्या हरिद्वार जिले में है. जहां 2,66,743 घरों में कनेक्शन नहीं है. पानी के कनेक्शन के मामले में उधम सिंह नगर में भी 2,01,229 घर पानी के कनेक्शन से वंचित हैं. टिहरी जिले में करीब 1,35,110 घरों में पानी का कनेक्शन नहीं है.
पानी के कनेक्शनों से वंचित घरों की स्थिति अल्मोड़ा जिले में भी कमोबेश यही हालात हैं. जहां करीब 1,28,742 घरों में पानी के कनेक्शन नहीं हैं. देहरादून जिले में 1,27,731 घरों में पानी के कनेक्शन नहीं हैं. पौड़ी जिले में 1,16,444 घरों के लोगों को पानी के लिए घरों से बाहर जाना पड़ता है. नैनीताल जिले में भी 1,13,624 घरों में पानी का कनेक्शन नहीं है.
इसी तरह उत्तरकाशी में 71,810, रुद्रप्रयाग 56,779 और चमोली में 77,650 घरों में पानी के कनेक्शन नहीं हैं. कुमाऊं के पिथौरागढ़ में 95,479, बागेश्वर में 55,030 और चंपावत में 47,993 घरों में पानी के कनेक्शन नहीं हैं. इन आंकड़ों पर गौर करें तो अभी काफी काम करना बाकी है.
पानी के कनेक्शन से वंचित घर उत्तराखंड में इतने करोड़ बजट से होने हैं कामः उत्तराखंड में जल जीवन मिशन के तहत 700 करोड़ की डीपीआर अब तक बनाई गई है. जिसके लिए केंद्र से बजट की मंजूरी पहले ही मिल चुकी है. अब तक 10 लाख घरों में पानी के कनेक्शन पहुंचाए जा चुके हैं. राज्य में 15 लाख घरों में पानी के कनेक्शन अब तक नहीं लगे हैं. इसके लिए करीब 500 करोड़ की डीपीआर राज्य की तरफ से बनाई जा चुकी है. बाकी बजट जल्द ही मिलने की उम्मीद है.
क्या बोले पेयजल सचिव?उत्तराखंड पेयजल सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी बताते हैं कि इस साल काम को कई गुना तेजी के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है. बजट खर्च की रफ्तार भी तेज हुई है. कोशिश की जा रही है कि अक्टूबर या नवंबर महीने तक विभिन्न योजनाओं को पूरा किया जा सके. उधर, पहाड़ों में पंपिंग योजनाओं के काम को भी खत्म करने के लिए अगले साल मार्च तक पूरा करने के प्रयास किए जा रहे हैं.
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समय कम है और काम का लक्ष्य बेहद बड़ा. लिहाजा, अब आनन-फानन में योजनाओं को तैयार कर पूरा करने की कोशिश की जा रही है. ऐसे में गलती की संभावनाएं भी काफी ज्यादा रहती हैं. हालांकि, हर दिन के आधार पर निर्देश जारी किए जा रहे हैं और मॉनिटरिंग भी हो रही है. ऐसे में उम्मीद की जानी चाहिए कि समय से बेहतर गुणवत्ता के साथ काम पूरा हो सकेगा, ताकि हर घर जल का मकसद पूरा हो सके.