वाराणसी: अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता अस बर दीन जानकी माता. जी हां, संकट हरण और महादेव के 11वें रुद्र अवतार हनुमान जी की जयंती का पर्व 6 अप्रैल को मनाया जाएगा. इस बार हनुमान जयंती का पर्व अद्भुत संयोग के साथ मनाया जाएगा. आप सोच रहे होंगे कि आखिर हनुमान जयंती साल में दो बार क्यों मनाई जाती है. हले चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को और दूसरी कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को. क्या है इसके पीछे धार्मिक पक्ष और हनुमान जयंती का अलग-अलग महत्व. चलिए जानते हैं.
इस बारे में ज्योतिषाचार्य पंडित दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि किसी भी देवता की जन्मतिथि अक्सर एक ही मानी जाती है इसे लेकर एक कल्प भेद है. जिसमें एक कथा है इस कथा में दो पहलू हैं किसी में हनुमान जी का जन्म दिवस कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी को कहा जाता है और किसी में चैत्र शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को लेकिन रामायण और बाल्मीकि रामायण का अध्ययन करने पर भगवान हनुमान का जन्मदिवस कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मंगलवार के दिन बताया जाता है, लेकिन हनुमंत उपसना कलपत्र नामक एक ग्रंथ है जिसमें उनका जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है.
पंडित दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री का कहना है कि हनुमान जयंती साल में दो बार क्यों मनाते हैं? यह सवाल बहुत लोगों के मन में उठता है इसके पीछे पौराणिक कथा है. इस कथा के अनुसार, एक तिथि विजय अभिनन्दन महोत्सव तो दूसरी तिथि उनके जन्मदिवस के रूप में मनाई जाती है. पहली कथा अनुसार, जब बाल हनुमान सूर्य को आम समझ कर उसे खाने के लिए आकाश में उड़ने लगे थे, तब राहु भी सूर्य पर ग्रहण लगाना चाहते थे, लेकिन, सूर्यदेव ने हनुमानजी को देखकर उन्हें दूसरा राहु समझ लिया था. यह घटना चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि पर हुई थी तभी से इस दिन हनुमान जयंती मनाने की परंपरा शुरू हुई. अन्य कथा के अनुसार हनुमान जी की भक्ति और समर्पण को देखकर सीता माता ने उन्हें अमरता का वरदान दिया था. इस दिन नरक चतुर्दशी थी. इस तरह साल में दूसरी हनुमान जयंती दिवाली से एक दिन पहले भी मनाई जाती है. हनुमान जयन्ती एक हिन्दू पर्व है. यह चैत्र माह की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला पर्व इस वर्ष 6 अप्रैल को मनाया जाएगा. इस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था यह भी माना जाता है. हनुमान जी को कलयुग में सबसे प्रभावशाली देवताओं में से एक माना जाता है.
वहीं, ज्योतिषाचार्य विमल जैन का कहना है कि वानरराज केसरी और माता अंजनीदेवी के पुत्र भगवान् श्री हनुमान जी का जन्म महोत्सव वर्ष में दो बार मनाने को पौराणिक मान्यता है. प्रथम चैत्र शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि तथा द्वितीय कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन मनाया जाता है. हनुमद जन्मोत्सव के पर्व पर हनुमान जी को भक्तिभाव, श्रद्धा व आस्था के साथ पूजा-अर्चना करने का विधान है. इस बार चैत्र शुक्लपक्ष की पूर्णिमा तिथि बुधवार, 5 अप्रैल को प्रातः 9 बजकर 20 मिनट पर लगेगी, जो कि गुरुवार, 6 अप्रैल को प्रातः 10 बजकर 05 मिनट तक रहेगी. पूर्णिमा तिथि के दिन हस्त नक्षत्र का सुयोग बनेगा. हस्त नक्षत्र बुधवार, 5 अप्रैल का दिन में 11 बजकर 23 मिनट से गुरुवार, 6 अप्रैल को दिन में 12 बजकर 42 मिनट तक रहेगा. व्रत की पूर्णिमा का अनुष्ठान बुधवार 5 अप्रैल को होगा. वहीं, स्नान-दान की पूर्णिमा गुरुवार 6 अप्रैल को होगा.
इस बार गुरुवार 6 अप्रैल को चित्रा नक्षत्र दिन में 12 बजकर 42 मिनट से शुक्रवार, 7 अप्रैल को दिन में 1 बजकर 33 मिनट तक रहेगा. चित्रा नक्षत्रयुक्त चैत्र पूर्णिमा की विशेष महिमा है. हनुमान जन्मोत्सव का पावन पर्व गुरुवार, 6 अप्रैल को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा. इस दिन पूर्ण श्रद्धा, आस्था व विश्वास के साथ व्रत उपवास रखकर श्रीहनुमान जी की पूजा-अर्चना करने से जीवन में वैभव, सुख, समृद्धि, खुशहाली का सुयोग बनता है.