हमीरपुर: इन दिनों पितृ पक्ष (PITRU PAKSHA 2022 ) चल रहा है. पितरों की आत्मा की शांति के लिए अलग-अलग दिन तिथि के अनुसार पितरों का श्रद्धा करते हैं. समाज सेवा को कई नजरों से देखा जाता है. लोगों के बीच जाकर समाज सेवक खूब ढिंढोरा पीटते हैं, लेकिन निस्वार्थ सेवा के उदाहरण आपको कम ही देखने को मिलेंगे. ऐसा ही एक अनुकरणीय उदाहरण है (Social worker Shantanu Kumar) बंगाल के कोलकाता के मूल निवासी शांतनु कुमार. हिमाचल में छोटी सी दुकान चलाकर शांतनु कुमार लावारिस शवों के लिए कंधा बने हुए हैं. हमीरपुर के समाजसेवी शांतनु कुमार (Hamirpur social worker Shantanu Kumar) करीब 3 दशक से लावारिस लाशों को अपने कंधों पर उठाकर न केवल उनका अंतिम संस्कार करवाते हैं. बल्कि अपने खर्चे पर हरिद्वार जाकर अस्थियों को रीति-रिवाज के साथ गंगा में विसर्जित करते हैं. शांतनु ने बताया कि अब तक वो करीब 2790 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करवा चुके हैं.
बंगाल से हमीरपुर तक का सफर:आपको बता दें कि शांतनु मूल रूप से बंगाल के रहने वाले हैं. शांतनु बताते हैं कि सन् 1990 से उन्होंने समाज सेवा शुरू की थी. वो 1980 में अपने पिता के साथ में हमीरपुर आए थे. उनके पिता यहां पर सरकारी नौकरी करते थे और तब उनका पूरा परिवार हमीरपुर में ही बस गया. यहां रहने के बाद उन्होंने समाज सेवा का मन बनाया और इसी में जुट गए.
ऐसे आया लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने का ख्याल: उन्होंने बताया कि उनके अंदर समाज सेवा की भावना हमीरपुर में हुए एक हादसे के बाद शुरू हुई थी. दरअसल पुलिस जवान हमीरपुर में एक लावारिस शव को जला रहे थे और इसी दौरान शांतनु कुमार भी वहां पहुंचे और उन्होंने पुलिस जवानों से बातचीत की. शांतनु बताते हैं कि यही वो पल था जब उनके मन में लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने की इच्छा (funeral of unclaimed dead bodies) उत्पन्न हुई. दरअसल उसी दौरान उन्हें पता चला कि पुलिस द्वारा लावारिस शवों को जला तो दिया जाता है लेकिन इनका हिंदू परंपरा के अनुसार अस्थि विसर्जन करने की कोई व्यवस्था नहीं है. यहीं से शांतनु कुमार के अंदर इस कार्य को करने की प्रेरणा जागृत हुई.
2790 पितरों का करेंगे सामूहिक महा श्राद्ध:शांतनु कुमार लावारिस शवों का अंतिम संस्कार के बाद अपने ही खर्च पर हरिद्वार जाकर हरकी पौड़ी ब्रह्मा कुंड में हिंदू शास्त्र के अनुसार पिंड दान करवाते हैं. वहीं, समाजसेवी शांतनु कुमार हरिद्वार में 25 सितंबर को 2790 पितरों का सामूहिक महा श्राद्ध (Shantanu Kumar will do Maha Shradh) करेंगे. उनकी कमाई का जरिया एक छोटी सी कपड़े की दुकान है, जिसकी आमदनी से वह समाज सेवा के कार्य करते हैं.