गया में जरूतमंदों को प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाती हैं बाराचट्टी विधायक ज्योति देवी गया: बिहार की हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा की विधायक ज्योति देवी अपने कुछ खास कामों को लेकर चर्चा में हैं. बिहार के गया जिले के बाराचट्टी की MLA ज्योति देवी महिला को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रही हैं. खास यह भी है कि महिलाओं की मजबूती के लिए वह अपने बेटे द्वारा संचालित संस्था में सहयोग भी करती हैं. इस संस्था के पीछे ज्योति देवी ही हैं जिन्होंने आसपास की महिलाओं को रोजगार से जोड़ने का सपना देखा था. लेकिन इसको मूर्त रूप तब मिला जब उनका बेटा NIFT हैदराबाद से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स पूरा करके गया लौटे.
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'छोटा कदम बड़ी सोच के लिए..' : रूपक कुमार बताते हैं कि वो जब हैदराबाद से लौटे तो ये देखा कि लोगों के पास कोई रोजगार के साधन नहीं है. वो चाहते तो बड़े शहर में फैशन डिजाइनिंग का काम करके मोटे पैकेज पर काम करके अपनी जिंदगी संवार सकते थे. लेकिन यहां के लोगों की गरीबी और बेरोजगारी देखकर ही ये मैने संस्था शुरू की. मेरी मां इस संस्था को बनाने की मार्गदर्शक हैं. मैने इस संस्था का नाम माता-पिता के शुरुआती नाम 'बाल ज्योति फाउंडेशन' रखा है. वहीं, MLA ज्योति देवी की बेटी रूपा कुमारी भी जेएनयू से इंटरनेशनल रिलेशन की मास्टर डिग्री लेकर अपने भाई का हाथ बंटा रहीं हैं. वो उद्यमी योजना से लोन लेकर सिलाई सेंटर पर महिलाओं को सिखाती हैं.
''मेरे पुत्र रूपक और पुत्री रूपा बोधगया में केंद्र चलाते हैं. मैं भी उनका सहयोग करती हूं. बापूजी का सपना था, खादी का. उन्होंने चरखा चलाया था. ताकि कम खर्चे में लोगों को बड़ा काम मिल सके, जो रोजगार के रूप में हो. हालांकि राज्य हो या केंद्र सरकार, दोनों ने इसका पूरे तौर पर लाभ नहीं उठाया है. सरकार अनिवार्य करे ताकि लोग स्वदेशी, खाकी अपना सकें और महिलाओं यानी समाज की आधी आबादी कही जाने वाली नारियों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके.''- ज्योति देवी, विधायक, बाराचट्टी विधानसभा
बांस से बना साज सज्जा और घरेलू उपयोग में आने वाला सामान खुद प्रशिक्षण देती हैं विधायक: हैंडलूम में आने वाली महिलाओं को खुद ज्योति देवी भी प्रशिक्षित करने का काम करती हैं. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए बुनियादी ट्रेनिंग भी खुद ही देती हैं. आज इनके सेंटर के माध्यम से 500 से ज्यादा महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी होकर स्वरोजगार से जुड़ चुकी हैं. कई महिलाओं की जिंदगी को ज्योति देवी और उनके परिवार की कोशिशों ने बदलने का काम किया है. इस काम में खुद ज्योति देवी मार्गदर्शक बनकर मदद कर रही हैं.
हैंडलूम में बने स्वदेशी कपड़े ''नाबार्ड की मदद से हम लोग बाराचट्टी में बैम्बो क्लस्टर बनाए हैं, जिसमें हम लोग 90 दीदी के साथ बेहतर डिजाइन का प्रोडक्ट तैयार कर रहे हैं. इसके बेहतर मार्केट के लिए नाबार्ड भी पर्चेज कर रही है. हम लोग एग्जीबीशन के माध्यम से भी इन प्रोडक्ट्स को बेचते हैं.''- रूपक कुमार, संस्था संचालक और विधायक के बेटे
महिलाओं को प्रशिक्षण देतीं बाराचट्टी विधायक ज्योति देवी पिछड़े इलाके में जगाई रोजगार की अलख : बिहार के पिछड़े और नक्सल प्रभावित माने जाने वाले बाराचट्टी में ये संस्था चल रही है. इसका उद्देश्य लोगों को बांस से निर्मित सामान बनाना, कपड़े, चटाई और हैंडलूम से जुड़े कामों की ट्रेनिंग देकर उनकी आर्थिक आजादी पर फोकस करना है. संस्था के जरिए अब तक हजारों युवतियां महिला स्वरोजगार से जुड़ रही हैं और अपना कैरियर संवार रही हैं. उनके बने सामानों को इस केंद्र में खरीद कर उसकी बिक्री बिहार ही नहीं, बल्कि दिल्ली तक की जा रही है.
नदी के कांस-कुश से बनी खूबसूरत डालिया "इलाके में कई ऐसी महिलाएं हैं जो मंदिरों के बाहर मांगने में अपना समय जाया करती हैं. आज कोई उन्हें रुपए देकर मदद कर देगा लेकिन कल क्या होगा. इसलिए समय मांगने में न गवां कर कुछ काम सीखकर पैसे कमाना चाहिए. इससे सम्मान भी मिलेगा और रोजगार भी. हमारी सोच ऐसी ही महिलाओं को जोड़ना है जो घरों में बेकार बैठी रहती हैं. हम इस संस्था के माध्यम से उन्हें ट्रैंड करके इस काबिल बना देते हैं कि वो अपने पैरों पर खड़ी हो सकें"- ज्योति देवी, हम विधायक, बाराचट्टी
गया में हैंडलूम देखने आए विदेशी मेहमान 'ट्रेनिंग के बाद बदल गई जिंदगी' : विधायक की ट्रेनिंग से आत्मनिर्भर बनी गौरी कुमारी बताती हैं कि ''हमारे विधायक ने महिलाओं के लिए सोचा है. यही वजह है, कि सैकड़ों महिलाएं आत्मनिर्भर बन रहीं हैं. मेरी ही स्थिति यह है कि यहां से ट्रेनिंग लेकर ट्रेंड हो चुकी हूं और 15 हजार रुपए महीने आसानी से कमा सकती हूं. इस तरह की सैकड़ों महिलाएं हैं, जो आत्मनिर्भर बन चुकीं हैं और बांस या फिर हैंडलूम से सामानों को बना रही हैं.''