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बिना साइकोलॉजिकल टेस्ट नहीं मिलेगा MBBS में एडमिशन, उत्तराखंड के इस मेडिकल कॉलेज का फैसला - Haldwani Government Medical College

हल्द्वानी राजकीय मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेने से पहले छात्रों को मनोरोग परीक्षा देना होगा. मेडिकल कॉलेज एडमिशन कमेटी की बोर्ड बैठक यह फैसला लिया गया है.

Haldwani Government Medica
बिना साइकोलॉजिकल टेस्ट नहीं मिलेगा MBBS में एडमिशन

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Published : Nov 2, 2022, 7:27 PM IST

हल्द्वानी:राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी में एडमिशन पाने वाले छात्रों को अब मनोरोग परीक्षा (psychiatric examination) से गुजरना होगा. मेडिकल कॉलेज एडमिशन कमेटी की बोर्ड बैठक (Medical College Admission Committee Board meeting ) में यह फैसला लिया गया है. ताकि एडमिशन के दौरान छात्रों की मानसिक स्थिति की जांच (Mental status check of students) की जा सके. जिसके बाद ही उनको एडमिशन दिया जाएगा.

हल्द्वानी राजकीय मेडिकल कॉलेज (Haldwani Government Medical College) के प्राचार्य डॉ. अरुण जोशी ने कहा एडमिशन कमेटी बोर्ड में इसका निर्णय लिया गया है. छात्रों के एडमिशन के समय कई ऐसी समस्या आती है, जहां छात्र मानसिक रूप से बीमार (student mentally ill) नजर आते हैं. पूर्व में इस तरह की समस्याएं काफी आ चुकी है. कई बार ऐसी समस्याएं आती है, जहां छात्रों की मानसिक बीमारी का पता नहीं चलता है. लेकिन परीक्षण के दौरान अब पता चल सकेगा कि छात्र मानसिक रूप या किसी अन्य बीमारी से ग्रसित है या नहीं. ऐसे में उस छात्र को इलाज देने के साथ-साथ उनको एडमिशन देने की प्रक्रिया की जाएगी.

बिना साइकोलॉजिकल टेस्ट नहीं मिलेगा MBBS में एडमिशन.
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डॉ. अरुण जोशी ने कहा कई बार ऐसी स्थिति सामने आती है कि कई छात्र मानसिक रूप के अलावा कई अन्य बीमारियों से ग्रसित होते हैं. इसकी जानकारी मेडिकल प्रशासन के पास नहीं होती है. ऐसे में समय रहते अगर छात्रों की बीमारी का पता चल सकेगा तो उनका उपचार भी हो सकेगा. उन्होंने कहा किसी भी छात्रों को एडमिशन से वंचित नहीं किया जा रहा है, लेकिन इस तरह के परीक्षण से छात्रों में होने वाली बीमारी का समय से इलाज हो सकेगा.

उन्होंने कहा पूर्व में कई ऐसी समस्या आई है, जहां कई छात्र मानसिक रूप से परेशान थे. जिनका बाद में इलाज भी कराना पड़ता था. ऐसे में अगर शुरुआती दौर में इन छात्रों में बीमारी का पता चल सकेगा तो उसका इलाज भी हो सकेगा. कई कॉलेजों में देखा जाता है कि छात्र मानसिक बीमारी होने के चलते अवसाद आकर में आकर कई आत्मघाती कदम भी उठा लेते हैं. ऐसे में छात्र को पर नजर रखने में भी मदद मिलेगी.

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