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जम्मू-कश्मीर: इस साल हज यात्रियों के लिए पर्याप्त कोटा - जम्मू कश्मीर हज यात्रा

Hajj 2024 Jammu Kashmir: जम्मू-कश्मीर से इस साल हज यात्रा की इच्छा रखने वाले लोगों को निराशा हाथ नहीं लगेगी क्योंकि केंद्र शासित प्रदेश के लिए पर्याप्त कोटा है.

Hajj 2024  Draw of lots for Jammu and Kashmir pilgrims is unlikely
जम्मू-कश्मीर: इस साल हज यात्रियों के लिए पर्याप्त कोटा

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 11, 2024, 6:52 AM IST

Updated : Jan 11, 2024, 7:10 AM IST

हज समिति के अधिकारी

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर हज समिति के कार्यकारी अधिकारी डॉ. शुजात अहमद कुरैशी ने दावा किया कि अब तक प्राप्त आवेदन के आधार पर केंद्र शासित प्रदेश के हजयात्रियों के लिए लॉटरी निकाले जाने की संभावना नहीं है. ईटीवी भारत के मुहम्मद जुल्करनैन जुल्फी के साथ एक विशेष बातचीत में कुरैशी ने कहा कि इस साल यहां के लिए करीब 11 हजार कोटा प्राप्त होगा जिसके लिए अब तक आवेदन सिर्फ 7,000 आवेदन आए हैं.

शुजात अहमद कुरैशी ने कहा कि भारतीय हज समिति प्रत्येक क्षेत्र की मुस्लिम आबादी के आधार पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अपना कोटा आवंटित करती है. भारत सरकार और सऊदी अरब सरकार के बीच एक द्विपक्षीय समझौते के बाद, इस वर्ष कुल 1,75,000 तीर्थयात्रियों को हज की पवित्र यात्रा पर जाने का अवसर मिलेगा. डॉ. कुरैशी ने खुलासा किया कि इस कोटा में से 30 प्रतिशत की सुविधा निजी टूर ऑपरेटरों द्वारा की जाएगी, जबकि शेष 70 प्रतिशत का प्रबंधन भारतीय हज समिति के माध्यम से किया जाएगा.

डॉ. कुरैशी ने उल्लेख किया कि जम्मू-कश्मीर को 9,000 का कोटा प्राप्त होने वाला है, पुनर्वितरण के माध्यम से अतिरिक्त 2,000 की उम्मीद है, जिससे कुल कोटा लगभग 11,000 तीर्थयात्रियों तक पहुंच जाएगा. वहीं, अब तक समिति को इस वर्ष हज के लिए कुल 7,000 आवेदन प्राप्त हुए हैं. इनमें से 6,800 ने आवेदन प्रक्रिया पूरी कर ली है. शेष 200 आवेदन अधूरे दस्तावेज के कारण लंबित हैं.

व्यवस्थाओं के बारे में डॉ. कुरैशी ने कहा कि मंत्रालय ने परिवहन के लिए निविदाएं जारी की हैं, जिससे केवल भारतीय और सऊदी एयरलाइंस को बोली प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति मिलती है. इन निविदाओं के आधार पर तीर्थयात्रियों के लिए हवाई किराया निर्धारित किया जाता है. पिछले साल प्रति तीर्थयात्री कुल लागत 3.95 लाख रुपये थी, जिसमें श्रीनगर से हवाई किराया 1.6 लाख रुपये था. इस साल समिति को हवाई किराए में थोड़ी राहत की उम्मीद है, जिससे कुल पैकेज लागत लगभग 3.80 लाख रुपये हो जाएगी. जम्मू-कश्मीर के तीर्थयात्रियों के पास दिल्ली या मुंबई से यात्रा करने का विकल्प भी है, जिससे संभावित रूप से लगभग 50,000 रुपये की बचत होगी.

डॉ. क़ुरैशी ने कोविड-19 महामारी के पिछले दो वर्षों के वित्तीय प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की. यह देखते हुए कि 2022 में जम्मू-कश्मीर से लगभग 6,000 तीर्थयात्रियों ने पवित्र यात्रा की जबकि 2023 में आवेदनों की संख्या बढ़कर 14,000 हो गई. उन्होंने लोगों के सामने आने वाली आर्थिक कठिनाइयों पर जोर दिया और बताया कि पासपोर्ट मुद्दों के कारण केवल 50 आवेदन लंबित हैं.

वर्तमान आंकड़ों के आधार पर डॉ. कुरैशी ने संकेत दिया कि जम्मू-कश्मीर के तीर्थयात्रियों के लिए ड्रॉ की संभावना नहीं है. आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 15 जनवरी है, आगे विस्तार की कोई उम्मीद नहीं है. आवेदन प्रक्रिया के बाद प्रशिक्षण सत्र निर्धारित किए जाएंगे. एक उल्लेखनीय घटनाक्रम में डॉ. क़ुरैशी ने खुलासा किया कि इस वर्ष प्रशिक्षकों पर कोई प्रतिबंध नहीं है. न केवल सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी बल्कि हज का अनुभव रखने वाला कोई भी व्यक्ति हज प्रशिक्षक बनने के लिए आवेदन कर सकता है. प्रत्येक 150 तीर्थयात्रियों के लिए एक प्रशिक्षक नियुक्त किया गया है.

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Last Updated : Jan 11, 2024, 7:10 AM IST

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