अजमेर. मुहर्रम के मौके पर अजमेर में हाईदौस खेलने की वर्षों पुरानी परंपरा है, जो आज भी जीवंत है. इस परंपरा के तहत द अंदरकोटियान पंचायत से जुड़े लोग तलवारे हाथ में लहराते बड़े घेरे में हाईदौस खेलते हुए कर्बला का मंजर पेश करते हैं. खास बात यह है कि हाईदौस की परंपरा के लिए प्रशासन एक दिन पहले ही अंदरकोटियान पंचायत के लोगों को सौ तलवारे वितरित करता है. वहीं, हाईदौस के बाद तलवारे प्रशासन को वापस कर दी जाती है. सबसे खास बात यह है कि हाईदौस देश में केवल अजमेर और पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के हैदराबाद में ही खेला जाता है.
दरअसल, मुहर्रम पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाया जाता है. वहीं, अजमेर दरगाह क्षेत्र स्थित अंदरकोट में बीते 800 सालों से मुहर्रम की 10 तारीख को हाईदौस खेला जाता है. शनिवार को द अंदरकोटियान पंचायत की ओर से दरगाह क्षेत्र के अंदरकोट में हाईदौस का आयोजन किया गया. जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग वहां एकत्रित हुए थे.
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इस दौरान हाइदौस खेलने के लिए प्रशासन ने एक दिन पहले द अंदरकोटियान पंचायत को 100 तलवारे और एक तोप दी थी. यह व्यवस्था अंग्रेजों के जमाने से ही बदस्तूर जारी है. आजादी से पूर्व अंग्रेज अधिकारी हाईदौस खेलने के लिए अंदरकोटियान पंचायत के पदाधिकारियों को तलवार वितरित किया करते थे, जिससे लोग हाईदौस खेलते थे और कर्बला के मंजर को पेश करते थे.
शनिवार को भी वर्षों पुरानी परंपरा का निर्वहन किया गया. इस दौरान लोग चीखते-चिल्लाते हाथों में तलवार थामे लहराते हुए बड़े से घेरे में हाईदौस खेलते नजर आए. दोपहर के दौरान त्रिपोलिया गेट से हाईदौस खेलते हुए सैकड़ों लोग नंगी तलवारें लहराने लगे, जो चीखते-चिल्लाते आगे बढ़े. बताया गया कि हाईदौस के जरिए अंदरकोट पंचायत के लोग अपनी भावना व्यक्त करते हैं. साथ ही इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं.
डोले शरीफ की निकाली सवारी - द अंदरकोटियान पंचायत के पदाधिकारी एसएम अकबर ने बताया कि हाईदौस के साथ ही डोले शरीफ की सवारी भी निकाली गई. इस गमजदा मौके पर ज्यादात्तर लोगों ने रोजा रखा. वहीं, कई लोगों ने छबील (प्याऊ) शर्बत और लंगर के रूप में खाना तकसीम (बांटा) किया. इस दौरान ढाई दिन के झोपड़े के समीप पूर्व शिक्षा राज्यमंत्री नसीम अख्तर, प्रशासनिक अधिकारी देविका तोमर, एसपी चुनाराम जाट समेत कई अधिकारी मौजूद रहे. हाईदौस के बीच कई बार तोप भी दागे गए और बावड़ी पंहुचने के बाद डोले शरीफ को ठंडा किया गया.