बेंगलुरु:कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर ने सोमवार को कहा कि राज्य में इन्फ्लुएंजा ए एच3एन2 प्रकार के वायरस के संक्रमण से घबराने की जरूरत नहीं है और लोगों को सावधानी बरतने के लिए जल्द ही दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि सभी अस्पतालों के स्वास्थ्य अमले को अनिवार्य रूप से फेस मास्क पहनने का निर्देश जारी कर दिया जाएगा. एच3एन2 वायरस के संक्रमण में अचानक आई तेजी को देखते हुए मंत्री ने सोमवार को तकनीकी सलाहकार समिति (विशेषज्ञों से बनी) और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की.
सुधाकर ने कहा कि केंद्र सरकार ने अपने दिशानिर्देशों में प्रति सप्ताह 25 परीक्षणों का लक्ष्य निर्धारित किया है और हम विक्टोरिया और वाणी विलासा अस्पतालों में वेरिएंट पर नज़र रखने के लिए SARI (गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण) और ILI (इन्फ्लूएंज़ा जैसी बीमारी) के 25 मामलों की जांच कर रहे हैं. यहां पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि संक्रमण 15 साल से कम उम्र के बच्चों में देखा जा सकता है और 65 साल से ऊपर के वरिष्ठ नागरिकों में भी, गर्भवती महिलाओं के संक्रमित होने की संभावना अधिक होती है.
उन्होंने कहा कि साफ-सफाई, भीड़भाड़ से बचाव और हाथों की सफाई जैसे उपायों से संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है. मंत्री ने आगे कहा कि इन्फ्लुएंजा टीकाकरण हर साल दिया जाता है और सभी स्वास्थ्य कर्मियों को इसे लेने का निर्देश दिया जाता है. आईसीयू में काम करने वालों सहित विशिष्ट डॉक्टरों और कर्मचारियों के लिए, सरकार द्वारा टीके दिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि यह टीका 2019 तक दिया गया था और बाद में कोविड के कारण बंद कर दिया गया था. अब यह सभी 31 जिलों में फिर से शुरू होगा.
सुधाकर ने कहा कि जनवरी से मार्च तक एच1एन1 के 20 मामलों का पता चला, एच3एन2 के 26 मामले, इन्फ्लुएंजा बी10 के 10 मामले और एडेनो के 69 मामले सामने आए थे. कई खुद एंटीबायोटिक की गोलियां ले रहे हैं. विशेषज्ञों ने कहा है कि बिना डॉक्टर की सलाह के दवाई लेना और अनावश्यक रूप से एंटीबायोटिक्स लेना सही नहीं है. उन्होंने कहा कि लक्षण के आधार पर दवा देनी होती है, दवा की कोई कमी नहीं है और जरूरी दवा का स्टॉक है.