नई दिल्ली :देश में इंफ्लुएंजा जैसी बीमारियों में तेजी आई है. अस्पतालों में भर्ती रोगियों में से लगभग 92% में बुखार, 86% में खांसी, 27% में सांस फूलना और 16% सांस में घरघराहट व अन्य 16% में निमोनिया के लक्षण हैं. ये मौसमी फ्लू या कोविड-19 महामारी के लक्षण नहीं हैं. दरअसल इस मौसम में इसकी मेन वजह H3N2 वायरस है. कर्नाटक में इस वायरस से एक बुजुर्ग की मौत हो गई है. हरियाणा में भी मौत का एक मामला सामने आया है.
वायरस चिंता की वजह इसलिए बना है क्योंकि इसकी वजह से सांस रोगियों में से 10 प्रतिशत को ऑक्सीजन सपोर्ट की आवश्यकता होती है जबकि 7% को ICU देखभाल की आवश्यकता होती है.
क्या लक्षण हैं?डब्ल्यूएचओ के अनुसार H3N2 वायरस के कुछ सामान्य लक्षण में ठंड लगना, खांसी, बुखार, जी मिचलाना, उल्टी, गले में दर्द/गले में खराश मांसपेशियों और शरीर में दर्द कुछ मामलों में, दस्त, छींक आना और नाक बहना हैं.
सामान्य फ्लू से कितना अलग :चार इन्फ्लूएंजा वायरस में से ए और बी फ्लू की मौसमी महामारी का कारण बनते हैं, जो एक श्वसन बीमारी है, जो हर साल होती है. कुछ इन्फ्लुएंजा ए सबवैरिएंट- H1N1 (या, स्वाइन फ्लू वायरस) और H3N2 - अधिक गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं.
H3N2 इन्फ्लुएंजा क्या है? : एच3एन2 इन्फ्लुएंजा वायरस 1968 में मनुष्यों में फैलना शुरू हुआ और तब से काफी देशों में ये पाया जा चुका है. आमतौर पर H3N2 वायरस के कारण मौसमी बुखार और ज्यादा गंभीर हो जाता है. आम तौर पर इससे बुजुर्ग और बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं.
साइंस मैगजीन नेचर में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक H3N2 वायरस संक्रमण गैर-बेअसर करने वाले H3N2 एंटीबॉडी बनाता है. खासकर मध्यम आयु वर्ग के व्यक्तियों में. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि 50 से ज्यादा और 15 वर्ष से कम उम्र के लोग ज्यादा असुरक्षित हैं. इसके फैलने का मुख्य कारण वायु प्रदूषण हो सकता है.
वायरस कैसे फैलता है? :H3N2 इन्फ्लुएंजा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में खांसने, छींकने या किसी संक्रमित व्यक्ति द्वारा बात करने पर निकलने वाली बूंदों के माध्यम से फैल सकता है. यह किसी ऐसी सतह के संपर्क में आने के बाद अपने मुंह या नाक को छूते समय भी फैल सकता है जिस पर वायरस हो.
आईएमए ने ये दिया सुझाव :भारत में फ्लू के मामलों में वृद्धि के बीच आईएमए ने एंटीबायोटिक दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल से बचने की सलाह दी है. इसमें कहा गया है कि कई लोग मौसमी इन्फ्लूएंजा के कारण होने वाले बुखार और खांसी में खुद एंटीबायोटिक्स ले रहे हैं. आईसीएमआर का कहना है कि एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल डॉक्टरों के परामर्श के बाद ही करना चाहिए.
आईएमए के मुताबिक कुछ मामलों में खांसी, मितली, उल्टी, गले में खराश, बुखार, शरीर में दर्द और दस्त के लक्षण वाले रोगियों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है. बुखार 3 दिन में खत्म हो जाता है, जबकि खांसी 3 सप्ताह तक बनी रह सकती है. इसके साथ ही डॉक्टरों ने सलाह दी है कि बुजुर्गो, बच्चों और गर्भवती महिलाओं के संक्रमित होने का ज्यादा खतरा है इसलिए वह बाहर निकलते समय सावधानी बरतें.
क्या सावधानियां बरतनी हैं?वायरस के अटैक के बाद सांस लेने में दिक्कत होती है. ऐसे में पल्स और ऑक्सीमीटर की मदद से ऑक्सीजन लेवल चेक करते रहें अगर ऑक्सीजन लेवल 95 प्रतिशत से कम है, तो डॉक्टर के पास जाना जरूरी है. यदि ऑक्सीजन लेवल 90 प्रतिशत से कम है, तो गहन देखभाल की आवश्यकता हो सकती है. ऐसी दिक्कत होने पर खुद से उपचार करने से बचें.
इन्हें अपनी आदत में शुमार करें :अपने हाथों को नियमित रूप से पानी और साबुन से धोएं. फेस मास्क पहनें. भीड़ वाली जगहों में जाने से बचें. अपनी नाक और मुंह को छूने से बचें. खांसते और छींकते समय अपनी नाक और मुंह को अच्छी तरह से ढक लें. खूब पानी पीएं और खूब सारे तरल पदार्थों का सेवन करें.
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