हैदराबाद: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी विवाह पूजन का आयोजन विशेष महत्व रखता है. तुलसी विवाह का आयोजन कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है. कुछ मान्यताओं के अनुसार इसे कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी को भी किया जाता है. तुलसी विवाह पूजन का आयोजन करने से सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है एवं व्यक्ति को कन्यादान के समान पुण्य फल प्राप्त होता है. मान्यता है कि तुलसी विवाह पूजन का आयोजन करने से वैवाहिक जीवन मजबूत होता है, इसलिए सुहागिन स्त्रियों को अवश्य ही तुलसी विवाह का आयोजन करना चाहिए.
इस वर्ष कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी 23 नवंबरको है इसी दिन भगवान श्री हर विष्णु चार महीने की योगनिद्रा के बाद जागते हैं और इसी दिन से धरती पर सभी शुभ मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो जाती है. कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवोत्थान या देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है. Devotthan Ekadashi के दिन शुभ मुहूर्त में तुलसी माता का भगवान श्री हरि के शालिग्राम स्वरूप के साथ विवाह संपन्न कराया जाता है.
आईए जानते हैं तुलसी विवाह आयोजन की विधि
इस दिन सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान श्री हरि विष्णु माता लक्ष्मी और तुलसी माता का तुलसी माता की पूजा करें यदि संभव हो तो किसी मंदिर में जाकर भगवान श्री हरि विष्णु का दर्शन पूजन करें. शाम के समय तुलसी विवाह के लिए गन्ने से एक मंडप बनाएं बनाएं वह इसे सजा इसके बाद तुलसी के गमले को भी रंग-रोगन आदि करके फूलों से सजाएं. Tulsi Vivah 2023का आयोजनआज द्वादशी तिथि 24 नवंबर के दिन शाम 07:06 तक कर सकते हैं.