वाराणसी: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में हिंदूवादी पक्ष में पड़ी फूट के बाद मामला और भी गंभीर होता दिखाई दे रहा है. बीते दिनों विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह बिसेन ने सारे मुकदमों से अपना नाम वापस लेने का ऐलान किया तो उनकी भतीजी और मुकदमे की मुख्य वादिनी राखी सिंह ने राष्ट्रपति को खुला खत लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग कर डाली. अब एक नया मोड़ इस प्रकरण में आया है. कुंडा प्रतापगढ़ राजघराने के बड़े राजा उदय प्रताप सिंह की इस मामले में एंट्री हुई है. उदय प्रताप सिंह ने दिल्ली में परिवार से मुलाकात करके ज्ञानवापी प्रकरण में मुख्य पैरोकार बनने की इच्छा जाहिर की है. जिस पर जितेन सिंह बिसेन परिवार की सहमति के बाद अब इस प्रकरण में वह मुख्य पैरोकार की भूमिका में नजर आएंगे.
कुंडा-प्रतापगढ़ राजघराने के बड़े राजा उदय प्रताप सिंह ने दिल्ली में विश्व वैदिक सनातन संघ के संस्थापक व प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन के आवास पर जाकर उनके परिवार से मुलाकात कर ज्ञानवापी प्रकरण पर विस्तृत चर्चा की है. यह चर्चा लगभग दो घंटे चली है. राजा उदय सिंह ने विसेन परिवार से चर्चा करने के बाद ज्ञानवापी से संबंधित मुकदमों की पैरवी का दायित्व स्वयं उठाने का निर्णय लिया है. उनके इस निर्णय का स्वागत और सम्मान करते हुए, बिसेन परिवार ने ज्ञानवापी के पैरोकार का दायित्व महाराजा उदय प्रताप सिंह को सौंपने का निर्णय लिया है.
महाराजा उदय प्रताप सिंह ने बिसेन परिवार को आश्वस्त करते हुए वचन दिया कि ज्ञानवापी का मुकदमा हिंदुओं के पक्ष में आए इसके लिए हर उचित कदम उठाए जाएंगे. किसी को ज्ञानवापी न तो बेचने दिया जाएगा और न ही सनातनी हिंदुओं की भावना से किसी प्रकार का खिलवाड़ करने दिया जाएगा. जितेंद्र सिंह बिसेन ने एक मैसेज जारी करके ये जानकारी दी है.