वाराणसी: ज्ञानवापी परिसर का सर्वे सोमवार सुबह 7 बजे शुरू हुआ, जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रोक दिया गया है. ज्ञानवापी परिसर के सर्वे के लिए एएसआई की टीम सुबह परिसर के अंदर गई थी. वाराणसी, दिल्ली, पटना, आगरा और लखनऊ की एएसआई टीम अंदर मौजूद थी. दिल्ली की टीम के अस्सिस्टेंट डायरेक्टर टीम को लीड कर रहे थे. टीम में कुल 20 सदस्य थे. कुल 43 लोग अंदर मौजूद थे. वहीं, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी यासीन ने कहा कि उन्हें कोई नोटिस नहीं मिला था. इसलिए, उन्होंने सर्वे का बहिष्कार किया. वहीं, कमिश्नर ने मीडिया को जानकारी दी कि सर्वे का काम रोक दिया गया है. उन्होंने बताया कि 26 जुलाई शाम 5 बजे तक सर्वे की कार्यवाही नहीं होगी.
इससे पहले कमिश्नर कौशल राज शर्मा ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था कि सुबह 7 बजे से शुरू हुआ ईएसआई का सर्वे शाम 5 बजे तक जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि अभी सिर्फ फिजिकल सर्वे की कार्यवाही चल रही है, जो आने वाले चार-पांच दिनों तक चलती रहेगी. उन्होंने बताया कि एएसआई के अधिकारियों ने बताया है कि जगह काफी बड़ी है. इसलिए, अभी किसी भी तरह की तकनीकी या अन्य तरह का प्रयोग नहीं किया जा रहा है. अभी 5 से 6 दिन तक सिर्फ फिजिकल सर्वे की कार्यवाही की जाएगी. उसके बाद यह डिसाइड होगा कि कौन सी तकनीक से अंदर सर्वे का काम किया जाएगा.
उन्होंने यह भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कोई सूचना हमारे पास नहीं आई है. उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार के वकील अंदर मौजूद हैं. उनके द्वारा कोई भी सूचना दिए जाने के बाद ही हम यह बता पाएंगे कि आगे क्या होगा. लेकिन, कोर्ट की तरफ से दिए गए आदेश की कोई भी जानकारी अब तक जिला प्रशासन को नहीं मिली है. इसलिए, सर्वे का काम शाम 5 बजे तक जारी रहेगा.
वाराणसी ज्ञानवापी परिसर में सर्वे रुकने के बाद वादी महिलाएं और उनके वकील बाहर निकले. मीडिया से बातचीत करते हुए वकील सुभाष चंद्र चतुर्वेदी के अलावा वादिनी लक्ष्मी देवी और सीता साहू ने बताया कि आज सुबह 7 बजे से शुरू हुई सर्वे की कार्यवाही बहुत ही अच्छे तरीके से चल रही थी. सीता साहू का कहना है कि मुस्लिम पक्ष की तरफ से जरा सी भी सहयोग की भावना नहीं दिखाई गई. मुस्लिम पक्ष की तरफ से कोई शामिल नहीं हुआ.
उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष ने मस्जिद का गेट ही नहीं खोला. इसकी वजह से अंदर दाखिल नहीं हो पाए. एएसआई की टीम ने चार अलग-अलग हिस्सों में खुद को बांटकर इस सर्वे की कार्यवाही पूरी की. पूरे परिसर की नाप करने के बाद एक मशीन के जरिए दीवानों की उम्र पता लगाने की कोशिश की जा रही थी. इसके अलावा अन्य मशीनें लगाने का काम किया जा रहा था. लेकिन उसके पहले ही सुप्रीम कोर्ट का आदेश आ गया. इसके बाद कार्यवाही रोक दी गई. अनुपम द्विवेदी ने बताया कि पश्चिमी दीवार, पूर्वी दीवार सहित चारों दीवारों की नापी करने के अलावा एक तकनीक मशीन के जरिए इसका सैंपल लिया गया. कहीं कोई खुदाई का काम नहीं किया गया. फिलहाल, 26 जुलाई शाम 5 बजे तक सर्वे के काम को रोक दिया गया है. आज 12 तक सर्वे का काम किया गया.
मसाजिद कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेट्री यासीन का कहना है कि लीगल प्रोसीजर कहीं से भी फॉलो नहीं किया गया है. हमारा मामला सर्वोच्च न्यायालय में आज सुना जाना है. लेकिन, इस मामले में तो लग रहा है, जैसे सारी संस्थाएं सर्वोच्च न्यायालय से भी ऊपर हो चुकी हैं. उन्होंने कहा कि उन्हें उनकी बात रखने का मौका दिया ही नहीं जा रहा है. सब कार्यवाही एक तरफ ही की जा रही है. इसलिए, यह कहीं से उचित नहीं है. यही वजह है कि उनका कोई भी मेंबर इस कार्यवाही में शामिल नहीं हो रहा है. वे इसका विरोध करते हैं.
अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के सेक्रेटरी और मुफ्ती ए शहर अब्दुल बातिन नोमानी ने बहिष्कार का एलान किया है. उनका कहना है कि सारे कार्य नियम विरुद्ध किए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि एएसआई अपने आप को सुप्रीम कोर्ट से भी ऊपर समझने लगी है. दरअसल, ज्ञानवापी परिसर में सर्वे की कार्यवाही से पहले कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि दोनों पक्षों की सहमति के बाद सर्वे की कार्यवाही एएसआई द्वारा की जाएगी. अब्दुल बातिन नोमानी का कहना है कि उन्होंने रविवार रात को ही इस संदर्भ में अधिकारियों से मुलाकात करके लिखित तौर पर यह शिकायत की थी कि आज सर्वे की कार्यवाही न करवाई जाए. इसका उन्हें आश्वासन भी मिला था.
उन्होंने कहा कि अधिकारियों ने कहा था कि वे उनकी बातों को ऊपर तक पहुंचा देंगे. उन्होंने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद थी कि आज मामला सुप्रीम कोर्ट में होने की वजह से सर्वे की कार्यवाही नहीं की जाएगी. अब्दुल बातिन नोमानी का कहना है कि सर्वे की कार्यवाही के लिए वे मना नहीं कर रहे हैं, बल्कि उन्होंने कहा था कि सोमवार के लिए इसे टाल दिया जाए. क्योंकि उनकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होनी है. लेकिन, उनकी बातों को नजरअंदाज करके सर्वे की कार्यवाही करने के लिए एएसआई की टीम पहुंच गई. अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा कि इसलिए जब उनका मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो उस कार्यवाही में क्यों शामिल होंगे. इसलिए, उन्होंने इसका बहिष्कार कर दिया है. उनका कहना है कि अब सुप्रीम कोर्ट में जो भी निर्णय आता है, उसके बाद उनकी कमेटी के लोग बैठकर निर्णय करेंगे कि उन्हें आगे क्या करना है.