नई दिल्ली : अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी ने ज्ञानवापी मस्जिद में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) सर्वेक्षण की अनुमति देने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ गुरुवार को उच्चतम न्यायालय का रुख किया. अधिवक्ता निजाम पाशा ने तत्काल सुनवाई के लिए प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ के समक्ष मामले का उल्लेख किया. प्रधान न्यायाधीश अनुच्छेद 370 मुद्दे पर दलीलें सुनने वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे हैं.
पाशा ने कहा, "इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने आज एक आदेश पारित किया है. हमने आदेश के खिलाफ एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर की है. मैंने (तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए) एक ईमेल भेजा है. उन्हें सर्वेक्षण की कार्यवाही आगे नहीं बढ़ानी चाहिए." प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "मैं तुरंत ईमेल देखूंगा." हिंदू पक्ष के एक पक्ष ने उच्चतम न्यायालय में एक कैविएट भी दायर की है जिसमें कहा गया है कि इस मामले में उन्हें सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाए.
इधर, आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि हमें उम्मीद है कि न्याय होगा क्योंकि यह मस्जिद करीब 600 साल पुरानी है और मुसलमान पिछले 600 सालों से वहां नमाज अदा करते आ रहे हैं. हम भी चाहते हैं कि देश के सभी पूजा स्थलों पर प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट लागू हो. कोर्ट के आदेश का हम लोग अमल करेंगे. कोर्ट ने कहा कि उस स्थल पर खुदाई न हो. मुस्लिम पक्ष के सामने एक आप्शन है कि इस मामले को सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी जाए जिससे कुछ राहत मिल सके.