दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

ज्ञानवापी परिसर की ASI सर्वे रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के मामले में नहीं हो सकी सुनवाई, अब 3 जनवरी को होगा फैसला

ज्ञानवापी परिसर की ASI सर्वे पूरा करने के बाद इसकी रिपोर्ट (Survey Report public Court Judgment ) भी कोर्ट में दाखिल कर दी गई है. इस रिपोर्ट को अभी गोपनीय रखा गया है. हिंदू पक्ष इसे सार्वजनिक करने की मांग कर रहा है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसका विरोध कर रहा है.

े्पप
िप्े

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 21, 2023, 9:37 AM IST

Updated : Dec 22, 2023, 6:24 AM IST

वाराणसी : ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वे (आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया) करने के बाद 18 दिसंबर को इसकी रिपोर्ट भी कोर्ट में दाखिल कर दी गई है. अभी तक रिपोर्ट की हकीकत बाहर नहीं आ पाई है. सील बंद पैकेट और लिफाफे में रखकर साक्ष्यों की लिस्ट कोर्ट में जमा की गई है. हिंदू पक्ष रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग कर रहा है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसके विरोध में है. इसे लेकर प्रार्थना पत्र भी डाल दिया है. हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने एक एप्लीकेशन के जरिए पूरी रिपोर्ट की कॉपी मांगी है. वहीं चार वादी महिलाओं की तरफ से भी कोर्ट से रिपोर्ट सार्वजनिक करने की अपील की गई है. सर्वे रिपोर्ट पब्लिक डोमेन में जाएगी या नहीं, कोर्ट इस पर गुरुवार को सुनवाई होनी थी, जो टल गई है.

बता दें कि वाराणसी के कचहरी में बनारस बार एसोसिएशन के चुनाव की वजह से वकीलों ने बायकाट किया है. जिसकी वजह से मुस्लिम पक्ष के अंजुमन इंतजामियां मस्जिद कमेटी के वकीलों ने भी इसका विरोध किया है. उनका कहना था हम बायकाट का समर्थन कर रहे हैं. इसलिए हम इस बहस में शामिल नहीं हो पाएंगे. इसके बाद कोर्ट ने दोनों पक्षों की सहमति के आधार पर इस मामले में कोर्ट ने 3 जनवरी को सुनवाई के लिए तिथि निर्धारित की है.

दो हिस्सों में दाखिल की गई थी रिपोर्ट :वाराणसी के जिला जज अजय कृष्णा विशेष की अदालत में 18 दिसंबर को एएसआई ने लगभग 90 दिन के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के 37 दिन बाद 1000 से ज्यादा पन्नों की रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की. कोर्ट में दाखिल हुई रिपोर्ट दो हिस्सों में है. पहले हिस्से की मोटी तगड़ी फाइलों वाली रिपोर्ट सफेद रंग के सील बंद पैकेट में कोर्ट के टेबल पर रखी गई, जबकि एक पीले रंग के लिफाफे में सर्वे के दौरान मिले 250 साक्ष्य थे, जिनमें टूटी मूर्तियां, कलश और अन्य चीजों की पूरी लिस्ट थी. सबसे बड़ी बात यह है कि इन चीजों के कोर्ट में दाखिल होने के बाद अब सरगर्मी बढ़ गई है. रिपोर्ट पब्लिक डोमेन में लाने को लेकर वादी पक्ष काफी एक्टिव हो गया है.

रिपोर्ट को गोपनीय रखने पर जोर दे रहा मुस्लिम पक्ष :वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन और सुधीर त्रिपाठी का कहना है कि पूरी कार्रवाई की रिपोर्ट को पब्लिक डोमेन में आना ही चाहिए. रिपोर्ट में क्या है और अंदर क्या चीज मिली है, यह सारी बातें सभी को पता होनी चाहिए. वहीं, मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतजामियां मस्जिद कमेटी की तरफ से इस पर आपत्ति भी दाखिल की गई है. मस्जिद कमेटी ने स्पष्ट तौर पर कोर्ट से अपील की है कि दाखिल की गई रिपोर्ट किसी भी हाल में पब्लिक डोमेन में न आने पाए. इसकी कॉपी सिर्फ वादी और प्रतिवादी पक्ष व उसके अधिवक्ता जो संबंधित हो उनको ही दी जाए. हालांकि, इसका विरोध वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन की तरफ से किया गया है. उन्होंने कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर इस रिपोर्ट की कॉपी अपने मेल आईडी पर उपलब्ध करवाने को कहा है. वादी पक्ष के अधिवक्ता का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रिपोर्ट बिना सील बंद लिफाफे में दाखिल होनी चाहिए थी, उसका उल्लंघन किया गया है. वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि इस मामले में रिपोर्ट टॉप सीक्रेट होनी चाहिए और कोर्ट को इसे सार्वजनिक नहीं करने देना चाहिए. मुस्लिम पक्ष ने प्रार्थना पत्र देकर ईमेल के जरिए रिपोर्ट की मांग की है.

दो नवंबर को पूरा हो गया था परिसर का सर्वे :ज्ञानवापी परिसर के पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई सर्वे का काम 2 नवंबर को ही पूरा हो गया था. इसके बाद रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कोर्ट ने एएसआई को 17 नवंबर तक का वक्त दिया था. इसके बाद भी कई बार तारीख पड़ने के बावजूद रिपोर्ट सबमिट नहीं हो पाई. आखिरी बार 11 दिसंबर को रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कोर्ट की तरफ से आदेश दिया गया था, लेकिन, उस दिन भी रिपोर्ट सबमिट नहीं हो पाई. आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया के वकील की तरफ से मेडिकल ग्राउंड पर एक सप्ताह का अतिरिक्त समय मांगा गया था. एएसआई ने अपनी एप्लीकेशन में कहा था कि एएसआई के सुपरिटेंडेंट अविनाश मोहंती की तबीयत ठीक नहीं है. ब्लड प्रेशर बढ़ने के कारण वह कोर्ट में उपस्थित होकर रिपोर्ट सबमिट करने में असमर्थ हैं. लिहाजा एएसआई को एक सप्ताह का और समय दिया जाए. इस पर कोर्ट ने 18 दिसंबर को रिपोर्ट सबमिट करने का आदेश दिया था. इसके बाद 18 को रिपोर्ट दाखिल कर दी गई थी.

21 जुलाई से शुरू किया था सर्वे :माना जा रहा है कि 21 जुलाई के सर्वे आदेश के बाद 4 अगस्त से शुरू हुए सर्वे में मिली एक-एक जानकारी को रिपोर्ट में समाहित किया गया है. एएसआई ने 21 जुलाई को वाराणसी के जिला जज न्यायालय से आदेश मिलने के बाद सर्वे की कार्रवाई शुरू की थी. बीच में मामला सुप्रीम कोर्ट में होने की वजह से इस पर रोक लगा दी गई थी. हाईकोर्ट में इसकी सुनवाई फिर से शुरू हुई तो आदेश के बाद 4 अगस्त से यह सर्वे लगातार जारी रहा. जिसमें ज्ञानवापी के गुंबद से लेकर परिसर में मौजूद व्यास जी के तहखाने, मुस्लिम पक्ष के तहखाने और अन्य हिस्सों की जांच एएसआई की टीम लगातार करती रही. वैज्ञानिक रिपोर्ट जमा करने के लिए एएसआई की टीम को पहले 4 सितंबर तक का वक्त दिया गया था, लेकिन कोर्ट से उन्होंने अतिरिक्त समय मांगा और कोर्ट ने 6 सितंबर को इसमें अतिरिक्त वक्त देते हुए रिपोर्ट 17 नवंबर को दाखिल करने का आदेश दिया लेकिन इस दिन भी रिपोर्ट तैयार न होने की बात करते हुए 10 दिन का अतिरिक्त समय लिया और 28 नवंबर को रिपोर्ट सबमिट करने की अपील की लेकिन रिपोर्ट उस दिन भी दाखिल नहीं हो सकी. 30 नवंबर को कोर्ट ने 11 दिसंबर तक रिपोर्ट सबमिट करने के लिए कहा लेकिन, इस दिन भी मेडिकल ग्राउंड पर रिपोर्ट सबमिट नहीं हो पाई थी.

पांच हिंदू महिलाओं की मांग पर सर्वे के आदेश किए गए थे जारी :जिला न्यायालय ने पांच हिंदू महिलाओं की तरफ से वजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण की मांग पर यह आदेश जारी किया था. इसका अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी लगातार विरोध करती रही, लेकिन सर्वे की कार्रवाई जारी रही. मीडिया कवरेज को देखते हुए मुस्लिम पक्ष ने इस पर विरोध किया कि अंदर क्या मिल रहा है और सर्वे की कार्रवाई कैसी चल रही है, इसे लेकर भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है. इसके बाद कोर्ट ने मीडिया कवरेज को व्यवस्थित और सही तरीके से करने का आदेश दिया, तब से सर्वे की कार्रवाई जारी थी.

पिछले साल भी मिले थे काफी साक्ष्य :वैज्ञानिक विधि से ज्ञानवापी में सर्वे की कार्रवाई शुरू होने से पहले पिछले साल भी बहुत से साक्ष्य हाथ लगे थे. इस दौरान वकील, कमिश्नर की नियुक्ति के साथ ही यहां पर वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी हुई थी. दीवारों पर त्रिशूल, कलश, कमल, स्वास्तिक के निशान मिलने के साथ ही तहखाने में बहुत सी खंडित मूर्तियों के मिलने का दावा किया गया. जिसके बाद इस बार के सर्वे में इन सारी चीजों को सुरक्षित और संरक्षित करने की मांग कोर्ट से की गई थी. जिसे कोर्ट ने महत्वपूर्ण साक्ष्य मानते हुए जिला मजिस्ट्रेट वाराणसी की निगरानी में इन सारे साक्ष्यों को सुरक्षित रखने का आदेश दिया. जिसे बाद में सर्वे पूर्ण होते ही एएसआई की टीम ने सुरक्षित रखवाया. जिसमें 250 से ज्यादा साक्ष्य जुटाए गए हैं.

यह भी पढ़ें :ज्ञानवापी सर्वे की रिपोर्ट सबमिट: ASI ने खंडित मूर्तियों के साथ 250 अवशेष की लिस्ट भी कोर्ट को सौंपी

Last Updated : Dec 22, 2023, 6:24 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details