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ज्ञानवापी मामलाः शिवलिंग की कार्बन डेटिंग की मांग खारिज, वादी पक्ष जाएगा सुप्रीम कोर्ट

वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के वजूखाने में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग या वैज्ञानिक जांच को लेकर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है.

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Published : Oct 14, 2022, 11:13 AM IST

Updated : Oct 14, 2022, 7:01 PM IST

वाराणसी:ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में शुक्रवार को जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में कथित शिवलिंग के कार्बन डेटिंग की मांग को लेकर हिंदू पक्ष की तरफ से की गई अपील को खारिज कर दिया गया है. वहीं, पक्षकार बनने को लेकर दी गई तमाम याचिकाओं पर कोर्ट ने 17 अक्टूबर को अगली सुनवाई के लिए निर्धारित किया है.

ऑर्डर कॉपी.

वादी राखी सिंह के वकील अनुपम त्रिवेदी ने बताया कि कार्बन डेटिंग या वैज्ञानिक विधि से जांच की मांग को लेकर जो मांग की गई थी उसे कोर्ट ने यह कहकर खारिज किया है कि मई में सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में जिस स्थान पर कथित शिवलिंग मिला था उसे सील कर उसकी सुरक्षा का आदेश दिया है. कार्बन डेटिंग विधि से पत्थर में क्षरण और अन्य तरह का नुकसान पहुंच सकता है, जो लोगों की भावनाओं को आहत कर सकता है. इन्हीं बातों को कहते हुए कोर्ट ने इस अपील को खारिज कर दिया है.

जानकारी देते वकील अनपुम द्विवेदी.

वादिनी सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक और लक्ष्मी देवी के एडवोकेट मदन मोहन यादव ने कहा कि कोई आसमान नहीं गिर पड़ा है. हम कोर्ट के ऑर्डर का अध्ययन कर आपस में विचार विमर्श करेंगे. हमारे लिए जिला अदालत से ऊपर की अदालत के दरवाजे खुले हुए हैं. कोर्ट ने कहा है कि ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग का कोई सर्वेक्षण, परीक्षण नहीं होगा. यह किसी की हार या जीत नहीं है. एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान कोर्ट के आदेश कई बार आते रहते हैं. हमारी लीगल टीम इस पर चर्चा कर जल्द ही आगे की रणनीति तय करेगी.

जानकारी देते अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन.

अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के एडवोकेट मोहम्मद तौहीक खां ने कहा कि जिला जज की कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश और आम जनता की धार्मिक भावना को ध्यान में रखते हुए कार्बन डेटिंग या किसी अन्य वैज्ञानिक पद्धति से कथित शिवलिंग की जांच की मांग खारिज कर दी है. हमने वादिनी महिलाओं की मांग का इसी आधार पर विरोध किया था कि कथित शिवलिंग की जांच की मांग मुकदमे से संबंधित नहीं है. यहां तो सिर्फ पूजा का अधिकार मांगा गया था. अदालत ने हमारी बातों को सही पाया और आदेश पढ़ कर सुनाया. हम अदालत के आदेश से खुश हैं.

जिला जज की तरफ से दिए गए आदेश के बाद वादी पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि हम पहले सुप्रीम कोर्ट ही गए थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने हमें सिविल कोर्ट जाकर अपनी बात रखने के लिए कहा था. जिसके बाद हम वहां से यहां आए थे, लेकिन यहां सिविल जज ने 17 मई 2022 को को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से वजू खाने को सील कर उसकी सुरक्षा करने के आदेश का हवाला देते हुए कार्बन डेटिंग और वैज्ञानिक विधि से जांच की मांग को खारिज कर दिया. जिसके बाद अब हम फिर से सुप्रीम कोर्ट की शरण में जाएंगे और इस आदेश को चैलेंज देंगे.

गौरतलब है कि मसाजिद कमेटी ने इस संदर्भ में अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा था कि कथित शिवलिंग की वैज्ञानिक जांच की कोई जरूरत नहीं है. कारण यह कि हिंदू पक्ष ने अपने केस में ज्ञानवापी में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष देवी-देवताओं की पूजा की मांग की थी. फिर यह शिवलिंग की जांच की मांग क्यों कर रहे हैं? हिंदू पक्ष ज्ञानवापी में कमीशन द्वारा सबूत इकट्‌ठा करने की मांग की थी. सिविल प्रक्रिया संहिता में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है.

16 मई 2022 को एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे के दौरान मिली आकृति पर असमंजस है और उससे संबंधित आपत्ति का निपटारा भी नहीं हुआ है. 17 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने भी कथित शिवलिंग मिलने वाली जगह को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिए कहा है. ऐसे में वहां खुदाई या अलग से कुछ भी करना उचित नहीं होगा.

हिंदू पक्ष की वादिनी महिलाओं का कहना है कि हमारे मुकदमे में दृश्य या अदृश्य देवता की बात कही गई है. सर्वे के दौरान मस्जिद के वजूखाना से पानी निकाले जाने पर अदृश्य आकृति दृश्य रूप में दिखी. ऐसे में वह मुकदमे का हिस्सा है. आकृति को नुकसान पहुंचाए बगैर उसकी और उसके आसपास के एरिया की वैज्ञानिक पद्धति से जांच विशेषज्ञ टीम से कराया जाना जरूरी है. ताकि, आकृति की आयु, उसकी लंबाई-चौड़ाई और गहराई का वास्तविक रूप से पता लग सके. बीती 11 अक्टूबर को दोनों पक्ष की बहस खत्म हुई तो कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रखते हुए सुनवाई की अगली डेट 14 अक्टूबर तय की थी.

अगस्त 2021 में विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन के नेतृत्व में दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक व लक्ष्मी देवी ने सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया था. पांचों महिलाओं ने मांग की थी कि ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी के मंदिर में नियमित दर्शन-पूजन की अनुमति मिले. इसके साथ ही ज्ञानवापी परिसर स्थित अन्य देवी-देवताओं के विग्रहों की सुरक्षा के लिए मुकम्मल इंतजाम हो. कोर्ट ने मौके की स्थिति जानने के लिए कमीशन गठित करते हुए अधिवक्ता कमिश्नर नियुक्त करने और 3 दिन के अंदर पैरवी का आदेश दिया था. इसके विरोध में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी का कहना था कि श्रृंगार गौरी केस सुनवाई के योग्य नहीं है. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के क्रम में वाराणसी के जिला जज की कोर्ट ने आदेश दिया कि श्रृंगार गौरी केस सुनवाई योग्य है.

वहीं ज्ञानवापी से जुड़े मामले में एक और महत्वपूर्ण याचिका कल दायर की गई है. याचिका दायर करने वाले प्रभु नारायण कोई आम इंसान नही हैं, बल्कि वो एक साइंटिस्ट हैं, जो झारखंड के रहने वाले हैं. इंडियन साइंटिफिक रिसर्च सेंटर और फेलोशिपर सेंटर के चेयरमैन भी हैं. ज्ञानवापी परिसर में मिले तथाकथित शिवलिंग से जुड़ा साक्ष्य वैज्ञानिक प्रमाण वाला पेश करेंगे.

याचिका से जुड़े अधिवक्ता अनुपम द्विवेदी ने बताया ये याचिका सभी केस के लिए बैक बोन साबित होगा. झारखंड के धुर्वा के रहने वाले पर्यावरणविद प्रभु नारायण ने मांग की है कि ज्ञानवापी परिसर में मौजूद श्रृंगार गौरी भगवान गणेश हनुमान समेत अन्य देवी-देवताओं के नियमित दर्शन पूजन सांस्कृतिक विरासत को सहेजने के लिए वहां बनी मस्जिद को हटाकर मंदिर बनाया जाए. वहां गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगाई जाए, प्रभु नारायण की ओर से उनके वकील अनुपम द्विवेदी ने बताया कि अदालत में वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर उनके द्वारा सबूतों को पेश करके अपनी जमीनों को आगे बढ़ाया जाएगा.

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Last Updated : Oct 14, 2022, 7:01 PM IST

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