ग्वालियर। मध्य प्रदेश की एक विख्यात यूनिवर्सिटी जो कि वर्तमान में नकल करवाने और नकल की ट्रेनिंग देने का अड्डा बन चुकी है. जी हां हम बात कर रहे हैं ग्वालियर में स्थित जीवाजी विश्वविद्यालय जो कि वर्तमान में नकल को लेकर काफी बदनाम होती जा रही है. जब जीवाजी विश्वविद्यालय की परीक्षा का समय आता है तब अंचल में नकल कराने वाले माफिया काफी सक्रिय हो जाते हैं. यही कारण है कि ग्वालियर चंबल संभाग में जीवाजी विश्वविद्यालय द्वारा संबद्धता रखने वाले महाविद्यालय खुलेआम छात्रों को नकल कराने का ठेका लेते हैं.
खुलेआम नकल का खेल:जब यूजी और पीजी की परीक्षाओं का समय आता है तो इन महाविद्यालयों में खुलेआम नकल कराई जाती है. रोकने के लिए न तो अभी तक जीवाजी विश्वविद्यालय हिम्मत जुटा पाया है और नहीं प्रशासन का अमला इसे रोक पाता है. यही कारण है कि इन माफियाओं के सामने जीवाजी विश्वविद्यालय प्रबंधन ने घुटने टेक दिए हैं. इसके ताजा मामले में स्नातक की परीक्षाओं के दौरान यूनिवर्सिटी से संबंधित कॉलेजों में पकड़े गए नकलची हैं, जो कॉलेजों में खुलेआम नकल कर रहे थे.
अधिकारियों और माफियाओं की गठजोड़ उजागर:यह ऐसा पहला मामला नहीं है. हर बार जब जीवाजी विश्वविद्यालय की परीक्षाओं का आयोजन किया जाता है, ग्वालियर चंबल संभाग के महाविद्यालयों में खुलेआम नकल कराई जाती है. हालांकि जीवाजी विश्वविद्यालय का दावा है कि इस नकल को रोकने के लिए यहां से फ्लाइंग स्कॉट की टीमें कॉलेजों में जाती हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि इन अधिकारियों और माफियाओं की गठजोड़ के कारण नकल रुकने का नाम नहीं ले रही है.
नकल के सहारे डिग्री:जीवाजी यूनिवर्सिटी के संबंध रखने वाले लगभग 450 से अधिक कॉलेज हैं जिनमें अधिकांश कॉलेज भिंड, मुरैना और दतिया में संबंधित हैं. यहां पर बड़ी संख्या में परीक्षार्थी परीक्षा देते हैं लेकिन यह परीक्षाएं सामान्य परीक्षार्थियों की तरह नहीं बल्कि सामने गाइड रखकर और अलग-अलग तरीकों से नकल करवा कर की जाती हैं. यहां छात्र ही नहीं बल्कि अध्यापक और कॉलेज के प्रिंसिपल तक इन कार्यों में संलग्न हैं. जब भी छापामार कार्रवाई होती है तब दर्जनों नकलची पकड़े तो जाते हैं लेकिन अगले दिन फिर से नए नकलची तैयार हो जाते हैं. यही कारण है कि जब छात्रों को नकल के सहारे डिग्री लेनी है तो इन्हीं जिलों में आकर वह इन कॉलेजों में एडमिशन लेते हैं.