ग्वालियर। मध्य प्रदेश के जीवाजी विश्वविद्यालय में फर्जी तरीके से एमबीबीएस (MBBS) की डुप्लीकेट मार्कशीट निकालने के मामले में एक के बाद एक नए खुलासे सामने आ रहे हैं. MBBS की फर्जी डिग्री पर मालेगांव के सरकारी हॉस्पिटल में सेवाएं देने वाली फर्जी डॉक्टर प्रतिक्षा दायमा और उसका प्रेमी मोहम्मद शफीक मालेगांव पुलिस की सूची में मोस्ट वांटेड निकला है. महाराष्ट्र पुलिस ने बताया है कि आरोपी युवती ड्रग्स सप्लायर है तो वही उसका प्रेमी मोहम्मद शफीक मोस्ट वांटेड अपराधी है. यह दोनों पिछले कई सालों से लिव-इन में रह रहे हैं. इन दोनों आरोपियों को प्रोडक्शन वारंट पर लेने मालेगांव पुलिस ग्वालियर आने वाली है. ग्वालियर पुलिस ने इन दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर एक दिन के रिमांड पर ले रखा है. (Gwalior Fake Doctor Case)
शक के दायरे में विश्वविद्यालय: मध्य प्रदेश के ग्वालियर में डॉक्टरों की एमबीबीएस की अंकसूची और डिग्री की डुप्लीकेट कॉपी निकलवाने का मामला काफी सुर्खियों में है. इस मामले में ग्वालियर क्राइम ब्रांच ने जीवाजी विश्वविद्यालय से 5 साल का रिकॉर्ड मांगा था. जिसमें 32 घंटे बीत जाने के बाद विश्वविद्यालय ने 13 डॉक्टरों को एमबीबीएस की अंकसूची और डिग्री की डुप्लीकेट कॉपी देने की बात स्वीकार की है, लेकिन उन डॉक्टरों के नाम अब तक क्राइम ब्रांच को नहीं बताए हैं, जो डुप्लीकेट डॉक्यूमेंट लेकर गए हैं. इसलिए विश्वविद्यालय प्रबंधन पुलिस की जांच में शक के दायरे में है.
ग्वालियर टीम का मालेगांव से लौटने का इंतजार: वहीं इस पूरे मामले की जांच कर रहे क्राइम ब्रांच के एएसपी ऋषिकेश मीणा का कहना है कि मालेगांव पुलिस से जानकारी जुटाने पर पता चला है की प्रतीक्षा दायमा एक ड्रग्स सप्लायर है और दूसरा आरोपी मोहम्मद शफीक मालेगांव का मोस्ट वांटेड है. दोनों आरोपियों की मालेगांव पुलिस तलाश में थी. वहीं जांच में आरोपी प्रतीक्षा दायमा का एक और फर्जीवाड़ा सामने आया है. जहां उसने मुंबई के पल्स केयर अस्पताल के स्टाफ होने का फर्जी प्रमाण पत्र नौकरी के दौरान लगाया था. अब ग्वालियर पुलिस को अपनी भरोसेमंद क्राइम ब्रांच की टीम का मालेगांव से लौटने का इंतजार है. जो 4 दिन से वहां डेरा डाली हुई है. वहीं पुलिस अधिकारियों का कहना है कि फर्जी डिग्री बेचने का एक बड़ा रैकेट चलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. आरोपियों की 7 दिन की रिमांड अवधि खत्म होने के बाद न्यायालय में रिमांड अवधि बढ़ाने के लिए आवेदन भी किया जाएगा और विश्वविद्यालय प्रबंधन के कर्मचारी अधिकारियों से भी पूछताछ जारी है.