35 साल से नहीं चखा अन्न का स्वाद, रामभक्ति पर लिखी 5 किताब, ये हैं 80 वर्षीय सरोज भाटी
मध्यप्रदेश के ग्वालियर में एक 80 वर्षीय महिला ने करीब 35 सालों से अन्न का एक दाना नहीं खाया है. इस उम्र में उनकी स्फूर्ति, जोश और अपनी कला के प्रति लगन देखकर कोई भी आश्चर्यचकित हो जाएगा. पढ़िए 80 साल नॉट आउट डॉ सरोज भाटी की कहानी.
डॉ सरोज भाटी की कहानी
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Published : Apr 12, 2023, 7:39 PM IST
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Updated : Apr 12, 2023, 8:03 PM IST
डॉ सरोज भाटी की कहानी
ग्वालियर। अक्सर आपने 80 साल की उम्र में लोगों को घर पर आराम करते हुए देखा होगा. यह उम्र का वह पड़ाव होता है, जब व्यक्ति जिंदगी की भागदौड़ के बाद ठहराव आता है. इस उम्र में सिर्फ आराम करते हैं या फिर भगवान का भजन...लेकिन ग्वालियर में 80 साल की उम्र की एक ऐसी बुजुर्ग महिला हैं, जिसने 35 साल पहले अन्न खाना छोड़ दिया. इसके बावजूद आज न केवल वे तंदुरुस्त हैं, बल्कि वह सभी काम करती हैं, जो युवा अवस्था में भी लोग नहीं कर सकते हैं. यही कारण है कि उम्र के यह 80 वर्ष आज भी महिला को ठीक रखे हुए है. हर कोई हैरत में आ जाता है, क्योंकि जिसने 35 साल से अन्य का दाना नहीं खाया, इसके बावजूद वह पूरी तरह फिट है. जानिए 80 बरस की नॉट आउट बुजुर्ग महिला डॉक्टर सरोज भाटी की कहानी...
35 साल से नहीं खाया अन्न: ग्वालियर में 80 साल की इस बुजुर्ग महिला का नाम डॉक्टर सरोज भाटी है. डॉ सरोज भाटी एक संपन्न परिवार से हैं. उन्होंने अपना जीवन बेहतरीन लाइफस्टाइल से जिया है. वह आर्य समाज से हैं, लेकिन उन्होंने एक डॉक्टर तोमर फैमिली में लव मैरिज की. उसके बाद उत्तर प्रदेश से ग्वालियर में बस गई, लेकिन साल 2018 में पति की मौत ने उनकी पूरी जिंदगी को बदल दिया. डॉ सरोज भाटी ने बताया कि आर्य समाज से सनातन धर्म को अपनाकर वे रामभक्ति में पूरी तरह डूब गई हैं. उन्होंने 35 साल से अन्न को छोड़ दिया है, मतलब वह 35 साल से अन्न का दाना तक नहीं खाती हैं, लेकिन उन्हें ऐसा लगता है उनके लिए 80 साल की उम्र भी कम है.
राम भक्ति में लीन रहती हैं डॉ सरोज: 80 साल की बुजुर्ग डॉक्टर सरोज भाटी घर में अकेली हैं. उनके दोनों बच्चे विदेशों में अपनी फैमिली के साथ मल्टीनेशनल कंपनी में हैं. सरोज भाटी ने बताया कि वह राम भक्ति में लीन रहती हैं. सुबह-शाम-दोपहर भगवान का भजन करती हैं, लेकिन भजन के दौरान कभी-कभी अन्न उन्हें परेशान करता था, इसलिए उन्होंने 35 साल पहले अन्न को छोड़ दिया. अब सुबह शाम सिर्फ फल फ्रूट खाकर ही अपने शरीर को फिट रखती हैं. डॉ सरोज भाटी सुबह चाय के साथ सलाद खाती है. उसके बाद दोपहर में फ्रूट्स खाती हैं और शाम के वक्त सब्जियों का व्यंजन बनाकर उन्हें खाती हैं, यही उनकी सेहत का राज है.
80 साल में भी गजब का जोश: डॉक्टर 80 साल की बुजुर्ग डॉक्टर सरोज भाटी को अगर आप देखेंगे तो आश्चर्यचकित हो जाएंगे, क्योंकि 80 साल की उम्र में वह राम भक्ति को लेकर किताबें लिख रही हैं. अभी तक डॉक्टर सरोज भाटी ने राम भक्ति को लेकर 5 किताबें लिखी है. डॉ सरोज भाटी को फराटेदार इंग्लिश आती है. इतनी उम्र में जब बुजुर्गों के हाथ कांपते हैं, लेकिन डॉक्टर सरोज भाटी किताबें लिखने में लगी हुई हैं. साथ ही इस बुजुर्ग महिला की हेड राइटिंग को जब आप देखेंगे तो आश्चर्यचकित हो जाएंगे. उनकी सेहत का अंदाजा आप इस तरीके से लगा सकते हैं कि वह घर में अकेली हैं. पूरे घर की देखभाल करती हैं. खुद चाय बनाती हैं और अपने लिए नाश्ता तैयार करती हैं, हालांकि उन्होंने बताया कि सुबह शाम उनके घर नौकरानी आती है. जब दिन में कोई काम होता है, तो वह खुद करती है.
कला प्रेमी हैं सरोज भाटी:उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद जीडीएच कॉलेज से सन 2005 में रिटायर हुईं डॉ सरोज भाटी बताती हैं कि बचपन से ही वह कला प्रेमी हैं. खुद को विभिन्न कलाओं में पारंगत करने के लिए सदैव प्रयत्नशील रहती हैं. उन्होंने बताया कि कुछ वर्ष पहले तक भी महज एक घंटे में किसी भी व्यक्ति का हूबहू चित्र बना सकती थी. इसके अलावा उन्होंने रंगमंच पर सारी फिल्मों को डायरेक्ट भी किया है. कई कलाकारों को विभिन्न कलाओं के विषय में सिखाया भी है. जिसके लिए वे कई बार सम्मानित भी हो चुकी हैं. हालांकि अभी तक 500 से अधिक पेंटिंग की फोटो आज भी उनके पास सुरक्षित रखे हुए हैं. जिसके तहत भी वाटर पेंटिंग, ड्राई पेंटिंग, कलर पेंटिंग और भी कई प्रकार की पेंटिंग कर चुकी हैं. डॉक्टर भाटी ने बताया कि वह वर्तमान में स्प्रिट ऑफ स्प्रीचुलिटी पर किताब लिख रही हैं.
युवाओं को डॉ भाटी का संदेश:डॉ भाटी ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि अपने आपको कलाओं के साथ जोड़े, चाहे गाना सुने, म्यूजिक को समझे, पेंटिंग करें, किसी भी कला से जुड़े, क्योंकि कला से जुड़ने वाला कभी हताश और बोर नहीं होता है. यही इनकी सेहत का सबसे बड़ा राज है. 80 साल की इस बुजुर्ग को जब आप देखेंगे तो आश्चर्यचकित हो जाएंगे. वह हर काम करती हैं. लिखना और पढ़ना और सुनना काफी अच्छा लगता है. यही कारण है कि वह दिनभर कुछ ना कुछ काम में लगी रहती है. उनका कहना है कि यह घर उनका पुश्तैनी है. उनके पति ने शादी के बाद यही सबसे ज्यादा दिन गुजारे. यह घर उनकी यादों से सजा हुआ है, इस घर को छोड़कर कहीं भी अच्छा नहीं लगता है.