नई दिल्ली :जैसा कि सबको ज्ञात है कि महर्षि व्यास वेदों के प्रथम उपदेशक और महाकाव्य महाभारत के रचयिता थे. इनके द्वारा बतायी गयी जानकारियों को भगवान गणेश शब्दशः उतारा था और तब जाकर महाभारत की रचना हो पायी. इतना नहीं उन्होंने वेद को 4 भागों में बांट कर ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद नाम दिया. जिसके कारण उनको वेद व्यास नाम दिया गया है. इसी के कारण उनको मानवता का पहला गुरु भी माना जाता है. क्योंकि इन्होंने वेदों के ज्ञान को सरल भाषा में लोगों तक पहुंचाने की कोशिश की. इसलिए आषाढ़ पूर्णिमा का दिन गुरु पूर्णिमा के रूप में उनकी जयंती भी मनायी जाती है. इसीदिन महर्षि व्यास ने महर्षि पराशर और सत्यवती के पुत्र के रूप में जन्म लिया था.
व्यास और गुरु की पूजा
व्यास व गुरु पूर्णिमा का हिन्दू परंपरा में बहुत महत्व है. इस दिन ज्ञान देने वाले गुरुओं के पूजन व सम्मान की परंपरा है. यह पर्व लोगों के जीवन में गुरुओं के महत्व को प्रदर्शित करता है. साथ ही गुरु के आदेश को मानकर सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है. इसीलिए हमारे धर्म ग्रंथों में गुरु को सर्वोच्च स्थान दिया गया है. गुरु ही हमें सत्य और मोक्ष का मार्ग दिखाता है.
इस संस्कृत के श्लोक में गुरु की महिमा बतायी गयी है..
‘गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवों महेश्वरा