उत्तराखंड में घर में घुसकर हमला कर रहे गुलदार देहरादून (उत्तराखंड): राजधानी देहरादून के विकासनगर की महमूद नगर बस्ती हो, या फिर उत्तरकाशी का बड़ी मणि गांव क्षेत्र. पौड़ी जिले का पाबो ब्लॉक हो या अल्मोड़ा जिले का धौलादेवी क्षेत्र. पिथौरागढ़ का गंगोलीहाट हो या अल्मोड़ा जिले का फयाटनौला गांव. इन सभी जगह गुलदारों के खौफ को बयां करती ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिसने इंसानी बस्तियों को भी असुरक्षित महसूस कराया है. गुलदार के आतंक का यह अध्याय सिर्फ इन क्षेत्रों या उत्तराखंड तक ही सीमित नहीं है, क्योंकि यही गुलदार अब देश के कई राज्यों में दहशत का पर्याय बन चुके हैं.
पिछले 20 साल में उत्तराखंड में गुलदारों द्वारा मारे गए लोगों का आंकड़ा उत्तराखंड में घर में घुसकर शिकार कर रहे गुलदार: मानव वन्यजीव संघर्ष वैसे तो इंसानों के लिए हमेशा से ही चिंता का सबब रहा है, लेकिन लोगों के लिए सबसे ज्यादा परेशानी गुलदारों ने ही बढ़ाई है. आपको जानकर हैरानी होगी कि इंसानों के साथ होने वाले संघर्ष में गुलदार सबसे ऊपर हैं. इससे भी बड़ी परेशानी इस बात को लेकर है कि गुलदार अब इंसानों के घरों तक भी पहुंच गए हैं. यही नहीं घरों के बाहर घात लगाकर भी गुलदार इंसानों का शिकार कर रहे हैं. राजधानी देहरादून के विकासनगर स्थित महमूद नगर की घटना ने तो सबको हैरान करके रख दिया है. बताते हैं कि यहां गुलदार ने आंगन से ऐसे बच्चे को उठा लिया जिस पर वह पहले भी हमला कर चुका था. लेकिन पहली बार वो नाकाम हो गया था. गुलदार का इस तरह निशाना बनाकर शिकार करना न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि आने वाले बड़े खतरे को भी बयां करता है.
कई राज्यों में है गुलदारों का आतंक: वैसे गुलदार के आतंक से केवल उत्तराखंड ही खौफजदा नहीं है, बल्कि देश के कई राज्यों में गुलदार अपनी दहशत को बनाए हुए हैं. उत्तर प्रदेश से लेकर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र से लेकर कर्नाटक तक में गुलदारों का खौफ बना हुआ है. खास बात यह भी है कि देशभर में ही गुलदारों की बढ़ती संख्या इसकी एक बड़ी वजह हो सकती है. हालांकि जंगलों में बढ़ता इंसानी दखल भी इसकी एक बड़ी वजह माना जा रहा है. अब जानिए देशभर में गुलदारों की स्थिति.
गुलदारों की संख्या बेतहाशा बढ़ रही है ये हैं वन मंत्रालय के आंकड़े: साल 2020 में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने गुलदारों के जो आंकड़े जारी किए थे, उसके अनुसार देशभर में 4 साल के भीतर गुलदारों की 60 प्रतिशत संख्या बढ़ने का अनुमान लगाया गया था. साल 2014-15 में 8 हज़ार की तुलना में 2018-19 में 12,852 गुलदार पाए गए. उत्तराखंड में गुलदारों की संख्या 650 से बढ़कर 840 हुई थी. उत्तराखंड को गुलदारों की संख्या के लिहाज से देश का 5वां बड़ा राज्य माना गया. गुलदारों की संख्या के लिहाज से पहले स्थान पर मध्य प्रदेश, दूसरे स्थान पर कर्नाटक और तीसरे स्थान पर महाराष्ट्र को बताया गया.
वन मंत्रालय के आंकड़ों से ज्यादा है गुलदारों की संख्या: केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों से हटकर गुलदारों की संख्या इससे कहीं ज्यादा मानी जाती है. जानकार कहते हैं कि उत्तराखंड में ही 2500 से ज्यादा गुलदार मौजूद हैं. दरअसल वन विभाग की तरफ से गुलदारों की गणना संरक्षित वन क्षेत्र में ही की गई. जबकि उत्तराखंड के तमाम रिहायशी इलाकों में भी सैकड़ों गुलदार अलग-अलग क्षेत्रों के लिहाज से देखे जाते रहे हैं. जानकार कहते हैं कि उत्तराखंड मानव वन्यजीव संघर्ष के लिहाज से देश का दूसरा राज्य है, जहां सबसे ज्यादा लोगों की मौत होती है.
कभी भी, कहीं भी हमला कर रहे गुलदार 20 साल में 500 लोग हुए गुलदारों के शिकार: उत्तराखंड के लोग पिछले कुछ समय में गुलदारों के आतंक से दहशत में है. राज्य के कई जिलों में ऐसे गुलदार को मारे जाने की मांग भी स्थानीय लोग उठाते रहे हैं. गुलदार से इंसानों को हो रहे खतरे का मुद्दा लोकसभा में भी उठ चुका है. पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद तीरथ सिंह रावत ने 16 दिसंबर 2022 को संसद में गुलदारों के हमलों का मामला उठाया था. दरअसल राज्य में पिछले 20 सालों में 500 से ज्यादा लोगों को अकेले गुलदारों ने ही निवाला बना दिया है. गुलदारों के हमलों में 98 लोग घायल हुए थे.
इन लोगों पर गुलदार कर रहे ज्यादा हमले: गुलदार बच्चों, बुजुर्ग और महिलाओं पर ज्यादा हमले कर रहे हैं. पिछले 20 सालों में उत्तराखंड में 520 गुलदारों को मारने या पकड़ने की अनुमति दी गई. 2020 में 11, 2021 में 8 और 2022 में 5 गुलदारों को मारा गया. साल 2020 में 30 तो साल 2021 में 28 और 2022 में 20 लोगों को गुलदारों ने मारा गया. दरअसल इन गुलदारों को आदमखोर घोषित किया गया था.
देश के इन राज्यों में भी है गुलदारों की दहशत:उत्तराखंड के साथ देश में शायद ही ऐसा कोई राज्य हो, जहां गुलदारों ने किसी इंसानों को निवाला ना बनाया हो. वैसे गुलदारों का आतंक सबसे ज्यादा महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में भी देखने को मिलता है. सबसे ज्यादा मानव वन्यजीव संघर्ष वाले राज्यों में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक का नाम शुमार है. वैसे गुलदारों से जुड़ी ऐसी घटनाएं बिहार में भी दिखाई देती हैं. इसी तरह हिमाचल और नार्थ ईस्ट राज्यों में भी गुलदार अपनी दहशत बनाए हुए हैं.
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वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से गिनती करवा रहा उत्तराखंड वन विभाग:उत्तराखंड वन विभाग ने राज्य में गुलदार के सटीक आंकड़ों के लिए वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से इनकी गिनती करवाने का काम शुरू करवा दिया है. उम्मीद की जा रही है कि जल्दी गुलदारों की सही स्थिति राज्य को पता चल सकेगी. वैसे हैरानी की बात यह भी है कि उत्तराखंड के लोग गुलदारों के खौफ से लंबे समय से दहशत में हैं. इसके बावजूद भी अब तक विभाग के पास इसको लेकर सटीक आंकड़े नहीं हैं. खास बात यह भी है कि गुलदार इंसानी बस्तियों के आसपास रहना ज्यादा पसंद कर रहे हैं. इसकी वजह इंसानों का जंगलों में दखल देना और साथ ही गुलदार के लिए इंसानी बस्तियों में आसानी से भोजन उपलब्ध होना भी माना जा रहा है. गुलदारों की संख्या जिस तेजी से बढ़ी है, उसके लिए विशेषज्ञ इसे वन विभाग की उपलब्धि मानते हैं. वन्य जीवों को लेकर बेहतर प्रबंधन की वजह से ही गुलदारों की संख्या बढ़ने की बात कहते हैं.