भावनगर: गुजराती में एक कहावत है कि, मेरू पर्वत हिल सकता है मगर जिनका मन न हिले सफलता उन्हें मिलकर ही रहती है. गुजरात के सौराष्ट्र प्रांत के भावनगर शहर से यह किस्सा सामने आया है, जिसमें एक छात्रा का कमर के नीचे का हिस्सा बीमारी के कारण काम नहीं कर रहा था. लेकिन इसके बाद भी एम्बुलेंस चालक सलीम की मदद से वह परीक्षा केन्द्र तक पहुंची और परीक्षा में शामिल हुई.
इस किस्से से गुजरात सरकार के एजुकेशन विभाग की दिव्यांगों के लिए बनी व्यवस्था का पर्दाफाश हो गया है. दिव्यांगों के लिये एजुकेशन विभाग ने खास कोई व्यवस्था न करके लापरवाही का सबूत दे दिया है. जानकारी के अनुसार इस छात्रा का नाम इशिता है और उसके शरीर में कमर के नीचे का हिस्सा सक्रिय नहीं है. इसी वजह से पिछले साल उसने एक ब्रेक लिया था, लेकिन इस साल उसने अपनी पढ़ाई पूरी करने का फैसला किया.
जहां एक ओर इशिता जैसे बच्चे अपनी पढ़ाई को लेकर गंभीर हैं, वहीं दूसरी ओर इन बच्चों के लिए शिक्षा विभाग की ओर से परीक्षा केंद्रों पर कोई खास व्यवस्था नहीं देखी जा रही है. यहां भावनगर में इशिता का परीक्षा केंद्र है, चूंकि इशिता एक दिव्यांग छात्रा है, लेकिन इसके बाद भी केंद्र पर उसकी सीट दूसरी मंजिल पर है. भावनगर के नंद कुंवर बाल कन्या छात्रालय में वह परीक्षा दे रही है.