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Godhra Train Carnage: गुजरात HC ने आरोपी हसन अहमद चरखा को 15 दिन की पैरोल दी - Godhra Train Carnage

गुजरात हाई कोर्ट ने गोधरा कांड के आरोपी को 15 दिन की पैरोल दी है. आरोपी हसन अहमद चरखा उर्फ ​​लालू ने पैरोल के लिए आवेदन किया था, जिसे हाईकोर्ट ने मंजूर कर लिया है. हालांकि, राज्य सरकार ने विरोध किया.

Godhra Train Carnage
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Published : Jul 16, 2023, 6:56 AM IST

अहमदाबाद:गुजरात हाई कोर्ट ने 2002 में गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में आग लगाने वाले आरोपी को 15 दिन की पैरोल दे दी है. आरोपी हसन अहमद चरखा उर्फ ​​लालू ने पैरोल के लिए आवेदन किया था, जिसे हाईकोर्ट ने मंजूर कर लिया. पूरी सुनवाई के बाद जस्टिस निशा एम ठाकोर ने कहा कि सजा के निलंबन, पैरोल और जमानत अलग-अलग विषय हैं. दरअसल, 2002 गोधरा कांड के आरोपी हसन ने अपनी भतीजी की शादी में शामिल होने के लिए पैरोल के लिए यह याचिका दायर की थी. हाई कोर्ट ने उनकी याचिका मंजूर कर ली है. हसन के वकील एम एस भड़की ने हाई कोर्ट में कहा कि जेल में आचरण का रिकॉर्ड बहुत अच्छा है. उन्हें पहले भी पैरोल मिल चुकी है.

सरकार का विरोध: पैरोल अर्जी का राज्य सरकार ने विरोध किया था. राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि जब आरोपी ने उम्रकैद की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की है, तो ऐसी परिस्थिति में उसे पैरोल नहीं दी जा सकती. राज्य सरकार ने यह भी कहा कि जब पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है तो गुजरात हाई कोर्ट इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकता.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए जस्टिस निशा एम ठाकोर ने पूरी सुनवाई के बाद कहा कि सजा का निलंबन, पैरोल और जमानत अलग-अलग विषय हैं. हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में लंबित अपील की कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं करता है. हाई कोर्ट ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट को पैरोल छुट्टी की मांग करने वाली याचिकाओं की जांच करने की शक्ति है.

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क्या है पूरा मामला:साल 2002 में गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में आग लगा दी गई थी. जिसमें 59 कारसेवकों हिंदुआ की मौत हो गई थी. उसके बाद पूरे राज्य में दंगे भड़क गए थे. आरोपी के खिलाफ पंचमहल गोधरा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की गई और पूरे मामले की सुनवाई गोधरा कोर्ट में हुई, जहां आरोपी हसन को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. आरोपी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन वहां भी उसकी सजा बरकरार रखी गई.

विशेष अनुमति याचिका:आरोपी हसन ने साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी लेकिन आवेदन अभी भी लंबित है. हसन ने जमानत के लिए अर्जी भी दाखिल की. जिस पर फैसला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है.

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