गिर सोमनाथ: गुजरात के गिर सोमनाथ जिले की एक अदालत ने मंगलवार को दक्षिणपंथी कार्यकर्ता काजल हिन्दुस्तानी द्वारा रामनवमी पर दिए गए कथित नफरती भाषण के मामले में दायर जमानत याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया. काजल के भाषण के चलते ऊना शहर में सांप्रदायिक झड़प हो गई थी. अतिरिक्त लोक अभियोजक मोहम गोहेल ने बताया कि अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर.एम. असोदिया की अदालत ने काजल की जमानत याचिका पर अपना फैसला 13 अप्रैल के लिए सुरक्षित रख लिया है.
गोहेल ने कहा कि राज्य सरकार ने यह कहते हुए जमानत याचिका का विरोध किया कि रामनवमी पर काजल के भाषण से मुस्लिम समुदाय की भावनाएं आहत हुईं, जिसके चलते बाद में सांप्रदायिक झड़प हुई. काजल की जमानत अर्जी को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने खारिज कर दिया था और उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था. इसके बाद उन्होंने इस फैसले के खिलाफ सोमवार को सत्र अदालत का रुख किया था.
काजल ने नौ अप्रैल को पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था. गौरतलब है कि 30 मार्च को रामनवमी पर्व पर काजल के भाषण के कारण एक अप्रैल को ऊना शहर में साम्प्रदायिक झड़प हुई थी. पुलिस ने दो अप्रैल को हिंदुस्तानी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से जानबूझकर उकसाना) और 295 ए (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर या दुर्भावनापूर्ण कार्य) के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी.
काजल हिंदुस्तानी, विश्व हिंदू परिषद (विहिप) द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में नियमित रूप से शामिल होती रही हैं. उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट के ब्योरे में खुद को एक उद्यमी, शोध विश्लेषक, सामाजिक कार्यकर्ता और राष्ट्रवादी भारतीय के रूप में वर्णित किया है. ट्विटर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित 92,000 से अधिक लोग उनके फॉलोवर हैं. वह अल्पसंख्यक समुदाय को लक्षित करने वाले अपने उग्र भाषणों के लिए जानी जाती हैं.