अहमदाबाद : गुजरात सरकार ने 12 जुलाई को अहमदाबाद में आयोजित होने वाली भगवान जगन्नाथ की 144वीं रथ यात्रा के लिए बृहस्पतिवार को मंजूरी प्रदान कर दी. रथ यात्रा में सीमित संख्या में कुछ निश्चित लोगों को ही हिस्सा लेने की अनुमति होगा तथा इस दौरान कोविड-19 संबंधी दिशा-निर्देशों का पूरी तरह से पालन किया जाएगा.
कोविड-19 महामारी के मद्देनजर राज्य सरकार ने यह स्पष्ट तौर पर साफ कर दिया है कि रथ यात्रा में केवल तीन रथों और दो अन्य गाड़ियों के अलावा किसी भी प्रकार के वाहन को हिस्सा लेने की अनुमति नहीं होगी. इस बार रथ यात्रा के दौरान गायन मंडली, अखाड़े, हाथी या सजे हुए ट्रकों को अनुमति नहीं दी जाएगी.
गुजरात के गृह राज्य मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने गांधीनगर में संवाददाताओं को बताया कि रथ यात्रा के मार्ग में लोग एकत्र न हों, इसके लिए पूरे मार्ग में सुबह से लेकर अपराह्न तक कर्फ्यू लागू किया जाएगा.
पिछले वर्ष कोविड-19 महामारी के मद्देनजर गुजरात उच्च न्यायालय ने रथ यात्रा को निकालने की अनुमति प्रदान नहीं की थी, जिसके बाद जमालपुर क्षेत्र में स्थित भगवान जगन्नाथ के मंदिर में प्रतीकात्मक रूप से ही रथ यात्रा का आयोजन किया गया था। पारंपरिक रूप से रथ यात्रा सुबह सात बजे भगवान जगन्नाथ के मंदिर से रवाना होती है और रात आठ बजे तक वापस 400 वर्ष पुराने मंदिर में आ जाती है.
कोविड-19 महामारी से पहले विश्व प्रसिद्ध इस रथ यात्रा में प्रत्येक वर्ष लाखों लोग हिस्सा लिया करते थे. करीब 100 ट्रकों पर मौजूद झांकियों तथा सजे-धजे हाथियों की एक झलक पाने के लिए लोगों का उत्साह देखते ही बनता था. करीब 12 घंटे की अवधि के दौरान यह रथ यात्रा 19 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद वापस भगवान जगन्नाथ के मंदिर में लौट आती है। इस दौरान रथ यात्रा एक घंटे के लिए रुकती भी है.