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गुजरात में भाजपा की पाठशाला, जनता से जुड़ने को नेताजी सीख रहे गुजराती

प्रधानमंत्री या गुजराती में कहें तो 'बड़ा प्रधान' के गृह राज्य का चुनाव राज्य में वर्षों से काबिज भाजपा के लिए नाक की लड़ाई है. भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव में पूरी ताकत झोंक दी है. प्रचार का असर जनता पर ज्यादा से ज्यादा पड़े इसके लिए बीजेपी अपने नेताओ की चुनावी पाठशाला (BJP Gujarati Pathshala) भी आयोजित कर रही है (BJP Leaders using Gujarati vocabulary). 'ईटीवी भारत' की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट.

BJP Gujarati Pathshala
गुजरात में भाजपा की पाठशाला

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Published : Nov 24, 2022, 6:28 PM IST

Updated : Nov 24, 2022, 6:37 PM IST

नई दिल्ली : गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Election 2022) सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी के लिए नाक का सवाल है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृह राज्य में चुनाव को लेकर पार्टी ने पूरा जोर लगा रखा है. भाजपा ने प्रधानमंत्री के साथ-साथ अपने तमाम नेताओं, केंद्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों की भारी भरकम फौज को गुजरात चुनाव में उतार दिया है. साथ ही इनको निर्देश दिए हैं कि भाषण के दौरान गुजराती भाषा का इस्तेमाल करें. चुनावी संबोधन गुजराती में शुरू करने के लिए ही कहा गया है, ताकि जनता उनसे साथ सीधे तौर पर जुड़ सके (BJP Leaders using Gujarati vocabulary).

गुजरात के नेता गुजराती बोलकर जनता से सीधे कनेक्ट कर सकते हैं, लेकिन बाहर के नेताओं के लिए गुजरात की जनता से सीधे कनेक्ट होना आसान नहीं है. इस कठिनाई को दूर करने के लिए बाकायदा शब्दावली बनाई गई है. पाठशाला में इसे पढ़कर वह उन शब्दों का इस्तेमाल अपने भाषण में करेंगे.

सिखाए जा रहे गुजराती शब्द : गुजरात पहुंचे नेताओ को चुनाव से जुड़े शब्द गुजराती में बताए जा रहे हैं, ताकि आम जनता से बेहतर कनेक्शन बनाया जा सके. चुनावी संबोधन भी गुजराती में शुरू करने के लिए ही कहा गया है. इसके लिए पार्टी के राज्य इकाई का एक धड़ा विधानसभा में चुनाव प्रचार के लिए दूसरे राज्यों से आए नेताओं के साथ संवाद स्थापित कर उन्हें गुजराती शब्दों की ट्रेनिंग दे रहा है. ताकि ये नेतागण अपने भाषण में उन शब्दों का इस्तेमाल कर सकें जिन्हें एक आम गुजराती वोटर आसानी से समझ सके.

दरअसल चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी की लोकल रिसर्च टीम ने पार्टी को रिपोर्ट दी है कि हिंदी में दिए जाने वाले भाषण को यहां के लोग पूरी तरह नहीं समझ पाते हैं. यहां तक की लोकल अखबारों में भी खबर गलत छप जाती है, लिहाजा इस समस्या से निपटने के लिए बीजेपी ने अब अपने नेताओं को गुजराती शब्द सिखाने शुरू कर दिए हैं.

पार्टी सूत्रों की मानें तो चुनाव और राजनीति से जुड़े हुए 150 से ज्यादा शब्दों की शब्दावली तैयार की गई है. इस शब्दावली को नेताओं को बताया और समझाया जा रहा है. इन शब्दों का इस्तेमाल कहां करना है और इसके लिए लहजा कैसा हो? ये सब याद कराया जा रहा है. नेताओं से कहा गया है कि भले ही वह भाषण हिंदी में दें, लेकिन गुजराती शब्दों का इस्तेमाल जरूर करें.

भाजपा की चुनाव शब्दावली में इन शब्दों का इस्तेमाल

  • चुनाव को गुजराती में चुटनी कहते हैं.
  • प्रत्याशी को उम्मेदवार
  • घोषणा पत्र को चुटनी ढढेरों
  • विधानसभा को धारा सभा
  • विधायक को धारा सभ्य
  • सांसद को सांसद सभ्य
  • आम सभा को जाहेर सभा
  • मुख्यमंत्री को मुख्य प्रधान
  • प्रधानमंत्री को बड़ा प्रधान
  • बड़े-बुजुर्गों को बापू
  • किसान को खेडुत

इसी तरह की शब्दावली पार्टी की तरफ से तैयार की गई है जो प्रचार में जुटे हुए नेताओं को दी जा रही है. यही नहीं गुजराती कार्यकर्ता पाठशाला में सिखाते हैं कि किस शब्द को कैसे बोलना है, किस तरीके से उनका इस्तेमाल करना है और कहां करना है. सूत्रों की मानें तो नेताओं को इस बात की भी ट्रेनिंग दी जा रही है कि अपने भाषण की शुरुआत करें तो संबोधन गुजराती में करें और बाद में हिंदी पर आएं.

इस मुद्दे पर जब 'ईटीवी भारत' ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि उनके नेता जनता से जुड़े नेता हैं और उन्हें संवाद करने के लिए भाषा की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि गुजरात की जनता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य की सरकार में दोबारा भरोसा दिखायेगी. उनकी पार्टी की गुजरात में फिर एक बार सरकार बनेगी. उन्होंने कहा कि जहां तक शब्दों की बात है तो हर भारतीय को अपने सभी राज्यों की भाषा सीखनी चाहिए इसमें बुराई ही क्या है.

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Last Updated : Nov 24, 2022, 6:37 PM IST

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