नई दिल्ली : गजुरात विधानसभा के लिए पहले चरण का चुनाव एक दिसंबर को है. पहले चरण के लिए आज प्रचार थम गया. लेकिन भाजपा और कांग्रेस के बीच राजनीतिक वार-प्रतिवार का सिलिसला नहीं थमा है. अब भाजपा ने कांग्रेस अध्यक्ष के उस बयान को अपना हथियार बना लिया है, जिसमें मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी के लिए 'रावण' शब्द का प्रयोग किया है. ऐसा लगता है कि कांग्रेस एक ही गलती बार-बार दोहराना पसंद करती है.
अहमदाबाद के बेहरामपुरा में सोमवार को चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए भाजपा द्वारा नगर निकाय, नगर निगम और विधानसभा तक के चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर वोट मांगे जाने को लेकर खरगे ने तंज कसा था. भाजपा द्वारा नगरपालिका चुनाव में भी मोदी के नाम पर वोट मांगे जाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा था, 'क्या मोदी यहां आकर नगरपालिका का काम करने वाले हैं ? क्या मोदी आकर यहां मुसीबत में आपकी मदद करने वाले हैं ? अरे, आप तो प्रधानमंत्री हो. आपको काम दिया गया है. वह काम करो.'
उन्होंने कहा, 'वह छोड़कर नगर निगम चुनाव, एमएलए इलेक्शन... एमपी इलेक्शन... चूंकि उनको प्रधानमंत्री बनना है, तो फिरते रहते हैं... लेकिन हर वक्त अपनी ही बात करते हैं. आप किसी को मत देखो, मोदी को देखकर वोट दो. भाई तुम्हारी सूरत को कितनी बार देखना. नगर निगम में भी तुम्हारी सूरत देखना, एमएलए इलेक्शन में भी तुम्हारी सूरत देखना... एमपी इलेक्शन में भी तुम्हारी सूरत...हर जगह...कितने हैं भई...क्या आपके रावण के जैसा 100 मुख हैं. क्या है?...समझ में नहीं आता मुझे.'
यह कोई पहली बार नहीं है कि कांग्रेस नेता ने पीएम मोदी के लिए 'अनाप-शनाप' शब्दों का प्रयोग किया है. और हर बार कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा है. कभी 'मौत का सौदागर', तो कभी 'हिटलर', तो कभी 'सांप-बिच्छू' वगैरह-वगैरह. साल 2007 में जब गुजरात विधानसभा चुनाव का प्रचार अभियान जारी था, तब कांग्रेस ने आक्रामक शैली में प्रचार की शुरुआत की थी. उस समय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी थीं. उन्होंने एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए नरेंद्र मोदी को 'मौत का सौदागर' बता दिया था. तब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.
सोनिया के इस बयान के बाद भाजपा को मानो जैसे कांग्रेस के खिलाफ एक नया 'हथियार' मिल गया. मोदी ने उसके बाद जितनी भी सभाओं को संबोधित किया, उन्होंने हर भाषण में इसका जिक्र किया. उनकी भावनात्मक अपील काम कर गई. कांग्रेस जिसे यह आभास हो रहा था कि वह बढ़त बना सकती है, पार्टी के हाथों से 'जीत' फिसल गई.
इसी तरह से 2017 का विधानसभा चुनाव बहुत ही यूनिक था. लंबे समय बाद कांग्रेस ने प्रचार का तरीका बदला था. राहुल गांधी वहां पर मंदिर-मंदिर जाकर माथा टेक रहे थे. कांग्रेस अपने को हिंदुत्व का 'पैरोकार' बताने से नहीं चूक रही थी. आप अंदाजा लगाइए कि तब भाजपा को 99 सीटें मिलीं, वह भी तब जबकि प्रचार के दौरान अचानक ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी के लिए 'नीच' शब्द का प्रयोग कर दिया. मणिशंकर के इस बयान से पूरे कांग्रेस में खलबली मच गई थी. पीएम मोदी ने उसके बाद इस बयान का बार-बार जिक्र किया. अपनी हर चुनावी सभाओं में कहा कि कांग्रेस मेरे लिए 'नीच' शब्द का प्रयोग करती है, यह गुजरातियों का अपमान है. पीएम मोदी ने अपने भाषण में यह साबित करने की कोशिश की थी, कि कांग्रेस पिछड़ी जाति विरोधी है. कांग्रेस को 77 सीटें मिलीं थीं. अगर कांग्रेस नेता का यह बयान नहीं आता, तो चुनाव परिणाम कुछ और भी हो सकता था.