गाजियाबाद/नई दिल्ली :गुजरात का एक व्यापारी हनी ट्रैप का शिकार बना. उसे डराकर 80 लाख रुपये ठग लिये. लाेक लाज के कारण बेचारा व्यापारी उनकी डिमांड पूरी करता रहा. जब पानी सिर से ऊपर आ गया ताे बेचारे व्यपारी ने पुलिस से इसकी शिकायत की. पुलिस ने जब इसकी जांच शुरू की ताे ब्लैकमेलिंग के तार गाजियाबाद से जुड़े हाेने के सबूत मिले.
गुजरात पुलिस ने गाजियाबाद पुलिस काे इनपुट भेजा. इस पर जब गुजरात पुलिस ने काम करना शुरू किया ताे एक एक कर सारे परत खुल गये. यह गैंग एक पति-पत्नी मिलकर चला रहे थे. गाजियाबाद पुलिस ने आराेपी योगेश और उसकी पत्नी के अलावा तीन और महिलाओं काे गिरफ्तार किया है. इनके पास से आठ बैंक खात मिले. इन खाताें में करोड़ों रुपये जमा हैं.
पुलिस ने बताया कि योगेश मुख्य आराेपी है. वह गाजियाबाद का रहने वाला है. योगेश की पत्नी भी इस गैंग की मुख्य कड़ी है. इन दाेनाें ने 25 हजार रुपये पर तीन महिलाओं काे रखा था. इन तीनाें का काम बड़े कारोबारियों और व्यापारियों को फंसाना था. इसके लिए एक चैटिंग्स एप का इस्तेमाल किया जाता था.
आरोपियों ने चैटिंग्स एप पर फर्जी आईडी बना रखी थी. इस पर महिलाओं से कांटेक्ट करने वाले लोगों को फंसा कर उनके प्रोफाइल का पता किया जाता था. जब आरोपियों को पता चलता था कि इनका शिकार एक बड़ा और अमीर व्यक्ति है, तो उसे फंसाने की प्रक्रिया शुरू होती थी. खूबसूरत महिलाओं के द्वारा फर्जी प्रोफाइल के माध्यम से शिकार के साथ पहले सामान्य चैट शुरू की जाती थी.
यह भी पढ़ें-यूपी चुनाव : बाराबंकी में कांग्रेस की प्रतिज्ञा यात्रा को आज हरी झंडी दिखायेंगी प्रियंका
इसके बाद मीठी मीठी बातों के जाल में उलझा कर शिकार की आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो बना लिए जाते थे. इसके लिए वीडियो कॉलिंग एप का इस्तेमाल किया जाता था. इसके बाद ब्लैक मेलिंग का खेल शुरू होता था. पुलिस के मुताबिक राजनगर एक्सटेंशन में आरोपी पति पत्नी रह रहे थे. इनको यह आइडिया कुछ साल पहले ऑस्ट्रेलिया से मिला था. ऑस्ट्रेलिया में आरोपी महिला का कोई पहचान वाला रहता था, उसी ने इस तरह से लोगों को झांसे में फंसाने का आइडिया दिया था.
पुलिस ने आरोपियों से लैपटॉप, मोबाइल फोन के अलावा कई सिम कार्ड बरामद किए हैं. मोबाइल और लैपटॉप से कई राज खुलने के आसार हैं, जिससे यह पता लगाया जा सकेगा कि करोड़ों के लेनदेन का माध्यम क्या था. अभी तक कितने लोगों को इन्होंने शिकार बनाया यह भी लैपटॉप और मोबाइल से पता चल सकता है. बैंक खाते में जो रकम मिली है, उसके संबंध में आगे की लीगल प्रक्रिया के लिए बैंक को भी पुलिस द्वारा अवगत करा दिया गया है. साइबर टीम ने गुजरात पुलिस को भी मामले की जानकारी दे दी है.