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जश्न के शोर शराबे के बीच उत्तराखंड के शांत जंगलों में हाई अलर्ट, ईटीवी भारत के कैमरे में कैद वनों के 'रक्षक' - नवीन उनियाल रिपोर्ट

नए साल का स्वागत हर कोई जश्न के साथ करने को तैयार है, लेकिन शहरी चकाचौंध और शोर शराबे के बीच एक खतरा ऐसा भी है जो जंगलों पर मंडरा रहा है. यह खतरा वन्य जीवों के शिकार से जुड़ा है. ये खतरा उन हुड़दंगियों से भी है जो जश्न के नाम पर वन्यजीवों के हैबिटैट में दखल देते हैं. इन्ही खतरों से निपटने के लिए वन विभाग ने पुख्ता तैयारियां की हैं. ईटीवी भारत ने ग्राउंड पर उतरकर तैयारियों को जायजा लिया.

Rajaji National Park on occasion of New Year
शांत जंगलों में हाई अलर्ट

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 31, 2023, 4:56 PM IST

Updated : Dec 31, 2023, 6:50 PM IST

शांत जंगलों में हाई अलर्ट

देहरादून(उत्तराखंड): नये साल की दस्तक के साथ ही उत्तराखंड के जंगलों में हाई अलर्ट घोषित किया गया है. खासतौर आरक्षित वन क्षेत्र जहां वन्य जीवों की बहुतायत संख्या मौजूद है वहां पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. नए साल के आगमन के साथ ही यह माना जाता है कि वन्य जीव तस्कर जंगलों में सक्रिय हो जाते हैं. इस मौके पर अवैध शिकार की संभावना बढ़ जाती है. लिहाजा वन विभाग की तरफ से अलर्ट जारी होने के बाद जंगलों में कर्मचारियों के द्वारा पेट्रोलिंग बढ़ा दी गई है. वन विभाग के कर्मचारी दो चरणों में इस पेट्रोलिंग को पूरा करते हैं. पहले चरण के तहत जहां तक सड़क मौजूद है वहां तक जिप्सी के माध्यम से वन विभाग के कर्मचारी जंगल के अंदर पेट्रोलिंग करते हैं. ईटीवी भारत की टीम भी गश्त के लिए निकले वनकर्मियों के साथ रवाना हुई. इस दौरान शांत जंगल में वन कर्मी पैनी निगाह बनाते हुए सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए आगे बढ़े.

उत्तराखंड के शांत जंगलों में हाई अलर्ट

सबसे पहले ईटीवी भारत की टीम जंगल के रामगढ़ रेंज में पहुंची. राजाजी टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आने वाली इस रेंज का क्षेत्रफल सैकड़ो हेक्टर क्षेत्र में फैला हुआ है. ऐसे में इस पूरे इलाके पर नजर रखना वन विभाग के कर्मचारियों के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. वन विभाग में गश्त पर निकलने वाले कर्मचारियों के लिए कुछ खास प्रोटोकॉल बनाए गए हैं. जिसमें पेट्रोलिंग के लिए निकलने वाली टीम की संख्या 8 से 10 तक भी हो सकती है.

जिप्सी से पेट्रोलिंग

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पेट्रोलिंग का दूसरा चरण पैदल मार्ग पर शुरू होता है. जिस जगह पर जिप्सी नहीं पहुंच सकती वहां वनकर्मी पैदल ही पेट्रोलिंग करते हैं. करीब 3 किलोमीटर आगे जाने के बाद हमें कुछ जगह हाथी के पांव के निशान मिले. एक लेपर्ड के पांव के निशान भी दिखाई दिए. खास बात यह थी कि वन कर्मियों ने इन्हें देखकर इस बात का आकलन किया कि करीब 2 घंटे पहले ही गुलदार पेट्रोलिंग वाली जगह से होकर निकला था. जिस टीम के साथ हम निकले थे उसमें एक महिला वनकर्मी भी शामिल थी जो भले ही अभी वन सेवा में नई जुड़ी थी लेकिन वनों को बचाने और वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए उसने खुद को तैयार कर लिया है.

हथियारों के साथ पेट्रोलिंग टीम

जंगलों के अंदर केवल वन्य जीवों का ही खतरा पेट्रोलिंग करने वाली टीम को नहीं होता है बल्कि यहां पर अक्सर वन्य जीवों का शिकार करने के मकसद से जंगल में घुसे वन्य जीव तस्करों से भी इन वन कर्मियों की मुठभेड़ हो जाती है. इस तरह शिकारी जंगली जानवर से लेकर तस्करों से निपटने के सभी इंतजाम पेट्रोलिंग के लिए निकली टीम पहले ही तैयीरी करके जाती हैं. जिस टीम के साथ हम रामगढ़ रेंज में आगे बढ़ रहे थे उसके पास हथियार थे. साथ ही टीम लगातार अपने दूसरे साथियों के साथ भी संपर्क साध रही थी.

पेट्रोलिंग टीम

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इस क्षेत्र से अभी हम पैदल चलते हुए 5 किलोमीटर आगे ही बढ़े थे, तभी इसी इलाके के दूसरे क्षेत्र से पेट्रोलिंग करने के बाद एक दूसरी टीम यहां पर हमें मिली. यह टीम जंगल के दूसरे इलाके से करीब 10 किलोमीटर की पेट्रोलिंग करने के बाद यहां पर पहुंची थी. इसके बाद पेट्रोलिंग करते हुए एक लंबा क्षेत्र कवर करने वाली यह टीम थोड़ी देर के लिए पास में ही मौजूद कुएं के करीब बैठकर थकान मिटाने लगी.

ईटीवी भारत के कैमरे में कैद वनों के 'रक्षक'

जंगल के अंदर एक बड़ी परेशानी नेटवर्क की भी है. अगर एक बार जंगल के अंदर दाखिल हो जाए तो फिर दुनिया जहां से आपका संपर्क टूट जाता है. ऐसी स्थिति से निपटने के लिए वन विभाग के कर्मचारियों के पास वॉकी-टॉकी होता है. जिससे इमरजेंसी के हालात में वह अपने कार्यालय से बात कर सकते हैं. वन विभाग की टीम 1 दिन में करीब 20 से 30 किलोमीटर तक क्षेत्र में पेट्रोलिंग करती है. अलग-अलग टीम में पूरे क्षेत्र को कवर करती हैं. खास बात यह है कि न केवल दिन के समय बल्कि रात के वक्त भी वन विभाग के कर्मचारी जंगल के अंदर अलर्ट हो जाते हैं.

जिप्सी के बाद पैदल पेट्रोलिंग

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दरअसल, जंगल में रात के समय वन्य जीव तस्करों के घुसने की सबसे ज्यादा संभावना रहती है. इसलिए रात के समय टॉर्च लेकर कर्मचारी जंगल में पेट्रोलिंग पर निकलते हैं.वन क्षेत्र में संवेदनशीलता को देखते हुए वन विभाग डॉग स्क्वाड का भी इस्तेमाल करता है. इसके अलावा कई जगह हाथी पर सवार दल भी पेट्रोलिंग के लिए निकलता है. हालांकि राजाजी के अधिकतर क्षेत्रों में पेट्रोलिंग के लिए हाथियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है.

Last Updated : Dec 31, 2023, 6:50 PM IST

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