उत्तराखंड में अवैध खनन ने खोदी पुलों की नींव देहरादून: उत्तराखंड में पुलों के टूटने का सिलसिला जारी है. बीते कुछ दिनों मेंकोटद्वार मालन नदी पर बना पुलइसकी बानगी है. कोटद्वार मालन पुल के ढहने की वजह नदी में हो रहे अवैध खनन को माना गया. इसे लेकर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भी कई बार अधिकारियों को चेता चुकी थीं. मगर इसके बाद भी जिम्मेदार लोगों ने एक नहीं सुनी. जिसका नतीजा मालन नदी पर बना पुल ढह गया. ये तो महज एक वाकया है. उत्तराखंड में कई ऐसे पुल हैं जिनकी नींव को अवैध खनन खोखला कर रहा है. रिस्पना नदी पर बना धोरण एक ऐसा ही पुल है, जो आज की तारीख में जर्जर हो चुका है.
धोरण पुल भी होगा धराशायी! पल भर में टूटे कई पुल: उत्तराखंड में पिछले कुछ सालों से लगातार, मानसून सीजन हो या सामान्य मौसम, नदियों पर बने नए पुराने पुलों के टूटने का सिलसिला जारी है. पिछले साल देहरादून को ऋषिकेश से जोड़ने वाला मुख्य रानीपोखरी पुल भी भरे ट्रैफिक के बीच टूट गया. जिसमें कई लोगों की जान पर बन आई थी. यही नहीं भारी बरसात की वजह से रायपुर क्षेत्र में पड़ने वाला सोड़ा सरोली का पुल भी मानसून में टूट गया. इसी तरह से पिछले कुछ सालों में उत्तराखंड में लगातार पुलों के टूटने का सिलसिला जारी है.
धोरण पुल पर नदी में हो रहा अवैध खनन पढ़ें-सरकारी सिस्टम की भेंट चढ़ा मालन नदी पर बना पुल, ऋतु खंडूड़ी ने पहले ही कर दी थी 'भविष्यवाणी' ग्राउंड पर पहुंची ईटीवी भारत की टीम:इसके पीछे सबसे बड़ी वजह नदियों का सीना छलनी करने वाला अवैध खनन माना जा रहा है. नदियों में हो रहा खनन पुलों के लिए दुश्मन बन रहा है. नदियों में हो रहे खनन की सच्चाई जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ग्राउंड पर पहुंची. इसके लिए हम देहरादून के ही धोरण पुल पर पहुंचे. वहां जो कुछ हमने देखा उसके बाद कुछ कहने की जरूरत नहीं है. आइये आपको बताते हैं इसमें क्या कुछ निकलकर सामने आया.
पढ़ें- 'मिस्टर सिन्हा, मुझे तुरंत समाधान चाहिए'...मालन पुल टूटने पर भड़कीं स्पीकर ऋतु खंडूड़ी, आपदा सचिव को फटकार अवैध खनन के कारण जर्जर होता रिस्पना पर बना धोरण पुल:धोरण पुल रिस्पना नदी पर बना है. ये पुल देहरादून शहर को आईटी पार्क से जोड़ने वाला एकमात्र पुल है. ये पुल जर्जर हालात में है. पुल पर ट्रैफिक बहुत ज्यादा है. पुल के पास अवैध खनन भी जारी है. जिसके निशान इसके के आसपास साफ तौर से देखे जा सकते हैं. रिस्पना नदी पर बने धोरण पुल के हालात इतने दयनीय हो चुके हैं कि इस पर लगी सरिया अब बाहर झांकने लगी है. हर नदी की तरह इस नदी में भी लगातार हो रहे अवैध खनन के चलते इस पुल की नींव दिनों दिन कमजोर होती जा रही है.
पढ़ें-मालन पुल बहने पर तेज हुई राजनीति, पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी ने लगाए ये आरोप शाम ढलते ही बढ़ जाती है खनन कारोबारियों की आवाजाही: पुल के आसपास मौजूद स्थानीय लोगों ने कहा कि यहां पर हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. पुल जर्जर होता जा रहा है, इसके बाद भी खनन पर कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है. शाम ढलते ही यहां खनन करने वालों की आवाजाही बढ़ जाती है. आईटी पार्क को जोड़ने वाले इस पुल पर बहुत ज्यादा ट्रैफिक होता है. स्थानीय लोग पुराने पुल से होकर पैदल निकलते हैं. अव्यवस्थित खनन और नदी के तेज बहाव के कारण कई बार पानी पुल के ऊपर से बहने लगता है. जिसके कारण लोगों की परेशानियां बढ़ जाती हैं.
अवैध खनन ने खोखली की नींव पढ़ें- पौड़ी जिले में एक दर्जन पुलों को है मरम्मत की जरूरत, PWD ने शासन को भेजा 21.62 करोड़ का एस्टिमेट बंद हो अवैध खनन, धोरण पुल को मरम्मत की जरूरत:खनन करने वालों ने यहां पर रिस्पना नदी का सीना छलनी कर दिया है. यहां अव्यवस्थित गहराई बढ़ गई है. पुल की नींव भी कमजोर हो गई है. बरसात के दिनों में ऊपरी इलाकों से आने वाले पानी का प्रेशर बेहद अधिक होता है. ये प्रेशर सीधे पुल की नींव को हिट करता है. ऐसे में दिनों दिन पुल की फाउंडेशन कमजोर हो रही है. अगर समय रहते यहां पर अवैध खनन को नहीं रोका गया तो हालात और बिगड़ सकते हैं. इसके साथ ही धोरण पुल की मरम्मत की भी जरूरत है. जिसे बिना देर किये करवाया जाना चाहिए.
अकेले पौड़ी जिले में दर्जन भर पुल जर्जर पढ़ें-देश का वो पहला पुल जिसको बनाने के लिए चली पहली मालवाहक रेल, यहां पुल के ऊपर से बहती है गंगा पुलों के आसपास ही क्यों होता है खनन?:नदियों में होने वाले अवैध खनन और पुलों के टूटने के पीछे की एक बेहद हैरान करने वाली कहानी है. दरअसल, खनन को लेकर नियम है कि पुल के 100 मीटर के दायरे में कोई भी खनन प्रतिबंधित होगा. सरकारी प्रक्रिया के तहत किसी भी पुल के आसपास 100 मीटर तक का इलाका खनन के तहत आवंटित नहीं किया जाता है. पुल के पास खनन करना खनन व्यापारियों के लिए मुनाफे का सौदा होता है.
धोरण पुल पहुंची ईटीवी भारत की टीम पुल से नदी की तरफ जाने वाले रास्ते से खनन बेहद आसानी से किया जा सकता है. बजाय इसके पुल से 100 मीटर या 200 मीटर दूर जाकर खनन किया जाए. केवल इतना ही नहीं पुल से यदि थोड़ा दूर जाकर भी खनन किया जाता है तो खनन किए जाने के तरीके से काफी हद तक पुल पर असर पड़ता है. यदि पुल के ऊपरी इलाके में नदी को गहरा खोद दिया जाएगा तो पानी का प्रेशर नीचे जमीन को ज्यादा काटेगा, जो निश्चित तौर से पुल को नुकसान पहुंचाता है.