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अंधविश्वास का दंश, ट्राइबल बहुल गांव में हैं सिर्फ तीन महिलाएं, बाकी जेल में, देखिए ग्राउंड रिपोर्ट

11 जून 2013 को डायन बिसाही के आरोप में दो महिलाओं की पीट पीटकर हत्या कर दी गई थी. कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए 19 महिलाओं का आजीवन कारावास की सजा सुनाई. जिसके बाद गांव के इस टोले में सिर्फ तीन ही महिलाएं हैं. बाकी महिलाएं जेल में सजा काट रहीं हैं. उन महिलाओं के जेल जाने के बाद गांव की क्या स्थिति है, वहां के लोग कैसे रहते हैं और अब डायन बिसाही के बारे में क्या सोचते हैं इसका जायजा लिया ब्यूरो चीफ राजेश कुमार ने.

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Published : Aug 16, 2022, 6:54 PM IST

Gumla 19 women were sentenced life imprisonment
Gumla 19 women were sentenced life imprisonment

गुमला/रांची: झारखंड अंधविश्वास का दंश झेल रहा है (Superstition In Jharkhand). यह अंधविश्वास कितना घातक होता है अगर उसको समझना है तो आपको गुमला (Gumla) जाना चाहिए. यहां 11 जून 2013 को डायन बिसाही के आरोप में दो महिलाओं की पीट पीटकर हत्या कर दी गई थी (Two woman beaten to death on suspicion of witchcraft). जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए सभी 19 महिलाओं को आजीवन कारावास की सजा सुनाई (Jharkhand Gumla 19 women were sentenced life imprisonment).

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डायन बिसाही (witchcraft) जैसे अंधविश्वास (suspicion) ने इस गांव की खुशियां छीन ली हैं. रांची से करीब 80 किलोमीटर दूर गुमला जिला के भरनो थाना (Bharno police station) क्षेत्र में एक गांव है करौंदीजोर. इस गांव में एक छोर पर बसा है टुकू टोली. इंदवार समाज के 19 परिवार के लोगों ने अपना अपना आशियाना बना कर पीढ़ी दर पीढ़ी रहते आ रहे हैं. ये सभी लोग अब ईसाई धर्म अपना चुके हैं. इस गांव में अब सिर्फ तीन ही महिलाएं हैं. शेष 19 महिलाएं आजीवन कारावास की सजा काट रही हैं (Gumla 19 women were sentenced life imprisonment).

गुमला के करौंदीजोर गांव से जानकारी देते ब्यूरो चीफ राजेश कुमार

टुकू टोली में विरानगी का बीजारोपण 11 जून 2013 के कुछ दिन पहले हुआ था. गांव के एक युवक अगस्टीन इंदवार की अचानक मौत हो गयी थी. अगस्टीन की मौत के कुछ दिन बाद गांव के अखड़ा (वह जगह जहां गांव के लोग बैठकर कोई फैसला लेते हैं). में एक बैठक हुई, फिर यह तय किया गया कि इग्नेशिया इंदवार और बृजेनिया इंदवार के डायन बिसाही (जादू टोना) के कारण अगस्टीन की मौत हुई थी. लिहाजा दोनों को जिंदा रहने का कोई हक नहीं है. यह फैसला गांव की महिलाओं ने लिया और 11 जून 2013 को दोनों को बेरहमी से पीटा गया. जब यह बात फैली तो आसपास के लोग दोनों महिलाओं को लेकर सिसई अस्पताल पहुंचे. डॉक्टर ने एक को मृत घोषित किया और दूसरे की इलाज के दौरान जान चली गई. इस मामले में गांव की 19 महिलाओं को आरोपी बनाया गया. उस दौरान कई महिलाएं गर्भवती थी, जिन्होंने जेल में ही अपने बच्चों को जन्म दिया.

इग्नेशिया इंदरवार के बेटे से बात करते ब्यूरो चीफ राजेश कुमार

इस मामले में गुमला की अदालत द्वारा 4 अगस्त 2022 को आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद से सभी 19 महिलाएं जेल में हैं. जब ईटीवी भारत की टीम इस गांव में पहुंची तो सन्नाटा नजर आया. अंधविश्वास में जान गंवाने वाली इग्नेशिया के चारों बेटों के चेहरे पर कई सवाल थे. 9 साल पहले जब यह घटना घटी, तब इग्नेशिया के चारों बेटों की उम्र 13 साल से कम थी. अब सबसे बड़े बेटे एडविन की उम्र 22 साल है. उसे घटना की कोई याद नहीं है. बस इतना जानता है कि उसकी मां को मार दिया गया. उसकी शादी हो चुकी है और उसकी एक छोटी बच्ची है. आज टुकु टोली में कोई ऐसा घर नहीं है जहां कि कोई महिला जेल में ना हो. गांव के ज्यादातर युवक या तो पास के स्टोन माइंस में काम करते हैं या खेती-बाड़ी संभालते हैं.

ग्रामीणों ने बताया कि जिस दिन यह घटना घटी उस दिन रविवार था और गांव के ज्यादातर पुरुष पास के चर्च में गए थे. बाकी लोग खेतों में काम कर रहे थे. 19 महिलाओं के जेल में जाने के बाद गांव में बमुश्किल चूल्हा चौका जलता है. गांव के पुरुष ही खाना बनाकर बच्चों को खिलाते हैं. ईटीवी भारत की टीम ने उसी अखड़ा में मौजूद गांव के लोगों से पूछा कि क्या डायन बिसाही से कोई किसी की जान ले सकता है. क्या अंधविश्वास होता है. आप लोगों ने कैसे मान लिया कि अगस्टिन की मौत जादू टोना से हुई थी. इसके जवाब में सभी ने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था.

एडिशनल पीपी मोहम्मद जावेद हुसैन के मुताबिक पुलिस ने विस्तृत चार्ज शीट दाखिल की थी. इसमें गवाही भी हुई है. पीड़ित परिवार के लोगों ने आरोपियों की पहचान की थी. उसी आधार पर सभी को सजा हुई है. अब देखना है कि यह मामला जब हाई कोर्ट में जाता है तो वहां क्या कुछ निकल कर सामने आता है, लेकिन एक बात चौंकाने वाली देखने को मिली. गांव के सभी बच्चे और युवा एक साथ थे, आपस में कोई दुश्मनी नजर नहीं आ रही थी. सभी के चेहरे पर एक पछतावा था. कुछ वर्ष पहले तक इस इलाके में माओवादी सक्रिय थे. उसके बाद पीएलएफआई के नक्सली सक्रिय हुए. पुलिस की दबिश से अब इस इलाके में नक्सलवाद नहीं है लेकिन अंधविश्वास अब भी हावी है.

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