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बीएनएस विधेयक को लेकर सिब्बल ने साधा निशाना, बोले- 'तानाशाही' थोपना चाहती है सरकार

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Published : Aug 13, 2023, 10:03 PM IST

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य (बीएस) विधेयक 2023 पेश किए थे. इन्हें लेकर पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने निशाना साधा है (Sibal slams bills to replace criminal laws).

Sibal slams bills to replace criminal laws
पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल

नई दिल्ली : पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक को 'असंवैधानिक' करार देते हुए रविवार को आरोप लगाया कि सरकार औपनिवेशिक युग के कानूनों को खत्म करने की बात करती है, लेकिन उसकी सोच यह है कि वह ऐसे कानूनों के माध्यम से 'तानाशाही' थोपना चाहती है.

राज्यसभा सदस्य सिब्बल ने सरकार से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 को बदलने के लिए लाए गए तीन विधेयकों को वापस लेने का आह्वान किया.

उन्होंने आरोप लगाया कि यदि ऐसे कानून वास्तविकता बने, तो वे देश का 'भविष्य खतरे में डाल देंगे.' सिब्बल ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार औपनिवेशिक युग के कानूनों को खत्म करने की बात करती है, लेकिन उसकी सोच यह है कि वह कानूनों के माध्यम से देश में तानाशाही थोपना चाहती है। वह ऐसे कानून बनाना चाहती है, जिनके तहत उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, मजिस्ट्रेट, लोक सेवकों, कैग (नियंत्रक और महालेखा परीक्षक) और अन्य सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके.'

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'मैं न्यायाधीशों से सतर्क रहने का अनुरोध करना चाहता हूं. अगर ऐसे कानून पारित किए गए, तो देश का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा.' बीएनएस विधेयक का जिक्र करते हुए सिब्बल ने दावा किया कि यह 'खतरनाक' है और अगर पारित हो जाता है, तो सभी संस्थानों पर केवल सरकार का हुक्म चलेगा.

उन्होंने आरोप लगाया, 'मैं आपसे (सरकार से) इन्हें (विधेयकों को) वापस लेने का अनुरोध करता हूं. हम देश का दौरा करेंगे और लोगों को बताएंगे कि आप किस तरह का लोकतंत्र चाहते हैं-जो कानूनों के माध्यम से लोगों का गला घोंट दे और उनका मुंह बंद कर दे.'

कांग्रेस के पूर्व नेता सिब्बल ने कहा कि ये विधेयक 'पूरी तरह से न्यायपालिका की स्वतंत्रता के विपरीत' है. उन्होंने सरकार की आलोचना करते हुए कहा, 'ये विधेयक पूरी तरह से असंवैधानिक हैं और न्यायपालिका की स्वतंत्रता की जड़ पर प्रहार करते हैं. उनकी सोच स्पष्ट है कि वे इस देश में लोकतंत्र नहीं चाहते.'

सिब्बल केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की पहली और दूसरी सरकार के दौरान केंद्रीय मंत्री थे. उन्होंने पिछले साल मई में कांग्रेस छोड़ दी थी और समाजवादी पार्टी (सपा) के समर्थन से एक निर्दलीय सदस्य के रूप में राज्यसभा के लिए चुने गए थे.

सिब्बल ने अन्याय से लड़ने के उद्देश्य से एक गैर-चुनावी मंच 'इंसाफ' बनाया है. संवाददाता सम्मेलन में सिब्बल ने बीएनएस विधेयक की धारा 254, 255 और 257 का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि इनका उद्देश्य सरकारी अधिकारियों, मजिस्ट्रेट और न्यायाधीशों को सरकार का रुख स्वीकार करने के लिए 'धमकाना' है.

उन्होंने प्रस्तावित कानूनों के प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा, 'कौन अधिकारी सरकार के खिलाफ आदेश पारित करेगा? कौन मजिस्ट्रेट और न्यायाधीश सरकार के खिलाफ जाने की हिम्मत करेगा.'

सिब्बल ने दावा किया, 'यहां तक कि अंग्रेज भी कभी ऐसा काम नहीं करते थे. यहां तक कि राजा भी ऐसा काम नहीं करते थे. वे किस औपनिवेशिक मानसिकता की बात कर रहे हैं... कानून उनके (सरकार के) हाथ के हथियार बन गए हैं.'

मोदी-शाह पर उठाए सवाल :उन्होंने कहा, 'मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से पूछना चाहता हूं कि किस इरादे से इन कानूनों को लोकसभा में विचार के लिए पेश किया गया है. क्या आप लोकसेवकों को डराना चाहते हैं और लोगों को बताना चाहते हैं कि औपनिवेशिक युग के कानूनों को हटाया जा रहा है, लेकिन आप औपनिवेशिक काल की तुलना में अधिक कठोर कानून ला रहे हैं.'

सिब्बल ने आरोप लगाया कि सरकार ने 'संस्थानों को खत्म कर दिया है' और जो कुछ बचा है, वह प्रस्तावित कानूनों से 'नष्ट' हो जाएगा. उन्होंने कहा, 'फिर आप खुद को लोकतंत्र की जननी क्यों कहते हैं? आपको कहना होगा कि मैं तानाशाही का जनक हूं.'

सिब्बल ने कहा, 'आप किस तरह के लोकतंत्र की बात करते हैं? क्या दुनिया के किसी भी लोकतंत्र में ऐसे कानून हैं, जिन्हें आप लाना चाहते हैं? ये कानून किसने बनाए-एक कुलपति जो पांच सदस्यीय समिति के संयोजक थे. हमें नहीं पता कि किसने क्या सुझाव दिया.'

उन्होंने कहा, 'आप हमेशा सत्ता में नहीं रहेंगे तो इन कानूनों का इस्तेमाल आपके खिलाफ किया जा सकता है. क्या यह सही है?' पूर्व केंद्रीय मंत्री ने विपक्षी दलों से प्रस्तावित कानूनों पर बारीकी से नजर डालने और अपने विचार रखने का आह्वान भी किया.

सिब्बल ने दावा किया कि ये कानून पूरे संवैधानिक ढांचे को नष्ट कर सकते हैं.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य (बीएस) विधेयक 2023 पेश किए थे. ये विधेयक क्रमश: भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860, दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1898 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 की जगह लेंगे.

मंत्री ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से तीनों विधेयकों को पड़ताल के लिए गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति को भेजने का आग्रह भी किया था. अन्य बातों के अलावा, तीनों विधेयकों में राजद्रोह कानून को निरस्त करने और अपराध की व्यापक परिभाषा के साथ एक नया प्रावधान पेश करने का प्रस्ताव है.

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(पीटीआई-भाषा)

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