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रामसेतु पर जवाब देकर 'फंस' गई भाजपा, कांग्रेस हुई हमलावर - रामसेतु पर जवाब

संसद में रामसेतु को लेकर सरकार की ओर से दिए गए बयान कि 'रामसेतु की उत्पत्ति से संबंधित कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं' को लेकर कांग्रेस भाजपा पर हमलावर है (Govt statement on Ram Setu in Parliament). इस संबंध में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने ट्वीट कर निशाना साधा है. पढ़ें पूरी खबर.

Govt statement on Ram Setu in Parliament
रामसेतु को लेकर सरकार का बयान

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Published : Dec 23, 2022, 8:58 PM IST

नई दिल्ली :मोदी सरकार ने जैसे ही संसद में यह जवाब दिया कि रामसेतु की उत्पत्ति से संबंधित कोई सबूत नहीं मिले हैं, तो कांग्रेस समेत कई दलों ने भाजपा पर जोरदार हमला बोल दिया. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मोदी सरकार का 'दोहरा चरित्र' सामने आ गया है.

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने यह जवाब गुरुवार को दिया था. उन्होंने कहा, 'भारतीय सैटेलाइटों ने भारत और श्रीलंका को जोड़ने वाले रामसेतु वाले इलाके की हाई रिजोल्यूशन तस्वीरें ली हैं. हालांकि इन सैटेलाइट तस्वीरों से अब तक सीधे तौर पर रामसेतु की उत्पत्ति और वो कितना पुराना है इससे संबंधित कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं.' (Govt statement on Ram Setu in Parliament)

इसमें उन्होंने यह भी बताया है कि समुद्र के नीचे डूब चुके द्वारका की तस्वीरें भी रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट से नहीं ली जा सकती हैं, क्योंकि ये सरफेस के नीचे की तस्वीरें नहीं ले सकते.

जितेंद्र सिंह ने कहा कि स्पेस और टेक्नोलॉजी विभाग लगातार इतिहास से जुड़ी बातों के बारे में पुख्ता जानकारी जुटा रहा है. लेकिन उनकी अपनी कुछ सीमाएं भी हैं. उन्होंने अपने जवाब में कहा कि इतिहास में यह दर्ज है कि यह पुल 56 किलोमीटर लंबा है. हमारे तकनीक से हमें चूना पत्थर के बने छोटे द्वीप भी मिले हैं, और कुछ टुकड़े भी. पर, इनके आधार पर यह निष्कर्ष निकालना कि ये टुकड़े रामसेतु का हिस्सा रहे होंगे, कहना मुश्किल है. हां, यह संकेत जरूर मिलता है कि वहां पर कुछ तो था. जितेंद्र सिंह ने अपने जवाब में सरस्वती नदी का जिक्र कर इसकी तुलना की.

कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने ट्वीट किया 'सभी भक्त जन कान खोल कर सुन लो और आंखें खोल कर देख लो. मोदी सरकार संसद में कह रही है कि राम सेतु होने का कोई प्रमाण नहीं है.'

आपको बता दें कि रामायण के अनुसार जब भगवान राम अपनी पत्नी सीता को बचाने के लिए श्रीलंका जा रहे थे, तब उन्होंने वहां तक पहुंचने के लिए रामसेतु का निर्माण किया था. इसे एडम्स ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है.

इसे लेकर विवाद 2005 में उस वक्त हुआ था, जब यूपीए सरकार ने 12 मीटर गहरे और 300 मीटर चौड़े चैनल वाले सेतुसमुद्रम प्रोजेक्ट को हरी झंडी दी. इसके तहत रामसेतु की चट्टानों को तोड़ना पड़ता. तब इसके खिलाफ में कई हिंदू संगठनों ने विरोध किया था. भाजपा भी कांग्रेस पर हमलावर हुई थी.

पढ़ें-रामसेतु को राष्ट्रीय विरासत स्थल घोषित करने संबंधी याचिका पर होगी सुनवाई

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