नई दिल्ली :35 साल पहले श्रीलंका में ऑपरेशन पवन के दौरान अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों को शुक्रवार को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि दी गई. भारत-श्रीलंका शांति समझौते पर हस्ताक्षर होने के अगले ही दिन 30 जुलाई 1987 को श्रीलंका की धरती पर पहली भारतीय शांति सेना (आईपीकेएफ) के सैनिकों को उतरे 35 साल हो चुके हैं.
2 साल, 7 महीने, 3 हफ्ते और 3 दिन तक चले युद्ध में हमने 1,200 से अधिक जवानों को खो दिया. ऑपरेशन पवन के दौरान श्रीलंका में बटालियन की कमान संभालने वाले ब्रिगेडियर डॉ. बीके खन्ना ने 'ईटीवी भारत' से बात करते हुए कहा कि यह देखकर दुख होता है कि 35 साल बीत चुके हैं फिर भी भारत की किसी भी सरकार ने अपने प्राणों की आहुति देने वाले हमारे शहीदों के बलिदान और वीरता को नहीं पहचाना.'
रिटायर्ड ब्रिगेडियर खन्ना ने कहा, 'सरकार की सोच है कि यह भारत का वियतनाम था, लेकिन सशस्त्र बलों का क्या दोष था? हम सरकार से निर्देश प्राप्त करने के बाद ही वहां गए थे. जब भारत और श्रीलंका दोनों में सरकारें बदलीं फिर 1990 में वापसी हुई. मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि अगर हमें और 3-5 महीने मिलते तो हम लिट्टे को हथियार डालने के लिए मजबूर करते.' यह अब दूसरी बार है जब सरकार ने इस मौन जुलूस को निकालने की अनुमति दी है. आखिरी बार ऐसा मौन जुलूस 2021 में हुआ था. आज श्रद्धांजलि समारोह में केंद्र सरकार या रक्षा मंत्रालय से कोई क्यों नहीं आया? इस सवाल पर ब्रिगेडियर खन्ना ने कहा कि 'मुझे कोई कारण नहीं दिख रहा है कि सरकारें अपने सैनिकों के बलिदान को क्यों नहीं पहचान रही हैं.'