नई दिल्ली : सरकार ने उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम से उसके द्वारा दोबारा भेजे गए 10 प्रस्तावों पर पुनर्विचार करने को कहा है. कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने गुरुवार को राज्यसभा को यह जानकारी दी. एक सवाल के लिखित जवाब में उन्होंने यह भी बताया कि इन 10 प्रस्तावों में से तीन मामलों में उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने नियुक्ति के लिए अपनी पहले की सिफारिश को दोहराया है. उन्होंने कहा कि शेष सात प्रस्तावों पर कॉलेजियम ने उच्च न्यायालय कॉलेजियम से अतिरिक्त जानकारी मांगी है.
रिजिजू ने कहा 'उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम द्वारा दोहराए गए दस प्रस्तावों को हाल ही में पुनर्विचार के लिए उसे वापस भेज दिया गया था.' उन्होंने कहा कि सरकार को लगता है कि उसे मिली विभिन्न रिपोर्टों और सूचनाएं उसकी राय में कॉलेजियम द्वारा आगे विचार करने योग्य है, इसीलिए केंद्र ने इस तरह के दोहराए गए मामलों को पुनर्विचार के लिए उसे भेजा है, जैसा कि अतीत में भी किया गया था. उन्होंने कहा, 'अतीत में ऐसे उदाहरण हैं जब उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम ने सरकार द्वारा व्यक्त किए गए विचारों से सहमति जताई थी और अपनी दोहराई गई सिफारिशों को वापस ले लिया था.'
वहीं रिजिजू ने न्यायपालिका में आरक्षण पर एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि वर्तमान में भारतीय न्यायपालिका में कोई आरक्षण नीति नहीं है. बावजूद इसके उन्होंने कॉलेजियम से उन लोगों को शामिल करने के लिए कहा, जिनका सिस्टम में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है. राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान, डीएमके नेता तिरुचि शिवा ने जजों की नियुक्ति में आरक्षण नीति शुरू करने की संभावना पर सरकार विचार करेगी या नहीं, इससे संबंधित मामला उठाया था. रिजिजू ने कहा, मौजूदा नीतियों और प्रावधानों के अनुसार, भारतीय न्यायपालिका में कोई आरक्षण नहीं है.