नई दिल्ली: चीनी के रिकॉर्ड निर्यात के बीच, केंद्र सरकार ने बुधवार को कहा कि उसने घरेलू उपलब्धता और मूल्य को स्थिर रखने के लिए सितंबर को समाप्त होने वाले चालू विपणन वर्ष में चीनी के निर्यात को एक करोड़ टन पर सीमित करने की अधिसूचना जारी की है. विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा 24 मई की देर रात अधिसूचना जारी की गई. डीजीएफटी अधिसूचना के अनुसार, इस साल 1 जून से 31 अक्टूबर तक या अगले आदेश तक चीनी निर्यात की अनुमति दी जाएगी. इससे पहले खाद्य मंत्रालय के तहत चीनी निदेशालय की विशिष्ट अनुमति के साथ निर्यात होता था.
चालू विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में लगभग 90 लाख टन के निर्यात के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं, चीनी मिलों से लगभग 8.2 मिलियन टन चीनी निर्यात के लिए भेजी गई है और लगभग 7.8 मिलियन टन निर्यात किया गया है. खाद्य मंत्रालय के अनुसार चीनी के रिकॉर्ड निर्यात को देखते हुए यह फैसला लिया गया है. विपणन वर्ष 2021-22 में चीनी का निर्यात "ऐतिहासिक रूप से उच्चतम" है. जबकि 2020-21 में निर्यात 7 मिलियन टन और 2019-20 में 5.96 मिलियन टन था. "चीनी के निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि और देश में चीनी का पर्याप्त भंडार बनाए रखने के साथ-साथ चीनी की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए और देश की आम जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने इसे विनियमित करने का निर्णय लिया है. चीनी का निर्यात 1 जून, 2022 से प्रभावी होगा."
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि चीनी मिलों और निर्यातकों को चीनी निदेशालय, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग से निर्यात रिलीज ऑर्डर (ईआरओ) के रूप में मंजूरी लेने की जरूरत है. यह निर्णय सुनिश्चित करेगा कि सितंबर 2022 के अंत में चीनी का क्लोजिंग स्टॉक 6-6.5 मिलियन टन बना रहे, जो कि घरेलू उपयोग के लिए आवश्यक 2-3 महीने का स्टॉक है. नए विपणन कैलेंडर में पेराई कर्नाटक में अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में शुरू होती है. वही महाराष्ट्र में अक्टूबर-नवंबर के अंतिम सप्ताह में और उत्तर प्रदेश में नवंबर माह में शुरू होता है. इसलिए आमतौर पर नवंबर तक चीनी की आपूर्ति पिछले साल के स्टॉक से होती है. निर्यातकों को लिखे पत्र के अनुसार एक जून से 31 अक्टूबर तक चीनी निर्यात के लिए पारदर्शी तरीके से आवेदन प्राप्त होने पर निर्यातकों को निर्यात रिलीज के ऑर्डर दिए जाएंगे. साथ ही इन आदेशों को खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा. खाद्य मंत्रालय ने कहा कि 31 मई तक चीनी निर्यात की अनुमति दी जाएगी.
इसके अलावा थोक या ब्रेक-बल्क जहाजों के माध्यम से निर्यात के मामले में, यदि जहाज पहले ही भारतीय बंदरगाहों में आ चुके हैं और उनकी रोटेशन संख्या 31 मई तक आवंटित की गई है. तो ऐसे जहाजों पर चीनी निर्यात के लिए लदान बिना किसी अनुमोदन या आदेश के जारी रहेगा. निर्यातक राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली पोर्टल के माध्यम से ईआरओ के लिए आवेदन कर सकते हैं और ईआरओ में बदलाव के किसी भी अनुरोध पर विचार नहीं किया जाएगा.
बयान के अनुसार जारी किए गए ईआरओ की वैधता अनुबंध समझौते के तहत लेट एक्सपोर्ट ऑर्डर (एलईओ) की तारीख या 90 दिन, जो भी पहले हो, तक होगी. एलईओ तिथि के भीतर ईआरओ के गैर-कार्यान्वयन या ईआरओ के तहत चीनी के गैर-निर्यात को गंभीरता से लिया जाएगा और ऐसे निर्यातकों को आवश्यक वस्तु (ईसी) अधिनियम 1955 या चीनी नियंत्रण आदेश 1966 के तहत दंडित किया जा सकता है.