हैदराबाद:कोरोना संक्रमण के इस दौर में निजी अस्पतालों की मनमानी किसी से छिपी नही हैं और ये सब सरकारों के रेट तय करने और निजी अस्पतालों को गाइडलाइन जारी करने के बाद भी हो रहा है. एंबुलेंस का किराया भी सरकारों की तरफ से तय किया हुआ है लेकिन फिर भी मनमाना किराया वसूला जा रहा है. कोरोना संकट काल में डॉक्टरों की फीस में भी दोगुनी हो गई है. कुल मिलाकर कोरोना काल में निजी अस्पतालों ने आपदा को अवसर बनाया है. आइये अब आपको बताते हैं कि कोरोना के इलाज को लेकर निजी अस्पतालों या एंबुलेंस जैसी सुविधाओं को लेकर राज्य सरकारों ने क्या रेट तय किए हैं.
उत्तर प्रदेश
देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण काल में कई अस्पताल आपदा को अवसर बनाने का मौका नहीं छोड़ रहे. कोरोना संक्रमितों के इलाज के नाम पर कई निजी अस्पताल मनमानी कीमत वसूल रहे हैं. प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ऐसे ही तीन निजी अस्पतालों के खिलाफ पिछले हफ्ते एफआईआर दर्ज करवाई गई थी. रेमडेसिविर की कालाबाजीर हो या फिर नकली ऑक्सीजन सिलेंडर या अन्य मेडिकल उपकरणों की, यूपी में कोरोना संक्रमितों का मर्ज ये कालाबाजारी और बढ़ा रही है. निजी अस्पतालों की मनमानी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने निजी अस्पतालों में इलाज के रेट कुछ इस तरह तय किए हैं.
राजस्थान
राजस्थान की राजधानी जयपुर में ऑक्सीजन सिलेंडर से लेकर रेमडेसिविर और पल्स ऑक्सीमीटर और दवाओं की जमाखोरी के मामले भी सामने आते रहे हैं. राजस्थान में एंबुलेंस सर्विस से लेकर अन्य परिवहन साधनों के लिए भी किराया तय है. लेकिन टैक्सी से लेकर एंबुलेंस वाले मनमाना पैसा वसूलते हैं. कोविड-19 संक्रमण से पहले अस्पतालों में मेडिकल फैसिलिटी के दाम अलग थे हालांकि कुछ बड़े अस्पतालों में सुविधाओं के अनुसार आईसीयू वेंटीलेटर चार्ज अधिक वसूल किया जाता था लेकिन कोविड-19 संक्रमण के बाद इसमें और बढ़ोतरी कर दी गई है. राजस्थान में निजी अस्पतालों कोरोना के लिए सरकार द्वारा तय रेट कुछ इस तरह है.
बिहार
बिहार में जिलों को ए, बी और सी कैटेगरी में बांटा गया है. और निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज के रेट उसी हिसाब से तय किए गए हैं. कोरोना काल में बिहार में भी कई जगह से ऑक्सीजन, सिलेंडर, ऑक्सीजन कंसनट्रेटर, रेमडेसिविर और अन्य दवाओं या मेडिकल उपकरणों की कालाबाजीर के मामले सामने आए हैं. प्रशासन की तरफ से की गई कार्रवाई में कई लोगों की गिरफ्तारियों के साथ मेडिकल उपकरण और दवाएं बरामद की है.
झारखंड
झारखंड में कोरोना संक्रमण के इस दौर में निजी अस्पताल कोरोना मरीजों के इलाज के नाम पर मनमानी न करे इसके लिए झारखंड सरकार ने अक्टूबर 2020 में ही एक विस्तृत गाइडलाइन बनाई थी. इसमें राज्य के चौबीस जिलों को तीन श्रेणी में बांटकर नेशनल एक्रिडेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स यानी एनएबीएच से मान्यता प्राप्त और गैर-एनएबीएच अस्पतालों के अनुसार इलाज की राशि तय की गई. इसके बावजूद प्रदेश में निजी अस्पतालों द्वारा मरीजों से मनमाना पैसा वसूलने के मामले सामने आते रहे. प्रदेश सरकार ने कोरोना जांच के लिए निजी लैब को भी अनुमति दी है और उसके लिए कीमत भी तय कर रखी है.
केरल
कोरोना की दूसरी लहर में केरल में संक्रमण के मामलों में बहुत बढ़ोतरी देखी गई. सरकार के आदेश पर प्राइवेट मेडिकल कॉलेज में 75 फीसदी बेड और प्राइवेट अस्पतालों में 50 फीसदी बेड सरकार के लिए आरक्षित किए गए. सरकारी अस्पतालों में एंबुलेंस सेवा फ्री है जबकि निजी अस्पतालों में एंबुलेंस की फीस अलग-अलग है. केरल में अस्पतालों में बेड को लेकर वसूली करने के साथ साथ फर्जी रेमडेसिविर, फर्जी कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट से लेकर ऑक्सीजन की कालाबाजारी के मामले सामने आए थे. जिनमें 100 ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हुई जिनसे जरूरी मेडिकल उपकरण और दवाइयां बरामद हुई.
हरियाणा
कोरोना संक्रमण के बीच ऑक्सीजन से लेकर दवाओं की कालाबाजारी के मामले सामने आए. जिनमें कई लोगों की गिरफ्तारी के साथ-साथ 409 ऑक्सीजन सिलेंडर और 130 रेमडेसिविर इंजेक्शन बरामद किए गए. कालाबाजारी को देखते हुए सरकार ने टोल फ्री नंबर भी जारी किया, जिसपर ऑक्सीजन और रेमडेसिविर की कालाबाजारी की शिकायत की जा सकती है. हरियाणा के निजी अस्पतालों की मनमानी के मामले भी कोरोना काल में सामने आते रहे. खुद हरियाणा विधानसभा स्पीकर ने निजी अस्पताल द्वारा अधिक पैसे वसूलने के मामले उजागर किए और प्रदेश के मुख्यमंत्री के साथ स्वास्थ्य मंत्री को चिट्ठी लिखी. एक सरकारी कर्मचारी का 11.50 लाख का बिल बनाने के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने सरकारी कर्मियों का निजी अस्पताल में इलाज का ऑडिट करने को कहा है. ये सब तब हो रहा है जब सरकार ने प्रदेश में निजी अस्पतालों के लिए गाइडलाइन और इलाज के रेट तय किए हुए हैं.
हिमाचल
हिमाचल में भी कोरोना की दूसरी लहर के दौरान संक्रमण के मामलों में इजाफा हुआ. जिसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने निजी अस्पतालों में भी कोरोना मरीजों के इलाज का फैसला लिया है. इसके लिए शुल्क निर्धारित कर दिए गए हैं. हालांकि प्रदेश में ऑक्सीजन, रेमडेसिविर या अन्य दवाओं या मेडिकल उपकरणों की कालाबाजारी के मामले सामने नहीं आए. प्रदेश में कोरोना टेस्ट के लिए भी कीमतें तय कर दी गई हैं. परिवहन, पैकिंग, टैक्स आदि सब मिलाकर प्रति सैंपल की जांच 500 रुपये में होगी जबकि घर जाकर सैंपल लेने पर 750 रुपये देने होंगे. निजी अस्पताल और लैब भी इससे अधिक राशि नहीं ले सकेंगी.
छत्तीसगढ़
राज्य में अप्रैल के महीने में कोरोना संक्रमण की रफ्तार के बढ़ने के साथ ही रेमडेसिविर की कालाबाजारी के मामले सामने आए जिनमें कुछ लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है. इसे देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने रेमडेसिविर और ब्लैक फंगस में होने वाली दवाओं को सीधे अस्पताल में सप्लाई करने का फैसला किया है. ऑक्सीजन की कालाबाजारी के मामले सामने नहीं आए. कोरोना संक्रमण काल में डॉक्टरों की फीस में भी बढ़ोतरी हुई है. पहले जहां डॉक्टर की फीस 300 से 500 रुपये के बीच थी वहीं अब ये 1000 रुपये तक पहुंच चुकी है. वहीं निजी अस्पतालों में सामान्य बेड से लेकर आईसीयू और वेंटिलेटर युक्त आईसीयू के लिए रेट सरकार ने तय कर रखे हैं.
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश में भी कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बीच नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन खूब बेचे गए. कालाबाजारी करने वालों पर रासुका के तहत कार्रवाई लगातार जारी है. इंदौर, जबलपुर से कालाबाजारी के सबसे ज्यादा मामले पकड़े गए. बाद में भोपाल में कालाबाजारी के मामले सामने आए. प्रदेश सरकार ने निजी अस्पतालों में इलाज से लेकर एंबुलेंस और सीटी स्कैन व अन्य टेस्ट सुविधाओं के दाम भी निर्धारित किए हुए हैं. अस्पतालों को निर्देश हैं कि वे सरकार की रेट लिस्ट काउंटर पर लगाए.
ओडिशा
कोरोना संक्रमण को देखते हुए ओडिशा सरकार ने 30 या उससे अधिक बेड वाले निजी अस्पतालों में 50 फीसदी सामान्य बेड और इतने ही आईसीयू बेड का प्रावधान कोविड मरीजों के इलाज के लिए सरकार की गाइडलाइन के तहत करने के आदेश दिए. कोरोना संक्रमण के बढ़ने पर निजी अस्पतालों के 100 फीसदी बेड का इस्तेमाल कोरोना मरीजों के लिए करने के भी आदेश दिए गए. राज्य में ऑक्सीजन की मांग तो बढ़ी लेकिन इस दौरान ऑक्सीजन सिलेंडर, रेमडेसिविर या अन्य दवाओं या उपकरणों की कालाबाजारी के मामले सामने नहीं आए. सरकार ने निजी अस्पतालों में एनबीएच और नॉन-एनबीएच अस्पतालों में कोरोना के इलाज के लिए दरें भी तय कर दी गई. इसके अलावा एंबुलेंस का किराया भी तय किया गया.
दिल्ली
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का कहर दिल्ली पर भी बरपाया. जिसे देखते हुए दिल्ली सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना इलाज के लिए राशि तय कर दी. जिसके तहत आइसोलेशन बेड के लिए 8 से 10 हजार, बिना वेंटिलेटर आईसीयू के लिए 13 से 15 हजार और वेंटिलेटर युक्त आईसीयू के लिए 15 हजार से 18 हजरा रुपये प्रतिदिन के हिसाब से देने होंगे. इसके अलावा दिल्ली सरकार ने एंबुलेंस का किराया भी तय किया है. सरकार के आदेशों की अवहेलना कर ज्यादा पैसे वसूलने वालों पर कड़ी कार्रवाई के आदेश भी दिए गए. दिल्ली में ऑक्सीजन से लेकर बेड और दवाओं की कालाबाजारी और ठगी के मामले सामने आए. इसके लिए लोगों ने करीब 150 लोगों को गिरफ्तार किया. इनमें वो एंबुलेंस चालक भी शामिल हैं जिन्होंने तय किराये से ज्यादा रकम मरीजों से वसूली थी.
उत्तराखंड
प्रदेश में कोरोना के मामले बढ़े तो निजी अस्पतालों की तरफ से इलाज के नाम पर मनमाने पैसे वसूलने के मामले भी सामने आए. ऐसे 11 अस्पतालों से 13 मरीजों के करीब 11 लाख रपुये स्वास्थ्य विभाग ने वापस करवाए थे. प्रदेश में ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑक्सीमीटर, रेमडेसिविर इंजेक्शन को तय रेट से अधिक पर बेचने के मामले सामने आए हैं. पुलिस ने कालाबाजीर को लेकर भी 10 लोगों की गिरफ्तारी की है और 100 जगह छापेमारी की थी. कोरोना काल में डॉक्टरों की फीस भी दोगुनी हुई है.
तमिलनाडु
तमिलनाडु सरकार ने 7 मई को घोषणा की थी कि मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के तहत लाभार्थियों के कोरोना संक्रमित होने पर सरकार उनके इलाज का खर्च उठाएगी. चाहे वे अपना इलाज निजी अस्पतालों में करवाएं. कोरोना संक्रमण के दौरान राज्य में रेमडेसिवर की कालाबाजीर के मामले सामने आए, कई मामलों में ऐसे कालाबाजारियों को जेल भी भेजा गया. राज्य में स्वास्थ्य एंबुलेंस सेवा से लेकर अस्पतालों में इलाज के लिए सरकार की स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत आने वाले लोगों को मुफ्त सुविधा मिलेगी. प्रदेश में कुल 1.40 लाख बेड की सुविधा है. सरकार ने 385 कोविड केयर सेटर भी स्थापित किए हैं.
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