नई दिल्ली : केंद्रीय सतर्कता आयोग (Central Vigilance Commission- CVC) की ओर से 55 मामलों में भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों को दंडित करने की दी गई सिफारिशों को सरकारी विभागों ने नहीं माना है. रेलवे मंत्रालय के 11 ऐसे मामले हैं, जहां सिफारिशें नहीं मानी गई हैं. एक आधिकारिक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. सीवीसी की वार्षिक रिपोर्ट-2021 में कहा गया कि भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी), बैंक ऑफ इंडिया और दिल्ली जल बोर्ड में ऐसे चार-चार मामले हैं, जबकि महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड ने तीन मामलों में अपने कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की.
रिपोर्ट में कहा गया कि भ्रष्टाचारियों को दंडित करने (advice to punish corrupt officials) के लिए आयोग की सिफारिश नहीं मानने के मामले इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, मद्रास फर्टिलाइजर्स लिमिटेड, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय और उत्तरी दिल्ली नगर निगम (जो अब एकीकृत दिल्ली नगर निगम का हिस्सा है) के हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि आयोग ने पाया कि 2021 में उसकी कुछ अहम सिफारिशों को नहीं माना गया.
इसमें कहा गया कि आयोग की सिफारिशों को नहीं मानना अथवा आयोग से विचार विमर्श नहीं करना सतर्कता की प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाता है. साथ ही सतर्कता प्रशासन की निष्पक्षता को कमजोर करता है. ऐसे ही एक मामले का ब्योरा देते हुए सीवीसी ने कहा कि विभिन्न क्षमताओं में काम करते हुए तत्कालीन मुख्य कार्मिक अधिकारी ने अपनी आय के ज्ञात स्रोत से 138.65 प्रतिशत अधिक संपत्ति अर्जित की.
रिपोर्ट के अनुसार, उन्हें संपत्ति की खरीद और उनके या उनकी पत्नी द्वारा किए गए निवेश तथा परिवार के सदस्यों द्वारा लिए गए उपहारों के बारे में मौजूदा नियमों के अनुसार विभाग की अनुमति नहीं लेने या उसे सूचित नहीं करने का जिम्मेदार पाया गया. रिपोर्ट यह भी बताया है कि आयोग ने पहले चरण में सात मार्च 2021 को तत्कालीन मुख्य कार्मिक अधिकारी के खिलाफ बड़ा जुर्माना लगाने की कार्रवाई शुरू करने का सुझाव दिया. वहीं, दूसरे चरण में उसके खिलाफ रेलवे सेवा (पेंशन) नियम के तहत जुर्माना लगाने की सलाह दी थी. इसमें कहा गया कि अनुशासनात्मक प्राधिकार अर्थात रेलवे बोर्ड (मेंबर स्टाफ) ने मामले को बंद करने का फैसला किया और अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई बंद कर दी गई. रिपोर्ट में अन्य मामलों के भी ब्योरे पेश किए गए हैं.
(पीटीआई-भाषा)