नई दिल्ली :अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया है कि तमिलनाडु के राज्यपाल ने पाया है कि राज्य में डीएमके सरकार ने तमिलनाडु लोक सेवा आयोग के लिए पूरी चयन प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं रखी है.
तमिलनाडु लोक सेवा आयोग के सदस्यों की नियुक्ति से संबंधित प्रस्तावों के संबंध में एक नोट में एजी ने कहा, 'राज्यपाल ने पाया कि पूरी चयन प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं है. इसके अलावा, उन्होंने पाया कि जिस व्यक्ति को अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जाना है, यदि नियुक्त किया जाता है, तो उसके पास कार्यालय में एक वर्ष से कम का समय होगा.'
नोट में कहा गया है, 'इसके अलावा, अनुशंसित सदस्यों में से एक को उस कॉलेज द्वारा कुप्रबंधन के लिए निलंबित कर दिया गया था जहां वह एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे थे और अपीलीय प्राधिकारी ने भी निलंबन को बरकरार रखा था.'
एजी ने कहा कि चूंकि चयन के तरीके में राज्यपाल की चिंताओं का सरकार द्वारा समाधान नहीं किया गया, इसलिए संबंधित प्रस्ताव 26 अक्टूबर, 2023 को वापस कर दिया गया था और वर्तमान में, यह मामला राज्यपाल के कार्यालय में लंबित नहीं है.
नोट में कहा गया है कि 'हालांकि, गौरतलब है कि राज्यपाल ने सरकार से मिले नियुक्ति के अन्य सभी प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है.' राज्य के तीन विश्वविद्यालयों में कुलपतियों के चयन के लिए सर्च कमेटी गठित करने के मुद्दे पर एजी ने कहा, 'उपरोक्त निर्णय और यूजीसी विनियम, 2018 के अनुसार सर्च कम सिलेक्शन कमेटी का पुनर्गठन करने के लिए सरकार को लिखित संचार भेजा गया था. चूंकि सरकार ने बार-बार याद दिलाने के बावजूद यूजीसी विनियमों के अनुसार समिति का पुनर्गठन नहीं किया, राज्यपाल-कुलाधिपति के पास यूजीसी अध्यक्ष के नामित व्यक्ति को जोड़ने और खोज सह चयन समिति का पुनर्गठन करने और उसे अधिसूचित करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था.'