रांची: झारखंड के चाईबासा में नक्सलियों के द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में सोमवार की रात 2012 बैच के सब इंस्पेक्टर अमित तिवारी और आरक्षी गौतम कुमार शहीद हो गए थे. मंगलवार को दोनों के पार्थिव शरीर को हेलीकॉप्टर के जरिए रांची लाया गया. जहां अस्पताल में दोनों का पोस्टमार्टम किया गया.
पोस्टमार्टम के बाद दोनों के पार्थिव शरीर को श्रद्धांजलि के लिए झारखंड जगुआर मुख्यालय गया. झारखंड जगुआर के मुख्यालय में राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी सहित झारखंड पुलिस के आला अफसरों ने गमगीन माहौल में भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पण किया.
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अंतिम सांसें ले रहा नक्सलवाद:मुख्यमंत्री ने कहा कि दरअसल राज्य में उग्रवादी घटनाएं अब अंतिम सांसें गिन रही है. उग्रवादियों के खिलाफ पुलिस को लगातार कई बड़ी सफलताएं मिल रही हैं. ऐसे में हताशा में उग्रवादियों द्वारा पुलिस को निशाना बनाने की कोशिश हो रही है. दो वीर जवानों की शहादत कहीं ना कहीं उग्रवादियों के हताशा में किए गए हमले का ही परिणाम है.
उन्होंने कहा कि दो जवानों का शहीद होना हमारे लिए बहुत ही दुखद है, लेकिन उग्रवादियों के खिलाफ पुलिस का अभियान और शक्ति के साथ लगातार जारी रहेगा. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि झारखंड जगुआर से संबंधित कुछ समस्याएं संज्ञान में आई है और इसका जल्द निराकरण होगा. इस दौरान मुख्यमंत्री ने शहीद पुलिसकर्मियों के परिजनों से भी मुलाकात की और उन्हें ढांढस बंधाया. शहीद के परिजनों को मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि सरकार जीवन भर उनके साथ है.
गृह जिला भेज गया पार्थिव शरीर:झारखंड जगुवार में श्रद्धांजलि देने के बाद दोनों शहीदों के पार्थिव शरीर को उनके गृह जिला भेज दिया गया. दोनों का अंतिम संस्कार उनके गृह जिले में होगा.
घात लगाकर किया हमला:गौरतलब है कि झारखंड जगुआर की एक टीम नक्सलियों के खिलाफ सर्च ऑपरेशन करके वापस लौट रही थी, इसी दौरान घात लगाकर नक्सलियों ने टीम के ऊपर बर्स्ट फायरिंग कर दी. इस फायरिंग में सब इंस्पेक्टर अमित तिवारी और गौतम कुमार को गोली लग गई. नक्सलियों का हमला इतना घातक था कि दोनों मौके पर ही शहीद हो गए. पुलिस ने जब जवाबी फायरिंग शुरू की तब नक्सली जंगल का फायदा उठाकर फरार हो गए.
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तीन दिन पहले हुआ बेटा:नक्सलियों के हाथों शहीद हुए इंस्पेक्टर अमित तिवारी पलामू के रहने वाले थे, तीन दिन पूर्व ही उनके बेटे का जन्म हुआ था. अभियान खत्म कर अमित तिवारी घर लौटने वाले थे, ताकि अपने बेटे को देख सके. अपने बेटे को देखने के लिए अमित तिवारी ने छुट्टी ली थी. लेकिन नक्सलियों के द्वारा किए गए कायरतापूर्ण हमले में वह शहीद हो गए. अमित तिवारी के परिवार का अधिकांश सदस्य पुलिस विभाग में ही कार्यरत है. शहीद हुए हवलदार गौतम कुमार को भी अपने पिता की मौत के बाद अनुकंपा पर नौकरी मिली थी.