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Anti Copying law: उत्तराखंड में देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून लागू, राज्यपाल ने दी मंजूरी

उत्तराखंड में देश का सबसे सख्त नकल विरोधी कानून लागू हो गया है. राज्यपाल गुरमीत सिंह ने नकल विरोधी अध्यादेश को मंजूरी दे दी है. अब 12 फरवरी को उत्तराखंड में होने वाली पटवारी लेखपाल परीक्षा समेत दूसरी सभी भर्ती परीक्षाएं नए नकल विरोधी कानून के अंतर्गत आयोजित होंगी.

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Published : Feb 11, 2023, 7:10 AM IST

देहरादून: गुरुवार को ही सरकार ने राज्यपाल की मंजूरी के लिए उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) अध्यादेश, 2023 मंजूरी के लिए भेजा था. राज्यपाल ने 24 घंटे के भीतर इस अध्यादेश को मंजूरी दे दी. उत्तराखंड के इस नकल विरोधी कानून को देश का सबसे कड़ा कानून बताया जा रहा है.

नकल विरोधी कानून में सख्त नियम:उत्तराखंड प्रतियोगी परीक्षा अध्यादेश 2023 में सख्त सजा और जुर्माने का प्रावधान रखा गया है. शुक्रवार को राज्यपाल गुरमीत सिंह की मंजूरी मिलने के साथ ही नकल विरोधी कानून उत्तराखंड में लागू भी हो गया है. इस कानून के तहत अब भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक, नकल कराने या गलत साधनों का प्रयोग करने में लिप्त पाए जाने पर आरोपी को आजीवन कारावास की सजा मिलेगी. सजा के साथ ही 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी भरना पड़ेगा. इस गैर जमानती अपराध में दोषियों की संपत्ति जब्त करने का भी सख्त प्रावधान है.

आजीवन कारावास के साथ 10 करोड़ रुपये तक जुर्माना:नए नकल विरोधी कानून में के लागू होते ही संगठित होकर नकल कराने और अनुचित साधनों के प्रयोग करने में लिप्त पाए जाने वाले मामलों में आजीवन कारावास की सजा तथा 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है. इस कानून के तहत आरोपियों की संपत्ति भी जब्त करने की व्यवस्था की गई है. नए नकल विरोधी कानून के अंतर्गत पकड़े जाने पर आरोपी का अपराध संज्ञेय, गैर जमानती और अशमनीय होगा.

कोंचिंग संस्थान, प्रबंधन तंत्र के लोगों के लिए भी सजा का प्रावधान:उत्तराखंड पेपर लीक मामलों में व्यक्तियों के समूह, प्रिंटिंग प्रेस के लोग और आयोग से जुड़े लोग संलिप्त पाए गए थे. इसी को देखते हुए उत्तराखंड के नए नकल विरोधी कानून का दायरा भी बढ़ाया गया है. अब भर्ती परीक्षा में यदि कोई व्यक्ति, प्रिंटिंग प्रेस, सेवा प्रदाता संस्था, प्रबंध तंत्र, कोचिंग संस्थान आदि अनुचित साधनों का प्रयोग कराते हुए लिप्त पाए जाते हैं, तो उनको भी आजीवन कैद की सजा और 10 करोड़ रुपये का जुर्माना लगेगा.

10 वर्ष की सजा के साथ 10 लाख रुपये जुर्माने का भी प्रावधान:नए नकल विरोधी कानून के तहत यदि कोई अभ्यर्थी भर्ती परीक्षा में खुद नकल करते अथवा नकल कराते हुए अनुचित साधनों के साथ पकड़ा जाता है तो तो ऐसे मामले में तीन साल की सजा होगी. कम से कम पांच लाख जुर्माने का प्रावधान किया गया है. दूसरी बार भी यदि ये अभ्यर्थी अन्य प्रतियोगी परीक्षा में दोबारा दोषी पाया जाता है, तो उसको कम से कम 10 साल की सजा और कम से कम 10 लाख रुपये का जुर्माना भरना पड़ेगा.

नकल की तो ये होगी सजा:अभ्यर्थी नकल करता पकड़ा गया तो आरोप पत्र दाखिल होने की तिथि से लेकर दो से पांच वर्ष के लिए उसे निलंबित कर दिया जाएगा. अभ्यर्थी का दोष सिद्ध होने पर उसको 10 साल के लिए सभी परीक्षा देने से निलंबित किया जाएगा. दोबारा नकल करते पकड़े जाने पर आरोप पत्र दाखिल करने से लेकर पांच से 10 साल के लिए निलंबित कर दिया जाएगा. दोष सिद्ध होने पर उस अभ्यर्थी के आजीवन सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा.
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क्यों जरूरी हो गया था नकल विरोधी कानून: दरअसल, उत्तराखंड में लगातार भर्ती परीक्षा के पेपर लीक हो रहे हैं. हाल ही में उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की तरफ से आयोजित कराई गई पटवारी भर्ती परीक्षा पेपर भी लीक हो गया था. इससे पहले ही यूकेएसएसएससी के भी कई पेपर लीक हो चुके हैं. ऐसे में सरकार के साथ ही परीक्षा कराने वाले आयोग और संस्थाएं सवालों के घेरे में थी. इसीलिए नकल विरोधी कानून लाया गया है.

9 फरवरी को पेपर लीक के विरोध में हुआ था बड़ा बवाल: बता दें कि 9 फरवरी को उत्तराखंड बेरोजगार संघ के बैनर तले सैकड़ों की सख्या में युवाओं ने भर्ती घोटालों की सीबीआई जांच की मांग लेकर देहरादून के घटाघर पर विरोध प्रर्दशन किया था, जो काफी उग्र हो गया था. इस दौरान प्रदर्शनकारियों की तरफ से पुलिस पर पथराव भी किया गया था. जिसके जवाब में पुलिस ने भी लाठीचार्ज किया था. लाठीचार्ज में 50 से ज्यादा प्रदर्शनकारी युवा घायल हुए थे. 15 पुलिसकर्मी भी चोटिल हुए थे. पुलिस ने 13 नामजद प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार भी किया. इस घटना के बाद उत्तराखंड की सियासत गरमा गई है. वहीं 10 फरवरी को उत्तराखंड बेरोजगार संघ ने प्रदेश बंद का ऐलान करते हुए प्रदर्शन किया. ऐसे में सरकार ने उत्तराखंड नकल विरोधी कानून को मंजूरी देकर भड़के हुए युवाओं को शांत करने का प्रयास किया है.
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