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उत्तराखंड में संवेदनशील जगहों का सर्वे कराएगी सरकार, ईटीवी भारत की खबर का लिया संज्ञान - उत्तराखंड में संवेदनशील जगहों का सर्वे

ईटीवी भारत ने 'उत्तराखंड के कई और शहरों पर भी जोशीमठ की तरह मंडरा रहा खतरा, एक्सपर्ट की राय पर गौर करने की जरूरत' हेडलाइन से खबर को प्रमुखता से दिखाया था. जिसका बड़ा असर हुआ है. खबर दिखाए जाने के बाद सरकार ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जोशीमठ जैसे अन्य शहरों और जगहों का सर्वे कराने की बात कही है. उधर, जोशीमठ को आपदा से बचाने के लिए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती भी सक्रिय हैं.

survey of sensitive places of Uttarakhand
संवेदनशील जगहों का सर्वे कराएगी सरकार

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Published : Jan 9, 2023, 3:13 PM IST

संवेदनशील जगहों का सर्वे कराएगी धामी सरकार.

देहरादूनःऐतिहासिक जोशीमठ समेत अन्य शहरों पर मंडरा रहे खतरे को लेकर प्रकाशित ईटीवी भारत की खबर का धामी सरकार ने संज्ञान लिया है. सरकार अब प्रदेश के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौजूद जोशीमठ जैसे शहरों और जगहों का सर्वे कराने की बात कह रही है. वहीं, सीएम धामी ने जोशीमठ मामले में सियासत न करने का आग्रह किया है.

दरअसल, ईटीवी भारत ने अपनी खबर के माध्यम से बताया था कि जोशीमठ शहर ही नहीं बल्कि, प्रदेश के 4500 फीट से अधिक ऊंचाई पर बसे तमाम गांव और कस्बों पर भी खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में भविष्य में इन क्षेत्रों के भी हालात जोशीमठ जैसे न हों इससे पहले ही सरकार को इन सभी क्षेत्रों का सर्वे कराए जाने की जरूरत है. जिसका खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने संज्ञान लिया है. लिहाजा, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि जोशीमठ जैसे प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों पर जितने भी संवेदनशील जगहें हैं, उन सभी जगहों का सर्वे कराया जाएगा.

वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जोशीमठ में जो यह आपदा आई है, वह भविष्य के लिए सचेत कर रही है. लिहाजा, प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में जितने भी इस तरह की संवेदनशील जगहें हैं, उसकी धारण क्षमता कितनी है? उसका सर्वे कराया (survey of sensitive places of Uttarakhand) जाएगा. ऐसे में इन क्षेत्रों में अगर भार क्षमता से ज्यादा निर्माण कार्य हुए होंगे तो भविष्य में इन सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगाई जाएगी.
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बता दें कि उत्तराखंड के जोशीमठ शहर के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. क्योंकि, जोशीमठ में भू धंसाव का सिलसिला जारी है. जिसे देखते हुए सरकार अब ऐतिहासिक, पौराणिक और सांस्कृतिक शहर जोशीमठ को बचाने की कवायद में जुट गई है. लेकिन उत्तराखंड में जोशीमठ शहर ही नहीं, बल्कि तमाम ऐसे क्षेत्र हैं, जिन पर खतरा मंडरा रहा है. जिस पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है.

जोशीमठ पर हो रही सियासत पर सीएम धामी का जवाबःजोशीमठ में दरार को लेकर सूबे में सियासत भी जारी है. विपक्षी दल लगातार राज्य सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं. जिस पर सीएम धामी ने सभी से अनुरोध करते हुए कहा कि यह समय राजनीति का नहीं, बल्कि टीम के रूप में काम कर जोशीमठ शहर को बचाने की है. उनका साफ लहजे में कहना है कि वर्तमान समय में जोशीमठ के निवासियों और शहर को बचाए जाने की प्राथमिकता होनी चाहिए, क्योंकि राजनीति बाद में भी की जा सकती है.

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जोशीमठ मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद व्यक्तिगत रूप से इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं. पीएम मोदी ने खुद उनसे जोशीमठ मामले को लेकर बातचीत की है और हर संभव मदद का भरोसा जताया है. अभी तक 68 परिवारों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा चुका है, लेकिन खतरे की जद में करीब 603 परिवार हैं. ऐसे में सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता है कि इन सभी परिवारों को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया जाए.
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शंकराचार्य ने कहा धैर्य और मनोबल की जरूरत: जोशीमठ पर आई आपदा से शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती भी चिंतित हैं. शंकराचार्य का मठ जोशीमठ में ही ज्योतिर्मठ के नाम से है. शंकराचार्य ने कहा कि प्रभावित लोगों को धैर्य और मनोबल समर्थन की जरूरत है. हमने अलग-अलग विशेषज्ञता वाले लोगों को आमंत्रित किया है. ज्योतिषियों से लेकर धर्मशास्त्रियों तक को हमने आमंत्रित किया है. उन्होंने हमें ज्योतिर्मठ की रक्षा के लिए होने वाले अनुष्ठानों के बारे में बताया है. हम आज अनुष्ठान भी शुरू करेंगे.

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