नई दिल्ली : टमाटर, प्याज, दाल, चावल और सब्जी की बढ़ती कीमतों के बाद अब चीनी की मिठास भी कड़वी होती जा रही है. अगस्त महीने में बारिश की कमी ने चीनी उत्पादन को प्रभावित किया है. जिन राज्यों में चीनी का उत्पादन होता है, वहां सुखाड़ जैसी स्थिति हो गई है. यही वजह है कि सरकार तुरंत एक्शन में आ गई. इसने चीनी के निर्यात पर रोक लगाने की घोषणा कर दी. पिछले सात सालों के बाद ऐसा निर्णय लिया गया है. अकेले महाराष्ट्र में 14 फीसदी तक चीनी का उत्पादन कम हुआ है. यह पिछले चार सालों में सबसे कम है.
एक्सपर्ट्स ने मानसून और बिपरजॉय साइक्लोन दोनों फैक्टर का अध्ययन किया है. उनके अनुसार इन दोनों वजहों से खरीफ फसल बाधित हुई. इसके बाद से आशंका जताई जा रही थी कि उत्पादन कम होते ही चीनी की कीमतों में उछाल आना तय है. पिछले साल के मुकाबले अब तक एक तिहाई कीमतें बढ़ चुकी हैं.
पूरी दुनिया में चीनी का सबसे अधिक उत्पादन ब्राजील में होता है. यहां पर 6.5 फीसदी अधिक चीनी का उत्पादन हुआ है. लेकिन जब तक यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में नहीं पहुंचता है, तब तक कीमतों पर लगाम लगाना मुश्किल है. ब्राजील में उत्पादन बढ़ने की वजह मौसम का साथ देना है.
अब सवाल ये है कि क्या ब्राजील इंटरनेशनल मार्केट में चीनी निर्यात करेगा या नहीं. क्योंकि ब्राजील इथेनॉल और बायोफ्यूल के लिए सरप्लास चीनी का इस्तेमाल करता है. हाल ही में जी-20 की बैठक के दौरान भी ब्राजील ने ग्लोबल बायोफ्यूल अलायंस को भरोसा दिया है कि वह इसका उत्पादन प्रभावित होने नहीं देगा. ब्राजील और अमेरिका के संबंध अच्छे हैं. ब्राजील ने अमेरिका को बायोफ्यूल को लेकर भरोसा दिया है.
साथ ही ब्राजील अपने यहां से रूस, ईरान और कई अफ्रीकी देशों को भी चीनी निर्यात करता रहा है. इस बीच भारत ने चीनी पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा कर दी है, तो जाहिर है इसका फायदा ब्राजील उठाएगा, ताकि वहां के किसानों को भी इसका फायदा मिल सके.
चीनी के एक और उत्पादक देश थाइलैंड की स्थिति देख लीजिए. इसने भी ब्राजील से चीनी के लिए मदद मांगी है. अगर उनकी मांग पूरी होती है तो जाहिर है भारत के बाजार में ब्राजील की चीनी नहीं आ सकती है. चीनी उत्पादक देशों के लिए यह सुनहरा अवसर है.
भारत में अभी फेस्टिव सीजन आने वाला है. इस बीच बढ़ती महंगाई से पहले से ही लोग परेशान हैं. ऊपर से चीनी की कीमतों ने लोगों को पैनिक कर दिया है. इसलिए सरकार ने कीमतों पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए तुरंत प्रभाव से निर्यात पर रोक लगा दी है. इसका मतलब साफ है कि सरकार एक और फूड इंफ्लेशन का दौर देखने के लिए तैयार नहीं है. वह टमाटर वाला अनुभव दोहराना नहीं चाहती है, जिसने कृषि नीति और अक्षमता को उधेड़ कर रख दिया.